Delhi Govt: दिल्ली के PWD विभाग को मिलेगा अपना इंजीनियरिंग कैडर, तेजी से पूरे होंगे विकास कार्य
Delhi PWD: दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी विभाग को खुद का इंजीनियरिंग कैडर बनाने की मंजूरी दी गई है। सरकार का कहना है कि इससे विकास कार्यों में तेजी आएगी। जानें इसका उद्देश्य...
दिल्ली सरकार की कैबिनेट बैठक।
Delhi PWD: दिल्ली की जनता के लिए शुरू किए गए विकास कार्यों में तेजी लाने के लिए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। हाल ही में दिल्ली सरकार की कैबिनेट बैठक हुई, जिसमें फैसला लिया गया कि अब लोक निर्माण विभाग यानी पीडब्ल्यूडी का अपना खुद का इंजीनियरिंग कैडर होगा। इसकी जानकारी देते हुए सीएम रेखा गुप्ता ने बताया कि दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी के पास अपना स्वतंत्र कैडर नहीं था।
विभाग की सारी इंजीनियरिंग सेवाएं केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) के कैडर पर निर्भर थीं। सीएम ने बताया कि अब इंजीनियरों की भर्ती सीधे दिल्ली सरकार के द्वारा ही की जाएंगी। इससे सभी परियोजनाओं की जवाबदेही तय होगी। साथ ही निर्माण कार्य में तेजी आएगी।
पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरिंग विंग में कितने पद?
मौजूदा समय में दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरिंग विंग में 36 कैटेगरी में कुल 3,214 स्वीकृत पद हैं। ये सभी पद सीपीडब्ल्यूडी कैडर हैं, जिन पर केंद्र सरकार की ओर से नियुक्तियां की जाती हैं। इससे दिल्ली सरकार की परियोजनाओं पर असर पड़ता है, जिसके दिल्ली पीडब्ल्यूडी का स्वतंत्र इंजीनियरिंग कैडर बनाने का फैसला लिया गया है। इसके साथ ही दिल्ली सरकार पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरिंग सेवाओं में खाली पदों पर भर्ती करने की भी योजना बना रही है।
इन कार्यों में आएगी तेजी
दिल्ली सीएम ऑफिस की ओर से जारी बयान के अनुसार, राजधानी में कई विकास परियोजनाओं पर काम चल रहा है। इनमें नया सचिवालय, सभी 11 जिलों में मिनी सचिवालय, खेल के मैदानों, नई मंडियों और प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करने के लिए कई नई इमारतों और कार्यालयों का निर्माण शामिल है। इन सभी कामों में तेजी लाने के लिए यह फैसला लिया गया है। सरकार का मानना है कि इन कार्यों में तेजी लाने के लिए अपना इंजीनियरिंग कैडर होना जरूरी है। पिछले 30 सालों से इसको लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया, लेकिन अब कैबिनेट ने इंजीनियरों का अलग से कैडर बनाने की मंजूरी दी है।
क्या होंगे फायदे?
दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि पीडब्ल्यूडी का अलग कैडर होने से दिल्ली सरकार स्वतंत्र रूप से इंजीनियरों की भर्ती कर पाएगी। इसके साथ ही बिना किसी देरी के खाली पदों पर भी नियुक्ति की जा सकेगी। इससे न केवल सरकार इंजीनियरिंग सेवाओं में आत्मनिर्भर बनेगी।
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