Delhi Jal Board: खत्म होगी पानी की समस्या, 'वन जोन वन ऑपरेटर' प्लान ला रही दिल्ली सरकार
Delhi Water Issue: दिल्ली में सीवर और पानी की समस्या को दुरुस्त करने के लिए दिल्ली सरकार नई नीति के तहत काम करेगी। अब बिजली की तरह पानी और सीवर की समस्या को भी निजी ऑपरेटर संभालेंगे।
दिल्ली में पानी की किल्लत।
Delhi Jal Board: दिल्ली में पानी की कमी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। ऐसे में सरकार इस समस्या के निपटारे के लिए एक के बाद एक कई कोशिशें करती नजर आ रही है। दिल्ली जल बोर्ड ने पानी की बर्बादी और सीवर की समस्या से निजात पाने के लिए नई नीति बनाई है। इसके तहत राजधानी दिल्ली को 8 जोन में बांटा जाएगा। इसके बाद निजी ऑपरेटर पानी सीवेज सेवाएं संभालेंगे। इस पूरी योजना की निगरानी दिल्ली जल बोर्ड द्वारा की जाएगी।
पानी की बर्बादी होगी कम
बता दें कि दिल्ली जल बोर्ड ने पानी और सीवेज सेवाओं को दुरुस्त करने के लिए ऐलान किया है कि दिल्ली को आठ जोन में बांटकर इसकी जिम्मेदारी निजी कंपनियों को सौंपी जाएगी। ठीक वैसे ही जैसे वर्तमान समय में दिल्ली में बिजली वितरण कंपनियां करती हैं। सरकार का मानना है कि ऐसा करने से दिल्ली में पानी की बर्बादी 50-52 फीसदी तक कम की जा सकती है और पानी की सुविधा को बेहतर किया जा सकता है।
मंत्री प्रवेश वर्मा ने दी जानकारी
इस बारे में जानकारी देते हुए दिल्ली के जल मंत्री प्रवेश वर्मा ने बताया कि दिल्ली में नई नीति बनाई जा रही है। इसके तहत 'एक जोन, एक ऑपरेटर' का मॉडल अपनाया जाएगा। हर जोन में एक निजी ऑपरेटर कंपनी होगी, जो पानी और सीवेज की लाइनों की देखरेख करेगी। साथ ही मेंटेनेंस का काम भी संभालेगा। इतना ही नहीं ये कंपनियां बिलिंग और गैर-राजस्व जल को भी कम करने का जिम्मा संभालेंगी। इससे पानी की बर्बादी कम होगी और जलापूर्ति सही ढंग से हो पाएगी।
दिल्ली जल बोर्ड और निजी कंपनी की जिम्मेदारी
वर्तमान समय में दिल्ली जल बोर्ड पानी की खरीद, शुद्धिकरण और आपूर्ति का काम करता है। ये एमसीडी क्षेत्रों, एनडीएमसी क्षेत्रों और दिल्ली छावनी बोर्ड को थोक में पानी उपलब्ध कराता है। दिल्ली में होने वाले सीवेज के संग्रहण और शोधन की जिम्मेदारी भी दिल्ली जल बोर्ड ही उठाता है। हालांकि अगर नई नीति आ जाती है, तो ये सभी काम निजी कंपनियों को सौंप दिए जाएंगे लेकिन उसकी निगरानी दिल्ली जल बोर्ड द्वारा की जाएगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आठ जोन हाइड्रोलिक के आधार पर तय किए जाएंगे। वर्तमान समय में मरम्मत और रखरखाव के लिए अलग-अलग टेंडर जारी किए जाते हैं। नई नीति के बाद एक ऑपरेटर पूरे जोन का काम संभालेगा।