Pakistani Jasoos Story: एनआईटी कुरुक्षेत्र से की पढ़ाई, भारत को दी 80 मिसाइलें, फिर बन गया पाकिस्तानी जासूस
पहलगाम आतंकी हमले के बाद से भारत में बैठे पाकिस्तानी जासूस पकड़े जा रहे हैं। पाकिस्तानी जासूसों की श्रृंखला में आज पढ़िये एनआईटी कुरुक्षेत्र से पढ़े छात्र की कहानी...
ज्योति मल्होत्रा ने एनआईटी कुरुक्षेत्र के स्टूडेंट की कहानी ताजा कर दी।
Pakistani Spy Story: पहलगाम आतंकी हमले के बाद से आतंकियों के खिलाफ एक्शन जारी है। साथ ही, गद्दारों की भी तलाश चल रही है। अभी तक 10 से ज्यादा गद्दार पकड़े जा चुके हैं। हरियाणा की ज्योति मल्होत्रा भी पाक के लिए जासूसी करने को लेकर सुर्खियों में है। जेएनयू छात्रा की देश से गद्दारी करने की कहानी आपको पहले ही बता चुके हैं। आज हम आपको नीट कुरुक्षेत्र से पासआउट ऐसे छात्र की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने 80 मिसाइलें सेना को सौंपने में अहम भूमिका निभाई। 2018 में उनका नाम युवा वैज्ञानिक के लिए सिफारिश की गई, लेकिन उसी साल देश से गद्दारी करने के आरोप में गिरफ्तार होना पड़ा। हम डीआरडीओ वैज्ञानिक निशांत अग्रवाल की बात कर रहे हैं। एक वैज्ञानिक किस तरह से जासूस बन गया, पढ़िये पूरी कहानी...
पाक के हनीट्रैप में कैसे फंसे निशांत अग्रवाल
पाकिस्तान को भारत के खिलाफ हर युद्ध में करारी हार का सामना करना पड़ा। पाकिस्तान 1971 की जंग और कारगिल युद्ध के बाद अच्छे से जान गया है कि वो भारतीय सेना का सीधा मुकाबला नहीं कर सकता है। इस कारण उसने अपनी रणनीति में बदलाव कर दिया है। एक तरफ वो भारत में आतंकी हमलों की साजिशें रचता आ रहा है, वहीं उच्च पदों पर बैठे भारतीयों को हनीट्रैप में फंसाने में जुटा रहा।
यही वजह रही कि माधुरी गुप्ता के बाद निशांत अग्रवाल भी हनीट्रैप का शिकार बन गए। उन्हें इस ट्रैप में पाकिस्तानी हैकर 'सेजल कपूर' ने फंसाया। सिर्फ निशांत अग्रवाल ही नहीं बल्कि 98 भारतीय अधिकारियों को भी हनीट्रैप में फंसाने का प्रयास किया। लेकिन, निशांत अग्रवाल उनके इस ट्रैप में इस तरह फंसे कि बचने का मौका नहीं मिला।
कैसे पकड़े गए निशांत अग्रवाल
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, निशांत अग्रवाल ने अपने फेसबुक प्रोफइल पर 'ब्रह्मोस एयरोस्पेस में वरिष्ठ सिस्टम इंजीनियर' का उल्लेख था। यह देखकर पाकिस्तानी हैकर सेजल कपूर ने उन्हें टारगेट बना लिया। सेजल टारगेट चुनने के बाद उन्हें मैसेज करती। फिर चैट करने के लिए Whisper इंस्टॉल करने की बात कहती। जब कोई अधिकारी इसे इंस्टॉल करता तो वो उसका सिस्टम हैक कर लेती।
TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में ब्रह्मोस मिसाइलों के दस्तावेज लीक हुए थे। इनके पीछे सेजल का ही हाथ था। यह खुलासा होने के बाद निशांत अग्रवाल को 2018 में गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जहां उन्हें गोपनीय दस्तावेज लीक करने पर आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई।
निशांत अग्रवाल के पक्ष और विपक्ष में दलीलें
मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले निशांत अग्रवाल गिरफ्तारी से पहले चार सालों तक नागपुर डीआरडीओ में बतौर वैज्ञानिक तैनात रहे। ब्रह्मोस वैज्ञानिक ने सेना को 80 मिसाइलें सौंपी। केस की सुनवाई के दौरान ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व जीएम मेजर जनरल अच्युत देव ने कहा था कि उनकी पहुंच कई गोपनीय दस्तावेजों तक थी, लेकिन कई गोपनीय सूचनाएं निशांत की पहुंच से बाहर थी। उसने कार्यालयों के कंप्यूटरों से गोपनीय जानकारी हासिल करने के लिए किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की। उन्हें 2018 में युवा वैज्ञानिक के लिए सिफारिश की गई थी।
उधर, ब्रह्मोस यूनिट के कार्यकारी निदेशक (प्रोडक्शन) एनएन कुमार ने कोर्ट को बताया था कि निशांत के लैपटॉप में CK-310 मिसाइल की भी टेक्नीकल इंफॉर्मेशन थी, जो बेहद गोपनीय थी। उन्होंने कोर्ट में बताया कि किसी वैज्ञानिक को अपने लैपटॉप में गोपनीय सूचनाएं नहीं रखनी चाहिए। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद तथ्यों के आधार पर 3 जून 2024 को निशांत अग्रवाल को आजीवन कारावास समेत अन्य सजाएं सुना दी। निशांत ने बॉम्बे हाईकोर्ट में इन सजाओं को चुनौती दी, लेकिन अदालत ने खारिज कर दिया।