Delhi Post Office: अंग्रेजों के शासन में बना अष्टकोणीय गोल डाकखाना, जानें कैसे फेमस हुआ गोल मार्केट?

दिल्ली का गोल डाकखाना महज इमारत नहीं है, बल्कि यह अपने आप में पूरा इतिहास है। यह अंग्रेजों के शासन काल में बनाई गई थी।

Updated On 2025-10-03 07:10:00 IST

दिल्ली का पुराना डाकघर

Delhi Post Office History: देश की राजधानी दिल्ली में चमचमाती सड़कों और ऊंची-ऊंची इमारतों के बीच एक ऐसी गोल इमारत भी मौजूद है, जिसकी अपनी अलग ही कहानी है। हम बात कर रहे हैं गोल डाकखाने की, जहां आज पुराना जनरल पोस्ट ऑफिस (जीपीओ) है। इसे ब्रिटिश शासन में बनाया गया था। यह इमारत अपनी गोल संरचना के कारण फेमस है। इसके आसपास के इलाके को गोल मार्केट के नाम से जाना जाता है। यह डाक टिकटों का मुख्य केंद्र है, जो औपनिवेशिक भारत के विकास की भी गवाह है।

कब बनाया गया गोल डाकखाना?
यह बात साल 1911 की है, जब ब्रिटिश भारत की राजधानी को कोलकाता से हटाकर दिल्ली ले आए थे। इसी समय यहां पर नई-नई इमारतें बननी शुरू हुई थीं। उसी दौरान इस गोल डाकखाने की भी नींव रखी गई थी। शुरुआत में इसे वायसराय कैंप पोस्ट ऑफिस कहा जाता था, जो अस्थायी रूप से चल रहा था। साल 1929 से 1931 के बीच इसी जगह पर एक अस्थायी इमारत बनाई गई और साल 1934 में इस इमारत को नई दिल्ली जीपीओ नाम दे दिया गया।

क्यों कहलाता है गोल डाकखाना?

आकार में गोल दिखाई देने के कारण इस इमारत का नाम गोल डाकखाना पड़ा था। परन्तु जानकारी के लिए बता दें कि यह आठ कोनों वाली इमारत है, जिसे अष्टकोणीय कहा जाता है। बाहर से देखने पर यह गोल दिखाई देती है। जिसके कारण आसपास का इलाका भी गोल मार्केट के नाम से जाना जाता है।

किसने डिजाइन किया?

इस इमारत को ब्रिटिश आर्किटेक्ट रॉबर्ट टॉर रसेल ने इंडो सारासेनिक स्टाइल में डिजाइन किया था। उन्होंने नई दिल्ली की कई और इमारतें भी डिजाइन की थीं। इस डाकखाने की खूबसूरती बढ़ाने के लिए ऊंची-ऊंची मेहराबें, छोटे-छोटे गुंबद और घड़ी वाला टावर लगाया गया। यह इमारत लगभग 99,105 वर्ग फुट में फैली हुई है। अब डिजिटल जमाने के दौर में डाकघर का काम काफी कम हो गया है, किन्तु गोल डाकखाना अब भी नई दिल्ली की अहम पहचान और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है, क्योंकि इसकी ऐतिहासिक अहमियत बरकरार है। यहां के पुराने लेटर बॉक्स और पोस्ट ऑफिस पुराने समय की याद दिलाते हैं।

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