शाला प्रवेशोत्सव निकट: बिना छत, जर्जर दीवारें खंडहरों में फिर कक्षाएं

स्कूल खुलने और शाला प्रवेशोत्सव में मात्र 14 दिन ही शेष हैं। इसके बाद भी खंडहर में तब्दील घरघोड़ा के बेलडीपा प्राथमिक शाला की तस्वीर नहीं बदल सकी है।

Updated On 2025-06-01 11:38:00 IST

बेलडीपा प्राथमिक शाला  

रायगढ़। स्कूल खुलने और शाला प्रवेशोत्सव में मात्र 14 दिन ही शेष हैं। इसके बाद भी खंडहर में तब्दील घरघोड़ा के बेलडीपा प्राथमिक शाला की तस्वीर नहीं बदल सकी है। यहां पढ़ने वाले बच्चे नए सत्र में भी दूसरे के घर के बरामदे में भविष्य गढ़ने को मजबूर होंगे। गौर करने वाली बात यह है कि जिले के अधिकांश स्कूल सालों से जर्जर अवस्था में हैं. जिसमें अब तक सुधार कार्य नहीं हो सका है।

दरअसल, घरघोड़ा जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत घरघोड़ी के आश्रित ग्राम बेलडीपा में प्राथमिक शाला के बच्चे कई सालों से एक ग्रामीण की परछी में पढ़ने को मजबूर हैं। ग्रामीणों की मानें तो उक्त प्राथमिक शाला अत्यंत जर्जर अवस्था है, इसलिए इसे स्कूल न कहते हुए खंडहर कहना उचित होगा। यहां के छत में लगा सीमेंट का प्लास्टर अचानक कभी भी गिरते रहता है। जिससे बच्चों की में सुरक्षा को देखते हुए इस स्कूल को खाली करा दिया गया है। बीते सत्र में स्कूल में पहली से पांचवी तक के 27 छात्र अध्ययनरत थे, जोकि गांव के रामसाय सिदार के घर की बरामदे में पूरा साल पढ़े हैं। अभी तक स्कूल का जीर्णोद्धार नहीं होने से नए सत्र में भी बच्चे उसी बरामदे में भविष्य गढ़ने को मजबूर होंगे।

शिविर में शिकायत के बाद भी नहीं निकला समाधान
ग्रामीणों ने बताया कि, 7 जुलाई 24 को बरनाकुंडा में जन समस्या निवारण शिविर का आयोजन किया गया था। इस शिविर में शामिल होने के लिए तत्कालीन कलेक्टर कार्तिकय गोयल भी वहां पहुंचे हुए थे। जहां ग्रामीणों ने उनसे मुलाकात कर बेलडीपा के अति जर्जर स्कूल की जानकारी दी और ज्ञापन सौंप कर जल्द ही स्कूल के जीर्णोद्धार की मांग की, इसके बाद भी अब तक उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ है।

बच्चों के मामलों में किसी प्रकार का नहीं ले सकते रिस्क
गांव के फलित पटेल ने बताया कि सालों पहले जब बच्चे स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे, उसी समय छत का प्लास्टर भरभरा कर गिर गया। गनीमत यह रही कि उसकी चपेट में कोई बच्चे नहीं आए और बाल-बाल उनकी जान बच गई। इसके बाद सभी अभिभावक सकते में आ गए और बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए उन्हें रामसाय सिदार के घर की परछी में शिफ्ट कर दिया गया, क्योंकि वो किसी प्रकार की रिस्क नहीं लेना चाह रहे हैं।

बारिश में बच्चों को होती है परेशानी
ग्रामीण प्रेम राठिया ने बताया कि प्रशासन स्कूल मरम्मत के लिए कोई ध्यान नहीं दे रहा है। ऐसे में हर साल बारिश में बच्चों को परेशानी होती है, क्योंकि तेज बारिश में बरामदे में भी पानी का फुहार घुसता है और तेज आवाज के बीच बच्चों की पढ़ाई ठीक से नहीं हो पाती।

आंधी से उड़ गया स्कूल का टीन शेड
तखतपुर। नए शिक्षा सत्र प्रांरभ होने वाला है और बच्चे फिर से खण्डहरनुमा भवन में बैठकर पढ़ाई करेंगे। विकासखंड प्राथमिक शाला विचारपुर के भवन की छत पूरी तरह उखड़ गया और यदि हल्की सी भी बारिश हुई तो वहां पर बैठना तो दूर खड़ा होना भी मुश्किल है। पालकों को अब यहीं चिंता है कि स्कूल खुलते ही उनके बच्चों की कहां पढ़ाई होगी। शासन नए सत्र की तैयारी में जुटा हुआ है परंतु कई ऐसे भी जगह है जहां पर बच्चों के बैठने के लिए एक भवन भी नही है जहां पर वे बैठकर पढ़ सकें। विचारपुर के बच्चों को पता ही नहीं है कि वे जहां इस बैठकर पढ़ा करते थे उस भवन का शेड आंधी से उड़ गया है। अब बच्चे शिक्षक और पालक सभी चिंतित हैं कि शिक्षा सत्र की शुरुआत कैसे होगी।

पूर्व माध्यमिक शाला ढनढन की छत उड़ी
यही हाल ढनढन के पूर्व माध्यमिक शाला भवन की है। बीते दिनों आई आंधी से छत पर लगी टीन उखड़ गई है। यहां भी बच्चों की बैठने की व्यवस्था नहीं है। यह भी एक बीच मैदान पर है जहां और कोई इस भवन के अलावा व्यवस्था नहीं है। यहां भी बच्चों के साथ साथ पालक चिंतित है कि छठवीं से आठवीं कक्षा की पढ़ाई स्कूल खुलते ही कैसे इस भवन में होगी।

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