महसूस हो रही पालना घर की जरूरत: शहर में बढ़ी कामकाजी महिलाओं की संख्या, आगे आए जनप्रतिनिधि
राजिम-नवापारा छत्तीसगढ़ का धार्मिक शहर होने के साथ व्यापारिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यहां अब बच्चों की देखभाल करने के लिए पालना घर की जरूरत महसूस की जा रही है।
महसूस हो रही पालना घर की जरूरत
श्यामकिशोर शर्मा- नवापारा-राजिम। एकल परिवार में कामकाजी महिला और पुरूषों के लिए उनके छोटे बच्चे की देख रेख एवं सुरक्षा काफी अहम मायने रखता है। गांव खेड़ों में बच्चे पालने वाले, खिलाने वाले तो मिल जाते हैं परंतु शहरों में मिलना मुश्किल का काम है और मिल भी जाए तो विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होते है? क्योंकि कोई भी अपने मासूम बच्चे को अविश्वसनीय व्यक्ति के पास छोड़ना मुनासिब नहीं समझेगा। जिस तरह से पड़ोस के कुरूद और महासमुंद में पालना घर संचालित हो रहा है, कमोवेश इन दोनो शहर नवापारा-राजिम में अब कामकाजी महिलाएं चाहे वो गवर्नमेंट जॉब में हो अथवा प्रायवेट में वे महसूस कर रही हैं कि, यहां भी पालना घर हो।
इसीलिए कहा जाता है कि, संयुक्त परिवार के जमाने में इस तरह की दिक्कतें नही आ पाती थीं परंतु बदलते परिवेश में एकल परिवार का चलन बढ़ गया है। बढ़ते खर्च एवं महिलाओं के उच्च शिक्षित होने के कारण महिला एवं पुरुष दोनों कामकाजी है। ऐसे में एकल परिवार के लिए पालनाघर की अनिवार्य आवश्यकता महसूस की जा रही है। चूंकि नवापारा शहर की आबादी 45000 से अधिक है। यहां 10000 परिवार निवासरत हैं, जिनमें 4000 से अधिक एकल परिवार है। इन एकल परिवारों में 500 से 1000 परिवार ऐसे हैं जहां महिला एवं पुरुष दोनों कामकाजी है। ऐसे परिवार के लिए बच्चों की देखभाल एवं पालन पोषण बहुत बड़ी समस्या है। ऐसे में कई महिलाओं को बच्चों के पालन पोषण के लिए काम छोड़ना पड़ता है। कई शासकीय पदों पर आसीन महिलाए घर में केयर टेकर की व्यवस्था करती है। किंतु बच्चों के सुरक्षा की फिक्र लगी रहती है। ऐसे में इस शहर में भी पालना घर की जरूरत महसूस की जा रही है।
क्या है पालना घर?
बच्चों का पालन पोषण एवं सुरक्षा महत्पूर्ण विषय है। एकल परिवार के लिए 3 माह से 5 वर्ष तक बच्चों का पालन पोषण के लिए पालना घर की आवश्यकता होती है। लिहाजा कई बड़े नगरों में निजी अथवा सरकार द्वारा पालना घर खोले गए है। जहां बच्चों को सुरक्षित एवं आरामदायक माहौल देने के लिए सुविधाएं उपलब्ध रहे। 3 से 4 बड़े कमरे का भवन को पालना घर बनाया जाता है। जिसका संचालन महिला समिति के माध्यम से स्व-सहायता समूह की महिलाएं करती है। पूरा परिसर सीसीटीवी कैमरे से लैंस होता है। सभी आवश्यक इंतजाम जैसे सीसीटीवी, खेल सामग्री, शिक्षण सामग्री, झूला, प्राथमिक स्वास्थ्य कीट होते हैं। कामकाजी महिलाएं अथवा पुरुष या परिवार द्वारा आवश्यक सामग्री दूध, कपड़े, फल, खाने का सामान के साथ बच्चों को पालना घर में छोड़कर निश्चिंत होकर अपने काम में जाती है। एवं शाम को बच्चों को लेकर वापस घर जाती है। पालना घर का आवश्यकता केवल दिन के समय में पड़ती है।
नगर में पालना घर की आवश्यकता-नपा अध्यक्ष ओमकुमारी
नपा अध्यक्ष ओमकुमारी-संजय साहू ने कहा कि, नगर में पालना घर की आवश्यकता महसूस की जा रही है। कामकाजी महिलाओं को पालना घर के अभाव में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बच्चों का सही देखभाल एवं सुरक्षा के लिए नगर में एक पालना घर होना अनिवार्य है। बहुत जल्द ही पालना घर के प्रस्ताव बनाकर महिला एवं बाल विकास विभाग को भेजा जाएगा। एवं विधायक इंद्रकुमार साहू जी से पालना घर के निर्माण के लिए आग्रह किया जाएगा। मुझे आशा है कि बहुत ही जल्द नगर में सुविधायुक्त युक्त पालना घर का निर्माण होगा।
कामकाजी माताओं के बच्चों की देखभाल के लिए पालना घर आवश्यक- संध्या राव
नगर पालिका नवापारा की नेता प्रतिपक्ष संध्या राव ने कहा कि, नगर में बहुत सी सुविधाओं की दरकार है। नगर में एकल परिवार की बढ़ती संख्या के परिणामस्वरूप बच्चों की सुरक्षा एवं उचित देखभाल के लिए पालना घर की अनिवार्य आवश्यकता है। बहुत सी कामकाजी माताओं को अपनी नौकरियों से लम्बी अवकाश लेनी पड़ती है। निजी संस्थानों में कार्य करने वाली माताओं को नौकरी छोड़नी पड़ती है। समाजसेवा, व्यापार एवं राजनीति में कार्य करने वाले माताओं को अपने बच्चों को कुछ घंटे एक सुरक्षित स्थान में छोड़ने की आवश्यकता होती है। जिसके लिए पालना घर उचित स्थान होगा। ऐसे में नगर में सर्वसुविधायुक्त पालना घर की अनिवार्य आवश्यकता है। जिसके लिए नपा अध्यक्ष चर्चा कर जल्द ही पालना घर खुलवाने के लिए प्रयास किए जाएंगे। यदि आवश्यकता पड़ी तो मुख्यमंत्री से पालना घर निर्माण के लिए गुहार लगाई जाएगी।
पालकों को निश्चिंतता एवं बच्चों को देखभाल मिलेगा-योगिता सिन्हा
भाजपा नेत्री योगिता सिन्हा ने कहा कि, पालना घर की कमी कुछ वर्षों से महसूस की जा रही है। पालना घर बच्चों के लिए एक सुरक्षित स्थान है। जहां कामकाजी माताएं निश्चिंत होकर बच्चों को छोड़ सकती है। चुकी बच्चों की देखभाल का जिम्मा महिलाओं के हाथ में रहेगा। इसलिए भी पालकों में निश्चिंतता रहेगी। कामकाजी महिलाएं अपने काम को पूरा मन लगाकर कर सकती है। स्व-सहायता समूह के माध्यम से पालना घर का संचालन किए जाने से महिलाओं को रोजगार एवं आय के अवसर प्राप्त होगा। पालना घर से पालकों में निश्चिंतता, स्व सहायता समूह को कार्य एवं आय एवं बच्चों को उचित देखभाल मिलेगा। मेरी प्रशासन से मांग है कि नगर के बीच स्थान का चयन कर जल्द पालना घर का निर्माण किया जाए।