Contract Teachers: दिल्ली हाईकोर्ट ने MCD कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स के हक में दिया बड़ा फैसला, बढ़ जाएगा वेतन

MCD Contract Teachers: दिल्ली हाईकोर्ट ने MCD को 'समान काम के लिए समान वेतन' सिद्धांत का पालन करने का आदेश दिया है। इससे कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स को फायदा होगा। यहां पढ़ें कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा...

Updated On 2025-08-06 12:32:00 IST

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MCD Contract Teachers: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली नगर निगम (MCD) के कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स के हित में राहतभरा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक इन टीचर्स को अब नियमित टीचर्स की तरह ही सातवें वेतनमान के अनुसार वेतन मिल सकेगा। ऐसा माना जा रहा है कि हाईकोर्ट के इस आदेश से MCD के करीब ढाई हजार कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स को फायदा होगा।

जस्टिस नवीन चावला एवं जस्टिस मधु जैन की बेंच ने मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर समान काम किया जा रहा है, तो समान वेतन भी मिलना चाहिए। बेंच का कहना था कि यह फैसला समान काम के लिए समान वेतन के संवैधानिक सिद्धांत पर आधारित है। बेंच ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के जगजीत सिंह बनाम पंजाब राज्य पर भरोसा जताते हुए कहा कि एक ही काम करने वाले 2 कर्मियों को अलग-अलग वेतन देना उनकी गरिमा के खिलाफ है। बेंच ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए यह भी कहा कि जब निगम के स्कूल में नियमित व कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स एक जैसा काम कर रहे हैं, तो उनकी सैलरी में फर्क क्यों है? कोर्ट ने कहा कि समान वेतन टीचर्स का अधिकार है।

पहले कैट में गया था मामला
दिल्ली नगर निगम के खिलाफ सबसे पहले यह मामला केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) में दायर किया गया। कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स के वकील अनुज अग्रवाल ने मांग की थी, कि उन्हें सातवें वेतन आयोग के मुताबिक न्यूनतम वेतनमान दिया जाए। कैट ने इस मांग को मान लिया था। फिर MCD ने कैट के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने MCD की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यहां सवाल- 'समान काम के लिए समान वेतन' का है, कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले टीचर्स का यह अधिकार है।

कैट ने आदेश में क्या कहा?
कैट ने 21 मई को अपने आदेश में कहा था कि टीचर्स को 1 जनवरी 2016 (सातवां वेतन आयोग लागू होने के पहले दिन) से रेगुलर टीचर्स के समान वेतन दिया जाना चाहिए। इसके साथ-साथ महंगाई भत्ता और दूसरे फायदे भी दिए जाएं। हाईकोर्ट का कहना है कि अगर 3 महीने के भीतर इनका भुगतान नहीं किया गया, तो MCD को इस पर ब्याज का भुगतान करना पड़ेगा।

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