नशा मुक्त समाज की ओर एक कदम: तीन दिवसीय प्रशिक्षण का समापन, SPYM और यूनिसेफ सहित कई संस्थाओं की सहभागिता
एससीईआरटी रायपुर में आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में राज्य के शिक्षक प्रशिक्षकों को नशा मुक्त समाज के निर्माण हेतु जागरूक और सशक्त बनाने पर जोर दिया गया।
शिक्षक प्रशिक्षकों को नशा मुक्त समाज के निर्माण हेतु जागरूक और सशक्त बनाने पर जोर दिया गया
बेमेतरा। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार और एससीईआरटी छत्तीसगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में 'नशा मुक्त समाज' की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए तीन दिवसीय राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन 28 से 30 मई 2025 तक रायपुर स्थित एससीईआरटी में किया गया। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य राज्य के शिक्षक-प्रशिक्षकों को मादक पदार्थों के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करना तथा उन्हें अपने विद्यार्थियों को मार्गदर्शन देने हेतु सशक्त बनाना था।
कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से आए 40 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। बेमेतरा जिले से डाइट के वरिष्ठ व्याख्याता जी. एल. खुटियारे और थलज कुमार साहू की प्रस्तुति ने जिले को विशिष्ट पहचान दिलाई। कार्यक्रम की संयोजक प्रीति सिंग ने बच्चों में शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य के प्रति सजगता की आवश्यकता पर बल दिया।
मादक पदार्थों का सेवन लगातार बढ़ता जा रहा
एसपीवाईएम (SPYM) के रिसोर्स पर्सन मनीष कुमार ने बताया कि हालिया सर्वेक्षणों के अनुसार छत्तीसगढ़ में मादक पदार्थों का सेवन लगातार बढ़ रहा है, जो अत्यंत चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि नशामुक्त समाज निर्माण के लिए बच्चों में आत्म-जागरूकता, निर्णय लेने की क्षमता, और 'ना' कहने का साहस विकसित करना आवश्यक है।
नशाखोरी एक वैश्विक समस्या
एससीईआरटी के अतिरिक्त संचालक जे. पी. रथ ने कहा कि नशाखोरी एक वैश्विक समस्या बन चुकी है, और इसका मुकाबला करने के लिए तंबाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना की जानी चाहिए। उन्होंने शिक्षकों से आह्वान किया कि वे विद्यार्थियों को इस दिशा में जागरूक करें और उन्हें सही दिशा दिखाएं।
प्रमुख उपस्थितजनों में शामिल थे
अनामिका जैन, उप पुलिस अधीक्षक, रायपुर
डॉ. शैलेन्द्र सिंह एवं विलेश राव, स्वास्थ्य विभाग
बिलाल अहमद, प्रशांत पांडेय, छाया कुंवर, चेतना, रमेश – विभिन्न सहयोगी संगठनों से
डॉ. सीमा श्रीवास्तव, हेमंत साव, डेकेश्वर वर्मा – एससीईआरटी रायपुर
कार्यशाला में केस स्टडी, समूह चर्चा, और व्यावहारिक उदाहरणों के माध्यम से शिक्षकों को यह सिखाया गया कि वे बच्चों को नशे के दुष्परिणामों से कैसे बचा सकते हैं। यह प्रशिक्षण न केवल ज्ञानवर्धक रहा बल्कि एक सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन की दिशा में ठोस कदम भी सिद्ध हुआ।