Barapullah Phase 3: दिल्ली सरकार पूरा नहीं कर पाएगी केजरीवाल का अधूरा काम, 10 साल से पड़ा अधूरा 

Barapullah Phase 3: दिल्ली के मयूर विहार और सराय काले खां को जोड़ने वाला बारापुल्ला फेज-3 एलिवेटेड रोड का काम 10 सालों से पेंडिंग में है। ये प्रोजेक्ट इस साल भी पूरा नहीं हो सकेगी।

Updated On 2025-03-27 10:39:00 IST
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और अरविंद केजरीवाल।

Barapullah Phase 3: दिल्ली में 10 साल से ज्यादा अरविंद केजरीवाल की सरकार रही। इसी दौरान मयूर विहार और सराय काले खां को जोड़ने वाला बारापुल्ला फेज-3 एलिवेटेड रोड का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। 3.5 किलोमीटर लंबा ये ब्रिज बनाने में कई कानूनी अड़चने आईं, जिसके कारण यमुना के एक छोर को दूसरे छोर से जोड़ने वाला यह प्रोजेक्ट 9 साल से अधर में ही लटका हुआ है। दिल्ली में जब भाजपा ने सीएम रेखा गुप्ता को सीएम बनाया, तो लगा कि अब दिल्ली के लोगों को राहत मिलेगी और इस प्रोजेक्ट का निर्माण भी पूरा होगा लेकिन अब खबर है कि सीएम चाहते हुए भी इस साल इस प्रोजेक्ट को पूरा नहीं कर पाएंगी। 

10 सालों में भी पूरा नहीं हुआ बारापुल्लाह फेज 3 का काम

बता दें कि इस प्रोजेक्ट को बनाने के लिए तब 964 करोड़ रुपए लगने वाले थे लेकिन अब इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 1509 करोड़ पहुंच गई है। हालांकि केंद्र और राज्य दोनों जगहों पर भाजपा की सरकार है, तो ऐसे में जल्द इस निर्माण कार्य में तेजी आने की उम्मीद है। पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों का कहना है कि ये प्रोजेक्ट 10वें साल में प्रवेश करने वाला है और इस साल 2025 में भी पूरा होने की संभावना नहीं है। अधिकारियों के अनुसार अप्रैल 2015 में ये प्रोजेक्ट शुरू हुआ था और इसे अक्टूबर 2017 तक पूरा करना था लेकिन कोविड और उसके बाद कई सारी बाधाएं इसकी राह में रोड़ की तरह आ गईं। 

पहले किसान और अब वन विभाग बन रहा बाधा

पीडब्ल्यूडी के अधिकारी ने बताया कि ये प्रोजेक्ट नौ सालों तक 8.5 एकड़ जमीन के अधिग्रहण की बाधा से जूझता रहा। नंगली राजापुर गांव के किसानों ने अपनी जमीन प्रोजेक्ट के लिए देने से इनकार कर दिया। इसके कारण दो जगहों पर 790 मीटर का अंतर बना रहा। अब भूमि अधिग्रहण की समस्या खत्म हो गई है लेकिन नई परेशानी सामने आ गई है। अधिकारी ने बताया कि वन विभाग की तरफ से पेड़ों की कटाई की अनुमति नहीं दी है। डेढ़ साल से ज्यादा समय से अनुमति की फाइल पेंडिंग पड़ी है। अगर वन विभाग की तरफ से अनुमति मिल भी जाए तो इन खाली हिस्सों पर काम पूरा करने के लिए लगभग एक साल का समय लगेगा। 

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