जांच में लीपा- पोती: बगैर टीपी कैसे पार हो गया गोदाम से 93 लाख का तेंदूपत्ता

राजनांदगांव के गोदाम से करीब साढ़े 93 लाख रूपए के तेंदूपत्ते के गायब होने के मामले की जांच रिपोर्ट में लीपापोती किए जाने की शिकायतें सामने आ रही है।

Updated On 2025-08-26 19:22:00 IST

तेंदूपत्ता 

सचिन अग्रहरि- राजनांदगांव। शहर के गोदाम से करीब साढ़े 93 लाख रूपए के अच्छे क्वालिटी के तेंदूपत्ते के गायब होने के मामले की जांच रिपोर्ट में लीपापोती किए जाने की शिकायतें सामने आ रही है। फारेस्ट महकमे ने इस मामले की जांच रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख ही नहीं किया है कि आखिर गोदाम से गायब यह तेंदूपत्ता यहां से बगैर टीपी कई ट्रकों के जरिये के कहां चला गया? यहीं नहीं रसूखदारों को बचाने के लिए पुलिस ने भी इस बात की जांच शुरू नहीं की है कि फर्जीवाड़ा कर गायब किए गया तेंदूपत्ता बगैर जीएसटी बिल और फारेस्ट परमिट से आखिर कहां डंप कर रखा गया है? इस पूरे मामले की तह पर जांच की जाए तो कई बड़े ठेकेदार भी गिरफ्त में आ सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि शहर के जीई रोड स्थित गोदाम से पिछले दो साल पहले अच्छी क्वालिटी के 2669 बोरा तेंदूपत्ता को गायब कर दिया गया था। अच्छी क्वालिटी के तेंदूपत्ते को गायब कर यहां बोरों में कचरे को डंप कर ठेकेदारों से सरकार को चूना लगाया था। इस मामले में फारेस्ट महकमे ने अपनी जांच रिपोर्ट में करीब साढ़े 93 लाख रूपए की गड़बड़ी की पुष्टि की है। जांच रिपोर्ट के सामने आने के बाद पुलिस ने मामले में तेंदूपत्ता ठेकेदार सहित अधिकारी और कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज किया है। इस मामले में जो तथ्य सामने आ रहे हैं, उसके मुताबिक फारेस्ट महकमे ने अपनी जांच में जमकर लीतापोती कर कुछ ठेकेदार और अधिकारियों को बचाने का ताना-बाना बुना है।

सवालों के घेरे में जांच रिपोर्ट
सूत्रों ने बताया कि जांच रिपोर्ट में साढ़े 93 लाख रुपए के तेंदूपत्ते को कब और किस तरीके से यहां से गायब किया गया है, इसका उल्लेख ही नहीं है। यही नहीं बगैर टीपी के कई ट्रकों के जरिये यह तेंदूपत्ता कहां भेजा गया, इसका भी खुलासा जांच रिपोर्ट में नहीं किया गया है? गौरतलब है कि तेंदूपत्ते से भरी ट्रकों को फारेस्ट महकमे द्वारा बेरियर में चेक किया जाता है। ऐसे में बड़े पैमाने पर तेंदूपत्ते की अफरा-तफरी कैसे हो गई? सूत्रों ने बताया कि फारेस्ट महकमे ने इस मामले में टीपी भी जारी कर दिया था। गोदाम से अच्छे क्वालिटी के पत्ते को गायब कर दूसरे राज्यों में डंप किए जाने की भी चर्चा है।

पत्ता किसी का, बिल किसी और का
सूत्रों ने बताया कि गोदाम से बड़े पैमाने पर तेंदूपत्ते की अफरा-तफरी करने में कुछ रसूखदारों का नाम भी सामने आ रहा है। बताया जाता है कि एक ठेकेदार के बिल के जरिये वन विभाग से टीपी जारी कराई गई और फिर इसे ट्रकों के जरिये दूसरे राज्यों में डंप किया गया है। उल्लेखनीय है कि तेंदूपत्ता एक राष्ट्रीयकृत वनोपज है। यही कारण है कि बिना बिल और फारेस्ट परमिट इसका परिवहन नहीं किया जा सकता है।

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