चक्रधर समारोह में छत्तीसगढ़ी लोकनृत्यों की धूम: छात्रों ने करमा और कलसा नृत्य की दी प्रस्तुति, झूम उठे दर्शक

रायगढ़ जिले में 40वें चक्रधर समारोह के चौथे दिन छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति का अनोखा रंग देखने को मिला।

By :  Ck Shukla
Updated On 2025-08-31 15:16:00 IST

लोकनृत्य प्रस्तुत करते हुए छात्र-छत्राएं 

अमित गुप्ता - रायगढ़। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में परंपरा, आस्था और संस्कृति का संगम तब देखने को मिला है। 40वें चक्रधर समारोह के चौथे दिन मंच पर छत्तीसगढ़ी लोकनृत्यों की मनमोहक प्रस्तुति हुई है। इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के छात्रों ने सिर पर कलश रखकर अद्भुत कलसा नृत्य पेश किया तो दर्शक तालियों से गूंज उठे।

गणपति जगवंदन और गजानन स्वामी के जयकारों से आरंभ हुए इस कार्यक्रम में ठीसकी, चटकोला, रैला-रीना और करमा जैसे पारंपरिक लोकनृत्यों की झलक ने लोगों को छत्तीसगढ़ की लोकआस्था और जीवनशैली से रूबरू कराया। डॉ. दीपशिखा पटेल के निर्देशन और प्रो. राजन यादव के मार्गदर्शन में हुए इस आयोजन ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति अपने रंग और रास से हर किसी का मन मोह लेती है।

चक्रधर समारोह में गूंजी सितार की धुन
रायगढ़ में आयोजित चक्रधर समारोह के चौथे दिन मंच पर सितार की जादुई तानें गूंजी। इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ की कुलपति और देश की प्रख्यात सितार वादक प्रो. डॉ. लवली शर्मा ने अपनी मनमोहक प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। इस दौरान श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट से किया डॉ. शर्मा का उत्साहवर्धन।

15 वर्ष की उम्र में प्रो. डॉ. लवली शर्मा ने ली सितार की शिक्षा
प्रो. डॉ. लवली शर्मा ने 15 वर्ष की उम्र में अपनी गुरु श्रीमती वीणाचंद्रा से सितार की शिक्षा ली है। उन्होंने कोलकाता के प्रसिद्ध सितार वादक श्री कल्याण लहरी से उच्च प्रशिक्षण प्राप्त किया है। लवली शर्मा आगरा विश्वविद्यालय में संगीत में स्नातकोत्तर के दौरान गोल्ड मेडलिस्ट भी रहीं हैं। उन्होंने 1986 में बड़ौदा विश्वविद्यालय से पीएचडी हासिल की है।

कला भूषण सम्मान से हैं विभूषित
प्रो. डॉ. लवली शर्मा वर्तमान में छत्तीसगढ़ के इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ की कुलपति हैं। शर्मा ने देश-विदेश के प्रतिष्ठित मंचों पर शास्त्रीय प्रस्तुतियां दी है। उनके इस कला के लिए कला भूषण समेत कई सम्मान प्राप्त भी हुए हैं।

Tags:    

Similar News