Scalp Missiles, Hammer Bombs: पाकिस्तानी आतंकी शिविर-बंकर ध्वस्त, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के लिए स्कैल्प-हैमर हथियार ही क्यों चुने?
Scalp Missiles: आतंकवादियों को सबक सिखाने के लिए भारतीय सेनाओं ने ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता में स्कैल्प क्रूज मिसाइल और हैमर प्रिसिज़न-गाइडेड का इस्तेमाल किया है। यहां पढ़िये आखिर ये हथियार इतने खास क्यों हैं...
Scalp Missiles: पाकिस्तान के भीतर चल रहे आतंकी शिविरों को नष्ट करने के लिए भारतीय सेनाओं के 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता में स्कैल्प क्रूज मिसाइल और हैमर प्रिसिज़न-गाइडेड हथियारों की अहम भूमिका रही। भारतीय सेना ने पाकिस्तान के नौ आतंकी ठिकानों पर मंगलवार-बुधवार की दरमियानी रात 1.30 बजे के आसपास मिसाइलों की बौछार कर दी, जिनमें बहावलपुर और मुरीद आतंकी अड्डे शामिल थे, जो क्रमशः आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के गढ़ माने जाते हैं। सूत्रों ने बताया कि इन हथियारों की मारक क्षमता और प्रभाव को देखते हुए भारतीय वायुसेना ने इनका चयन किया और राफेल लड़ाकू विमानों के माध्यम से आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर दिया।
आइए जानते हैं, आखिर ये हथियार क्यों हैं इतने खास-
- सभी तरह के मौसम में अचूक निशाना
- स्कैल्प, जिसे स्टॉर्म शैडो के नाम से भी जाना जाता है, एक हवाई क्रूज मिसाइल है। यह अपनी स्टील्थ विशेषताओं के लिए जानी जाती है। इसे विशेष रूप से लंबी दूरी (250 किमी) तक हमलों के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- यह दुनियाभर की सेनाओं की पसंदीदा मिसाइल है, क्योंकि इसे रात में और सभी तरह के मौसमों में दागा जा सकता है। यह यूके और फ्रांस के ज्वाइंट वेंचर में बनाई गई है।
- स्कैल्प मिसाइल में उन्नत नेविगेशन प्रणाली उपयोग में लाई गई है, जो INS, GPS और टेरेन रेफ़रेंसिंग का उपयोग करती है। जो इसे सटीक मारक क्षमता प्रदान करती है।
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हैमर एयर-टू-ग्राउंड बम क्यों हैं घातक?
- ऑपरेशन में इस्तेमाल किया गया दूसरा हथियार हैमर (हाइली एजाइल मॉड्यूलर म्यूनिशन एक्सटेंडेड रेंज) एयर-टू ग्राउंड बम है।
- यह सभी मौसम में काम करता है। यह ऐसा बम है जो हवा से जमीन पर सटीक गाइडेड हमला करता है। इसे ग्लाइड बम के नाम से भी जाना जाता है, इसकी रेंज 70 किलोमीटर तक होती है।
- इसे फ्रांसीसी कंपनी सफ्रान ने बनाया है। इसे कम ऊंचाई से उबड़-खाबड़ इलाकों में लॉन्च किया जा सकता है।
- यही कारण है कि भारतीय सेना ने इन हथियारों को चुना और पाकिस्तान में आतंकी ढांचे को इतना बड़ा नुकसान पहुंचाया। जैश और लश्कर के मुख्यालयों को ध्वस्त कर दिया, जो क्रमशः पुलवामा और पहलगाम आतंकी हमलों में शामिल थे।
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