जेएनयू छात्रा की कहानी: जैश-ए-मोहम्मद की किताब पढ़वाई, पैसों का दिया लालच; फिर चला गद्दारी का खेल

JNU student became Pakistani spy
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ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी ने जेएनयू की छात्रा की याद दिला दी

हरियाणा की यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली एक छात्रा की याद दिला दी है, जिसने पाकिस्तानी जासूस के झांसे में आकर देश से गद्दारी की थी।

हरियाणा की यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी ने भारत से गद्दारी करने वाली भारतीय राजनयिक माधुरी गुप्ता की कहानी को ताजा कर दिया है। उन्हें करीब 15 साल पहले 2010 में पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। पूछताछ में पता चला कि माधुरी गुप्ता को देशद्रोही बनने के लिए जैश ए मोहम्मद द्वारा लिखी किताब पढ़वाई गई। जब प्रभावित नहीं हुई तो पैसों का लालच दिया। साथ ही ऐसा दांव खेल दिया, जिसके बाद वो पाकिस्तानी जासूस बनने को तैयार हो गई।

JNU से Pakistan तक पहुंचने का सफर

भारतीय राजनयिक माधुरी गुप्ता ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की थी। उन्होंने भारत के लिए इराक, लाइबेरिया, मलेशिया और क्रोएशिया सहित विभिन्न मिशन में अहम भूमिका निभाई। इसके बाद भारत सरकार ने उन्हें इस्लामाबाद के भारतीय दूतावास भेज दिया, जहां उन्हें द्वितीय सचिव (प्रेस और सूचना) पद की जिम्मेदारी सौंपी गई। सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन अचानक एक पत्रकार ने उन्हें ऐसे शख्स से मिलवाया, जिसके बाद धीरे-धीरे वो भारत के प्रति प्रेम को कम महसूस करने लगी।

पाकिस्तानी जासूस ने प्यार के झांसे में फंसाया

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस पत्रकार ने माधुरी गुप्ता को जिस शख्स से मिलवाया था, उसका नाम जमदेश था। वो पाकिस्तानी जासूस था। बातचीत में उसे पता चला कि माधुरी गुप्ता को उर्दू और शायरी पसंद है। इसका फायदा उठाकर उसने माधुरी गुप्ता को जैश ए मोहम्मद द्वारा लिखी गई किताब को पढ़वाया। इसके बाद जब उसके विचार जाने तो उसे कोई ऐसा संकेत नहीं मिला, जिससे वो भारतीय सेना से जुड़ी गोपनीय सूचनाएं देंगी। इसके लिए धीरे-धीरे वो मिलता रहा। समय बीतने के साथ माधुरी उसके प्रेम के झांसे में फंस गई।

पैसों के साथ खेला ये बड़ा दांव

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो माधुरी गुप्ता समय से सैलरी और छुट्टी न मिलने की वजह से असंतोष बढ़ रहा था। जमदेश ने इस कमजोरी का फायदा उठाया। उसने मुदस्सर रजा राणा नामक आईएसआई हैंडलर से मिलवाया, जिसने उसे भारत से विश्वासघात करने के लिए प्रेरित किया। इसकी यह कोशिश सफल हो गई और माधुरी गुप्ता ने भारत से जुड़ी संवेदनशील सूचनाएं आईएसआई तक पहुंचानी शुरू कर दी। उसने न केवल भारतीय सेना बल्कि रॉ की कार्रवाईयों और भारत अमेरिका खुफिया जानकारियां भी साझा की।

माधुरी गुप्ता

माधुरी गुप्ता

ऐसे पकड़ी गई पाकिस्तानी जासूस

भारत की खुफिया एजेंसियों को साल 2009 में पहली बार संदेह हुआ कि माधुरी गुप्ता भारत से विश्वासघात कर रही है। इसके चलते उस पर निगरानी शुरू कर दी। पर्याप्त सबूत मिलने पर माधुरी गुप्ता को एक विशेष अभियान में शामिल होने के लिए भारत बुलाया।

माधुरी 21 अप्रैल 2010 को भारत पहुंची। एक रात घर में बिताने के बाद अगली सुबह दिल्ली पुलिस ने उन्हें अरेस्ट कर लिया। पूछताछ में उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया, लेकिन बाद में पलट गईं। कोर्ट ने तमाम साक्ष्यों के आधार पर उन्हें तिहाड़ भेज दिया। जमानत मिलने तक 21 महीने तक तिहाड़ जेल में बंद रहना पड़ा।

दिल्ली की अदालत ने उन्हें आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम की धारा 3 और 5 के तहत माधुरी गुप्ता को दोषी ठहराया था। उन्हें धारा 3 के तहत 14 साल की सजा और धारा 5 के तहत तीन साल कैद, जुर्माना या दोनों हो सकती है। माधुरी गुप्ता ने इस फैसले के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यालय को चुनौती दी। इससे पहले की फैसला आता, 64 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।

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