Chandigarh: सिंधु जल समझौता कर नेहरू ने गलती की? पूर्व मंत्री पवन बंसल ने शिवराज चौहान को दिया जवाब
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सिंधु जल संधि को गलत बताकर जवाहरलाल नेहरू के फैसले की आलोचना की थी। अब पूर्व मंत्री पवन कुमार बंसल ने तीखा पलटवार किया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह को दिया जवाब।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर करने को भारत के साथ अन्याय बताया। अब पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल ने पलटवार करते हुए नेहरू के फैसले को सही करार दिया है। उन्होंने कहा है कि शिवराज सिंह चौहान को शायद उन्हें ऐतिहासिक तथ्यों की पूरी जानकारी नहीं है।
केंद्रीय जल संसाधन विभाग की जिम्मेदारी संभाल चुके पवन कुमार बंसल ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के मद्देनजर सिंधु जल संधि को निलंबित करना और 1960 में इस संधि पर हस्ताक्षर करना अलग मामला है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों द्वारा बनाई गई नहर प्रणाली विभाजन के बाद मुख्य रूप से पाकिस्तान में थी, वहीं भारत ने हेडवर्क्स को नियंत्रित किया था। उन्होंने कहा कि भारत ने 1946 में एक अस्थायी समझौते के बाद 1948 में जाने वाला पानी रोक लिया, लेकिन पर्याप्त भंडारण क्षमता न होने और बाढ़ की आशंका के चलते दीर्घकालीन समाधान की आवश्यकता थी।
कोई भी देश नहीं रोक सकता पानी
बंसल ने आगे कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊपरी तटवर्ती देशों के पास अंतरराष्ट्रीय नदियों का पानी रोकने का अधिकार नहीं है। ऐसे में भारत ने विश्व बैंक की मध्यस्थता कर पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने कहा कि पूर्वी नदी रावी, व्यास और सतलुज के पानी पर भारत का पूर्ण अधिकार है, जबकि पश्चिमी नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम के पानी के लिए बिजली उत्पादन, नौवहन और मछली पकड़ने के उद्देश्यों के लिए गैर उपभोक्य अधिकार भी हैं।
उन्होंने कहा कि भाखड़ा बांध जैसी परियोजना पंडित नेहरू ने ही बनाई थी, लेकिन भंडारण क्षमता न बढ़ने की वजह से अभी भी अधिकांश पानी पाकिस्तान में बह जाता है। उन्होंने ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन की ओर से बांध के निर्माण पर भी चिंता जताई। कहा कि यह भारत के लिए चिंताजनक विषय है, इसलिए भारत सरकार को इस पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।