Lunar Eclipse 2025: दिल्ली के इस मंदिर में नहीं होता ग्रहण का असर, आखिर क्यों अलग है यहां की परंपरा
Lunar Eclipse 2025: दिल्ली का कालका मंदिर एक अनोखा मंदिर है। इस मंदिर के कपाट सूतक और ग्रहण में भी खुले रहते हैं। यहां पर रोजाना की तरह माता को पूजा-अर्चना और भोग आदि चढ़ाया जाता है।
ग्रहण के समय भी खुलता है कालकाजी मंदिर।
Lunar Eclipse 2025: 7 सितंबर भाद्रपद पूर्णिमा की रात को 9.57 बजे चंद्रग्रहण शुरू होने वाला है। ये चंद्रग्रहण रात 1.27 बजे खत्म होगा। वहीं दोपहर 12.57 बजे सूतक काल शुरू हो चुका है, जो रात 1.27 बजे खत्म होगा। ऐसे में सूतक लगते ही पूजा पाठ रोक दिया जाता है और घंटियों का आवाज थम जाती है। देश के लगभग सभी मंदिरों के कपाट बंद हो जाते हैं। हालांकि दिल्ली में एक ऐसा मंदिर है, जहां पर सूतक काल या ग्रहण का असर नहीं होता।
हम बात कर रहे हैं दिल्ली के कालकाजी मंदिर की, जहां की परंपरा बिल्कुल अलग है। यहां हर हाल में मां कालका के दर्शन जारी रहते हैं। दिल्ली के प्राचीनतम और प्रसिद्ध मां कालका मंदिर ग्रहण के समय मंदिर के कपाट बंद करने का नियम लागू नहीं होता। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां काली की शक्ति पर किसी भी ग्रहण की छाया असर नहीं जालती है।
कहा जाता है कि दिल्ली के कालका मंदिर में बारह राशियां और नौ ग्रह स्वयं मां की कोख में वास करते हैं। यानी ग्रह-नक्षत्र मां के लिए पुत्र के समान हैं। ऐसे में कोई भी पुत्र मां को नुकसान नहीं पहुंचाता। ग्रहण हो या सूतक, यहां पर पूजा-पाठ हमेशा चलता रहता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां काली को समय और विनाश की देवी माना जाता है। उनके स्वरूप को प्रचंड माना जाता है और कहा जाता है कि कोई भी अशुभ घटना उनके दरबार में नहीं टिकती। इसकी वजह से ग्रहण और सूतक के समय भी मंदिर में घंटों की आवाज सुनाई देती है और रोजाना की तरह पूजा-अर्चना चालू रहती है। उन्हें साधारण तरीके से भोग लगता है। श्रंगार आदि सब कुछ रोजाना की तरह ही होता है। भक्त बिना किसी बाधा के मंदिर में मां कालका के दर्शन कर सकते हैं। कालका मां का मंदिर अपने आप में ही खास है। ऐसे में ये परंपरा मां के मंदिर को और खास बना देती है।