Delhi Illegal Colonies: सीवर लाइन बिछाने की कोशिशों ने खोला राज, DJB ने 44 कॉलोनियों को बताया अवैध
Delhi Illegal Colonies: दिल्ली के संगम विहार के आधे से ज्यादा हिस्से में एक समय पर जंगल हुआ करता था। अब उस जंगल पर कब्जा कर अवैध कॉलोनियां बनाई जा चुकी हैं।
Delhi Illegal Colonies: दिल्ली के संगम विहार इलाके में घरों से पानी सड़कों पर बहता है। इसके कारण जलभराव की स्थिति हो जाती है। इसके कारण लोग काफी समय से कोशिश कर रहे थे कि सीवर लाइन बिछाई जा सके। हालांकि सीवर लाइन बिछाए जाने की कोशिशों ने बड़ा राज खोल दिया है।
दिल्ली जल बोर्ड ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को जानकारी दी है कि इस इलाके में 44 अवैध कॉलोनियां हैं। इनमें से 33 कॉलोनियां ऐसी हैं, जो जंगल की जमीन पर कब्जा करके बनाई गई हैं। ये कॉलोनियां दिल्ली के हरे-भरे रिज क्षेत्र को भी नुकसान पहुंचा रही हैं। इन अवैध कॉलोनियों के लिए दिल्ली जल बोर्ड ने रिपोर्ट जारी की है।
दिल्ली जल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में कुल 1,799 अवैध कॉलोनियां हैं। इनमें से 44 अवैध कॉलोनियां सिर्फ संगम विहार में ही हैं। 33 अवैध कॉलोनियों का निर्माण दक्षिणी और दक्षिण-मध्य रिज के जंगल क्षेत्र में किया गया है। 33 कॉलोनियों में से 22 कॉलोनियां तो पूरी तरह से जंगल की जमीन पर बनी हैं। वहीं, 11 कॉलोनियां आंशिक रूप से जंगल क्षेत्र में हैं।
जानकारी के अनुसार, इन कॉलोनियों में सीवर लाइन बिछाने की लंबे समय से मांग की जा रही थी। इसके बाद जब जमीन की जांच की गई, तो खुलासा हुआ कि ये सभी कॉलोनियां अवैध हैं। 33 में से 11 कॉलोनियां जो आंशिक रूप से जंगल क्षेत्र में हैं, वहां पर सीवर लाइन बिछाने का काम शुरू हो चुका है। ध्यान देने वाली बात ये है कि सीवर लाइन का काम सिर्फ आंशिक रूप से जंगल क्षेत्र में फैली कॉलोनियों में ही किया जा रहा है। अब तक 8 कॉलोनियों में सीवर लाइन बिछाने का काम शुरू हो चुका है और 3 कॉलोनियों में काम चल रहा है।
बता दें कि जंगल की जमीन पर कोई भी काम शुरू कराने से पहले रिज मैनेजमेंट बोर्ड, दिल्ली के वन और वन्यजीव विभाग और सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी से अनुमति लेना अनिवार्य है। वहीं, सीवर लाइन बिछाने का काम दिल्ली जल बोर्ड का है। ऐसे में दिल्ली जल बोर्ड की तरफ से कहा गया कि वो कॉलोनियों में सीवर लाइन बिछाने की परमिशन के लिए कोशिश कर रहा है लेकिन जब तक अनुमति नहीं मिलेगी, तब तक जंगल क्षेत्र में बनी अवैध कॉलोनियों में काम नहीं कराया जाएगा।