Delhi Metro Phase 4: गोल्डन लाइन पर दूसरी टनल का काम पूरा, जानें कब तक पूरा होगा कॉरिडोर
Delhi Metro Golden Line: DMRC ने गोल्डन लाइन पर एक और टनल के निर्माण का काम पूरा कर लिया है। इसकी लंबाई 1.5 किमी से ज्यादा है। यह टनल तुगलकाबाद-एरोसिटी कॉरिडोर के निर्माण कार्य में एक बड़ी कामयाबी है।
गोल्डन लाइन पर टनल का काम पूरा।
Delhi Metro Golden Line: दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) ने फेज-4 में एक गोल्डन लाइन प्रोजेक्ट में बड़ी कामयाबी हासिल की है। DMRC ने गोल्डन लाइन (तुगलकाबाद-एरोसिटी कॉरिडोर) पर 1,550 मीटर लंबी अंडरग्राउंड टनल का काम पूरा कर लिया है। यह टनल निर्माणाधीन किशनगढ़ और वसंत कुंज मेट्रो स्टेशन के बीच बनाई गई है। इस टनल के निर्माण के लिए 91 मीटर लंबी TBM यानी टनल बोरिंग मशीन का इस्तेमाल किया गया।
DMRC ने बुधवार को इसकी जानकारी दी। इसी के साथ DMRC ने एरोसिटी-तुगलकाबाद कॉरिडोर के हिस्से के रूप में अप लाइन और डाउन लाइन पर आवागमन के लिए दो पैरेलल गोलाकार टनल का निर्माण पूरा कर लिया है। इससे पहले दूसरी टनल का काम इसी साल मार्च के महीने में पूरा किया गया था।
कितनी है टनल की गहराई?
DMRC के मुताबिक, निर्माणाधीन किशनगढ़ और वसंत कुंज मेट्रो स्टेशन के बीच बनाई गई इस टनल की औसत गहराई 22.86 मीटर है। इसमें सबसे कम गहराई 15.48 मीटर और सबसे ज्यादा गहराई 30.25 मीटर है। इस टनल में कुल 1105 रिंग्स लगाए गए हैं, जिनका व्यास (Diameter) 5.8 मीटर है। इस टनल के निर्माण के लिए EPBM (अर्थ प्रेशर बैलेंसिंग मेथड) की तकनीक का इस्तेमाल किया गया।
कब तक पूरा पूरा होगा गोल्डन लाइन का काम?
दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण में गोल्डन लाइन यानी तुगलकाबाद-एरोसिटी कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है। इसमें 19.34 किमी हिस्सा अंडरग्राउंड होगा, जबकि 4.28 किमी एलिवेटेड बनाया जाएगा। अगले साल तक इस कॉरिडोर का काम पूरा करने का टारगेट रखा गया है, जिसके लिए तेजी से काम किया जा रहा है।
बता दें कि दिल्ली मेट्रो के फेज-4 के तहत कुल 40.109 किमी लंबाई की अंडरग्राउंड लाइनों का निर्माण किया जा रहा है। इसमें एरोसिटी-तुगलकाबाद कॉरिडोर का 19.34 किमी हिस्सा अंडरग्राउंड सेक्शन भी शामिल है।
क्या है TBM?
TBM एक ऐसी मशीन है, जिसके इस्तेमाल से सर्कुलर टनल की खुदाई की जाती है। ये मशीन कठोर चट्टान से लेकर रेत तक किसी भी चीज में छेद कर सकता है। इसकी मदद से बिना इमारतों और सरफेस स्ट्रक्चर को नुकसान पहुंचाए सुरंग खोदना आसान हो गया है।