JNU News: जेएनयू की दीवारों पर लगे 'आई लव मोहम्मद' के पोस्टर, रातों-रात हटाए गए

Jawaharlal Nehru University: बुधवार रात को किसी ने JNU की दीवारों पर 'आई लव मोहम्मद' के पोस्टर लगा दिए। विवाद से बचने के लिए इन्हें सुबह हटा दिया गया।

Updated On 2025-10-24 15:17:00 IST

जेएनयू की दीवारों पर लगे 'आई लव मोहम्मद' के पोस्टर।

Jawaharlal Nehru University: दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में नया विवाद छिड़ गया है। यूपी, उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों से शुरू हुआ 'आई लव मोहम्मद' का विवाद जेएनयू तक भी पहुंच गया है। यूनिवर्सिटी की दीवारों पर 'आई लव मोहम्मद' के पोस्टर लगाए गए। ये पोस्टर बुधवार रात को यूनिवर्सिटी की दीवारों चिपकाए गए थे, लेकिन विवाद से बचने के लिए सुबह होने से पहले इनको हटा दिया गया।

यूनिवर्सिटी के सुरक्षा अधिकारी के अनुसार, पोस्टर लगाने वाले लोगों की पहचान करने की कोशिश की जा रही है। मामला यहीं नहीं रुका, इन पोस्टरों और नारों को लिखने के बाद इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर वायरल करने की कोशिश भी की गई। बताया जा रहा है कि एक हॉस्टल और ओपन थिएटर के बाहर दीवारों पर पेंट से नारे लिखे गए थे। वहीं, एक पोस्टर यूनिवर्सिटी के पास की दीवार के साइन बोर्ड पर भी लगाया गया था।

'आई लव मोहम्मद' के पोस्टरों और नारों की वजह से देश के कई हिस्सों में पहले से ही तनाव की स्थिति देखने को मिली है। इन पोस्टरों को लेकर यूपी के कानपुर में विवाद हुआ। इसके अलावा उत्तराखंड में इन पोस्टरों की वजह से भीड़ हिंसक होने पर उतारू हो गई थी। साथ ही इसका राजनीतिकरण हुआ और देखते ही देखते इसने एक मुहिम का रूप ले लिया। एक तरफ मुस्लिम ने जहां 'आई लव मोहम्मद' के नारे वाले पोस्टर लगा रहे थे, वहीं दूसरी तरफ जवाब में हिंदुओं ने 'आई लव महादेव' के नारे और पोस्टर लगाने शुरू कर दिए।

यह मुहिम जूएनयू तक भी पहुंच गई, लेकिन समय रहते यहां से पोस्टर हटा दिए गए। बताया जा रहा है कि इन नारों को यूनिवर्सिटी की दीवारों पर ऐसे समय में लिखा गया, जब नवंबर के पहले सप्ताह में जेएनयू स्टूडेंट यूनियन का चुनाव होना है। लोगों का मानना है कि ऐसा करने का उद्देश्य कैंपस में अव्यवस्था फैलाना था।

जेएनयू स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष वैभव मीणा ने कहा कि यूनिवर्सिटी कैंपस में ऐसे नारे नहीं लिखे जाने चाहिए, क्योंकि इसकी वजह से देश के कई हिस्सों में पहले से ही विवाद हो चुका है। हम धार्मिक अभिव्यक्ति का सम्मान करते हैं, लेकिन अगर ऐसा कुछ लिखने से सामुदायिक सद्भाव प्रभावित होता है, तो ऐसा नहीं करना चाहिए।

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