महिला दिवस विशेष : अंतरराष्ट्रीय तलवारबाजी में रजत पदक जीतकर लौटी मजदूर की बेटी रुपाली साहू

जदूर की बेटी रुपाली साहू ने कमाल करते हुए कामनवेल्थ तलवारबाजी चैंपियनशिप में सिल्वर मैडल जीता है। यह प्रतियोगिता न्यूजीलैंड के क्राइस्ट चर्च में खेली गई थी।

Updated On 2025-03-08 12:07:00 IST
Rupali Sahu

बिलासपुर। तमाम अभावों को दूर करते हुए रुपाली साहू ने यह बता दिया है कि मन से ठान लिया जाए तो कुछ भी असंभव नहीं है। मजदूर की बेटी रुपाली साहू ने कमाल करते हुए कामनवेल्थ तलवारबाजी चैंपियनशिप में सिल्वर मैडल जीता है। यह प्रतियोगिता न्यूजीलैंड के क्राइस्ट चर्च में खेली गई थी। यहां तक पहुंचने के लिए लेकिन रूपाली को विदेशी खिलाड़ियों के साथ ही अपनी आर्थिक परेशानियों से भी जूझना पड़ा। न्यूजीलैंड जाने के लिए उन्हें करीब 5 लाख रुपए की जरूरत थी, इसके लिए उनके पिता राजेन्द्र साहू ने उधार लिया और बेटी को खेलने भेजा। पिता के मुताबिक पढ़ाई के लिए लोग लोन या कर्ज लेते हैं तो क्या खेलने के लिए उधार नहीं लिया जा सकता।

रुपाली ने बताया कि,  खेल मंत्री टंकराम वर्मा ने भी सहयोग राशि दी है और विदेश भेजने में मदद की। कॉमनवेल्थ तलवारबाजी चैंपियनशिप न्यूजीलैंड में खेली गई। इस प्रतियोगिता में भारत के साथ ही मेजबान न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, स्काटलैंड सहित आठ देशों की टीमों ने हिस्सा लिया। भारत ने टीम चैंपियनशीप में रजत पदक जीता। फाइनल में टीम को इंग्लैंड से हार का सामना करना पड़ा। इससे पहले भारत ने सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को हराया था। भारत की टीम में रुपाली के अलावा 4 और सदस्य थीं। अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी एवं कोच अभिषेक दुबे ने बताया कि रुपाली का चयन राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता एवं गोवा में आयोजित हुए 37 वें राष्ट्रीय खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के आधार पर किया गया था।

तलवारबाजी के इक्यूमेंट काफी महंगे 

चिंगराजापारा के छोटे से घर या उसे झोपड़ी कहें में रहने वाली रुपाली ने बताया कि कामनवेल्थ में जाने से पहले एक महीने तक पटियाला में आयोजित विशेष कैंप में प्रशिक्षण लिया। रुपाली के सामने लेकिन आर्थिक परेशानी थी। इसमें वीजा से लेकर आने जाने और दूसरे खर्चे शामिल थे। रुपाली ने बताया कि जब वे नेशनल खेलने जा रहीं थी तो उसके बाद बेहतर तलवार नहीं था। कोच ने उन्हें अपना तलवार दिया और उससे खेलकर उन्होंने सिल्वर मैडल प्राप्त किया। रुपाली बताती हैं कि तलवारबाजी के इक्यूमेंट काफी महंगे आते हैं इसलिए कई बार परेशानी हुई लेकिन सबसे कम कीमत का जो तलवार और दूसरे सामान आते हैं उसे खरीदकर मैदान में उतरती थीं।

12 नेशनल और 14 स्टेट गेम्स में पदक 

रुपाली ने बताया कि,  वह 12 साल की उम्र से तलवारबाजी खेल रही हैं। फिलहाल उनकी उम्र 16 साल है और 12 वीं कक्षा की छात्रा है। पिछले 5 सालों में रुपाली ने 12 नेशनल और 14 स्टेट गेम्स में खेलते हुए पदक जीता है। नेशनल गेम्स में उन्होंने सब जूनियर और जूनियर वर्ग में सिल्वर मेडल प्राप्त किया है। रुपाली के पिता राजेन्द्र साहू मिस्त्री है जो कि दिहाड़ी पर काम करते हैं। मां गृहणी है। एक छोटा भाई है जो कि 9 वीं पढ़ता है। आर्थिक परेशानियों से जूझझाते हुए रुपाली ने पढ़ाई के साथ अपने खेल को जारी रखा। रुपाली बताती हैं कि मैदान पर साथी खिलाड़ियों से उन्हें काफी सहयोग मिला। छोटी-छोटी बचत के सहारे उन्होंने पैसा जमा किया और खेल के सामान खरीदे।

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