Delhi Aiims: IVF इलाज में महिला के साथ लापरवाही, दिल्ली AIIMS पर लगा ढाई लाख का जुर्माना

Delhi Aiims: डीएसडीआरसी ने इलाज के दौरान महिला के साथ हुई लापरवाही में एम्स पर ढाई लाख जुर्माना लगाया है। जानकारी के अनुसार, लंबे समय से बच्चा न होने की वजह से महिला ने एम्स से आईवीएफ कराने का रुख किया था।

Updated On 2024-01-01 16:37:00 IST
एम्स अस्पताल पर लगा ढाई लाख का जुर्माना।

Delhi Aiims: राजधानी दिल्ली में स्टेटे डिस्प्यूट रिड्रेसल कमिशन (DSDRC) ने एम्स को एक महिला के (IVF) के इलाज में कमी और चिकित्सकीय लापरवाही का जिम्मेदार ठहराते हुए ढाई लाख का जुर्माना लगया है। डीएससीडीआरसी की अक्ष्यक्ष ढिंगारा सहगल ने शिकायतकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए एम्स को 29 फरवरी 2024 तक जुर्माना राशि पीड़िता को देने का आदेश दिया है। 

2008 से 9 प्रतिशत का ब्याज देगा एम्स 

जस्टिस संगीता और आयोग की सदस्य पिंकी और जेपी अग्रवाल की बेंच और महिला द्वारा पेश किए सबूतों के आधार पर इलाज में खर्च की गई राशि को जुर्माना में शामिल करने का निर्णय लिया गया है। आयोग की ओर से आदेश में यह भी कहा गया है कि अगर एम्स 3 महीनों के अंदर जुर्माना राशि पीड़िता को नहीं देता है, तो उसे दिसंबर 2008 से 9 प्रतिशत की वार्षिक दर से ब्याज देना होगा। 

कमीशन ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि थायराइड की समस्या से आईवीएफ की पूरी प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ता है। वहीं आयोग ने टिप्पणी की है कि यह सिद्धांत है कि मरीज को क्या इलाज देना है, ये केवल डॉक्टर को ही पता होता है। पीड़ित महिला का थायराइड टेस्ट न कराने डॉक्टर की लापरवाही है। 

पीड़ित महिला ने डीएससीडीआरसी में दर्ज की शिकायत 

महिला की ओर से शिकायत में कहा गया है कि लगभग 3 साल तक बच्चे की आस में आईवीएफ की प्रक्रिया झेलने के बाद तीसरी बार में एम्स अस्पताल की लापरवाही का पता चलने पर महिला ने वकील की मदद से उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी।

शिकायतकर्ता ने एम्स के निदेशक, एम्स स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ. सुनीता मित्तल और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव को पार्टी बनाया है। पीड़ित महिला ने दलील दी कि जब डॉक्टर की ओर से आईवीएफ का सक्सेस रेट 30 प्रतिशत है और थायराइड पीड़ित महिलाओं में इसका सक्सेस रेट केवल 15 प्रतिशत है, तो उन्होंने आईवीएफ करवाने से पहले टेस्ट क्यों नहीं करवाया है और न खुद से करवाने की सलाह दी। महिला की शिकायत दर्ज होने के बाद विपक्षी पार्टियों को आयोग द्वारा 3 अप्रैल 2014 को लिखित में अपने बयान आयोग में दर्ज कराने का नोटिस जारी किया गया था। लेकिन इस मामले में विपक्षी पार्टी की ओर से कोई बयान दर्ज नहीं किया गया थ। 

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