Stillbirth Report: जन्म से पहले ही 12,569 मासूमों की मौत, 7 अस्पतालों में की गई स्टडी से हुआ खुलासा
Stillbirth Report: दिल्ली के 7 बड़े सरकारी अस्पतालों की ओर से स्टिलबर्थ को लेकर एक स्टडी की गई। इस स्टडी में पता चला कि 2016 से 2020 तक 5 सालों में 12,,569 मृत बच्चे पैदा हुए।
Stillbirth Report: दिल्ली के 7 बड़े सरकारी अस्पतालों की तरफ से एक स्टडी की गई, जो मातृ स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बेहद चिंताजनक है। ये स्टडी सफदरजंग अस्पताल की स्त्री रोग विभाग की प्रोफेसर डॉ. प्रतिमा मित्तल के नेतृत्व में की गई। इस स्टडी में सफदरजंग, लोकनायक और जीटीबी जैसे बड़े अस्पतालों के आंकड़े शामिल किए गए हैं।
इस स्टडी से पता चला कि साल 2016 से 2020 के दौरान लगभग 5 सालों में इन अस्पतालों में कुल 4,16,677 प्रसव दर्ज किए गए। इनमें से 12,569 बच्चे मृत पैदा हुए। इस स्टडी को 28 अगस्त को बीएमसी प्रेग्नेंसी चाइल्ड बर्थ में प्रकाशित किया गया था।
इस रिपोर्ट के अनुसार लगभग 1000 प्रसव में से 29 बच्चे या तो जन्म से पहले ही कोख में मर गए या फिर प्रसव के दौरान उनकी जान चली गयी। चौंकाने वाली बात ये है कि जिन माताओं ने गर्भावस्था के दौरान या बच्चे के जन्म के दौरान बच्चे को खोया, उन्होंने गर्भावस्था के दौरान कोई जांच या इलाज नहीं कराया। इससे साफ है कि गर्भावस्था के दौरान मां को जो एंटीनैटल केयर मिलनी चाहिए थी, वो नहीं मिली।
डॉक्टर्स ने सलाह दी कि गर्भवती महिलाओं को समय-समय पर जांच करानी चाहिए। तीसरी तिमाही में अल्ट्रासाउंड और प्रसव के समय सही निगरानी रखनी चाहिए। सावधानी बरतने से स्टिलबर्थ के मामलों को घटाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्टिलबर्थ की निगरानी और रोकथाम के लिए कम्युनिटी लेवल पर व्यवस्था और जागरुकता बढ़ाई जानी चाहिए।
स्त्री रोग विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर जांच और इलाज न मिलने के कारण भ्रूणों की मौतें हुई हैं। अगर समय पर जांच और इलाज मिल सकता, तो उन बच्चों को बचाया जा सकता था।
बता दें कि स्टिलबर्थ (मृत शिशु का जन्म) के मामले सबसे ज्यादा ऐसे इलाकों से आते हैं, जहां स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच कम होती है। देश के दूरदराज और पिछड़े इलाकों में ये समस्या सबसे ज्यादा देखने को मिलती है। इसकी वजह है, इन इलाकों में प्रसव से पहले देखभाल और पौष्टिक भोजन की कमी। गर्भवती महिलाओं को स्वस्थ आहार की कमी के कारण मां के पेट में ही बच्चों की मौत हो जाती है।
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