DJB Money Laundering Case: दिल्ली हाईकोर्ट ने जगदीश अरोड़ा और अनिल अग्रवाल को दी बेल, इस मामले में हुए थे गिरफ्तार
Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली जल बोर्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में आरोपी जगदीश अरोड़ा और अनिल अग्रवाल को जमानत दे दी है। बता दें कि उनके ऊपर आरोप था कि उन्होंने तकनीकी मानदंडों को पूरा न करने वाली कंपनी को टेंडर दिलवाया था।
DJB Money Laundering Case: दिल्ली जल बोर्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। इस मामले में डीजेबी के पूर्व मुख्य इंजीनियर जगदीश कुमार अरोड़ा और अनिल कुमार अग्रवाल को जमानत मिल गई है। दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव नरुला की बेंच ने आज यानी 9 अप्रैल को उनकी जमानत का आदेश दिया।
बता दें कि दिल्ली जल बोर्ड के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्लो मीटर की आपूर्ति से जुड़े मामले में जगदीश कुमार अरोड़ा और अनिल अग्रवाल को ईडी ने गिरफ्तार किया था। जल बोर्ड के पूर्व चीफ इंजीनियर जगदीश अरोड़ा पर आरोप लगाए गए थे कि उन्होंने एमएस एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर को 38 करोड़ रुपए का कॉन्ट्रैक्ट दिया, जबकि उन्हें पता था कि वह कंपनी तकनीकी मानदंडों को पूरा नहीं करती है।
ये है पूरा मामला
मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ईडी की ओर चार्जशीट दायर की गई थी, जिसमें चार लोगों पर आरोप लगाया गया था। इनमें दिल्ली जल बोर्ड के तत्काल चीफ इंजीनियर जगदीश अरोड़ा, अनिल कुमार अग्रवाल, तजिंदर पाल सिंह और एनबीसीसी के फरीदाबाद जोन के पूर्व जीएम देवेंद्र कुमार मित्तल शामिल हैं। साथ ही, कंपनी मेसर्स एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड पर भी आरोप थे।
बता दें कि देवेंद्र कुमार मित्तल की ओर से जो सर्टिफिकेट जारी किया गया था, उसी के आधार पर कंपनी को टेंडर मिल पाया था। जानकारी के मुताबिक, तजिंदर पाल सिंह चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं, जो कि जगदीश अरोड़ा के करीबी भी हैं। ईडी के मुताबिक, एनबीसीसी पूर्व अधिकारी देवेंद्र कुमार मित्तल ने कंपनी को फेक डॉक्यूमेंट उपलब्ध करवाए थे। इसके बाद ही डीजेबी की ओर से NKG कंपनी को 38 करोड़ रुपए का टेंडर दिया था, जिसके लिए पहले से ही 24 करोड़ रुपए जारी किए गए थे।
3 करोड़ रुपए रिश्वत लेने का आरोप
इस मामले को लेकर ईडी ने आरोप लगाए कि 38 करोड़ के कॉन्ट्रैक्ट में से 6.36 करोड़ रुपए वापस किए गए थे। इनमें से 56 लाख रुपए तजेंद्र सिंह के माध्यम से जगदीश अरोड़ा को मिले थे। साथ ही ईडी का आरोप है कि 38 करोड़ रुपए में से सिर्फ 14 करोड़ रुपए ही खर्च किए गए। डीजेबी के पूर्व जगदीश अरोड़ा ने टेंडर जारी किया था, जिसके लिए उन्होंने रिश्वत ली थी। ईडी के मुताबिक, जगदीश को कुल 3.19 करोड़ रुपए मिले। यह राशि एनकेजी और इंटीग्रल ग्रुप की ओर से दिए गए थे।