अनूठी सुनवाई : 8 साल बाद बच्ची ने सुनी पिता की आवाज, पलभर के लिए स्तब्ध, फिर कहा जाति प्रमाणपत्र बनवा दो पापा 

राज्य बाल संरक्षण आयोग में सुनवाई के दौरान एक ऐसा मामला सामने आया, जो लोगों को भावुक कर गया।

Updated On 2025-03-05 11:34:00 IST
State Child Protection Commission

रायपुर। राज्य बाल संरक्षण आयोग में सुनवाई के दौरान एक ऐसा मामला सामने आया, जो लोगों को भावुक कर गया। 8 साल बाद एक बच्ची को उसके पिता ने बाल आयोग के कहने पर फोन लगाया और कहा कि बेटा मैं तेरा पापा बोल रहा हूं। जीवन में पहली बार पिता की आवाज सुनकर नन्ही बच्ची थोड़ी देर के लिए स्तब्ध हो गई। उसे विश्वास ही नहीं हुआ, जन्म से लेकर अब तक जिस पापा को न कभी उसने देखा, न उसके बारे में कभी सुना, वो उनसे फोन पर कह रहे मैं तेरा पापा बोल रहा हूं। फिर धीरे से बोली पापा मेरा जाति प्रमापपत्र बनवा दो स्कूल में मैडम मुझे बहुत डांटती है। पिता गजेन्द्र ने बच्ची को भरोसा दिलाया कि होली पर वह उससे मिलने आयेगा। बच्ची ने पापा से कहा, अच्छे-अच्छे कपड़े और बहुत सारा पैसा लाना।

दरअसल, गजेन्द्र नवरंग विवाह के कुछ महीनों बाद से आपसी दुराव के कारण अपनी पत्नी से अलग रह रहे हैं। उनकी 8 वर्षीय बेटी निकिता ने अपने पिता को देखा ही नहीं। खपरी निवासी निकिता की मां संध्या नवरंग ने राज्य बाल संरक्षण आयोग में आवेदन लगाया कि उनकी बेटी का जाति प्रमाणपत्र नहीं बन पा रहा है, क्योंकि उसके पिता गजेन्द्र नवरंग विवाह के कुछ माह बाद से ही अलग रह रहे हैं। आवश्यक दस्तावेज देने में सहयोग नहीं कर रहे। इससे बच्ची की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। आयोग ने इस संवेदनशील मामले को गंभीरता से लिया और इसे पंजीकृत किया। बाल संरक्षण आयोग के सोनल कुमार गुप्ता ने बताया कि आयोग की सुनवाई के दौरान ऐसा मार्मिक दृश्य आया कि इसे याद कर मन भावुक हो जाता है।

पति-पत्नी के विवाद में नन्ही बच्ची का क्या दोष 

किस तरह पति-पत्नी के आपसी मन-मुटाव का असर बच्चों के जीवन पर पड़ता है। आयोग ने इस मामले को प्रमुखता से लेते हुए थाना प्रभारी मुजगहन के माध्यम से बच्ची निकिता के पिता गजेन्द्र को नोटिस जारी कर उपस्थित होने का निर्देश दिया। 3 मार्च 2025 को गजेन्द्र अपने अधिवक्ता के साथ सभी दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतिलिपि लेकर आयोग के समक्ष प्रस्तुत हुआ। सुनवाई के दौरान पीठासीन सदस्य सोनल गुप्ता ने गजेन्द्र को फटकार लगाते हुये कहा कि एक पिता होते हुए भी अपनी बच्ची की जरूरत को क्यों नजर अंदाज कर रहा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पति-पत्नी के विवाद में नन्ही बच्ची का क्या दोष। बच्चों के अधिकार का हनन आयोग स्वीकार नहीं करेगा। गजेन्द्र ने स्वीकार किया कि उसने अब तक अपनी बेटी से मुलाकात नहीं की। आयोग चकित रह गया और फिर निकिता के पिता को अपनी बेटी से फोन पर बात करने के लिए कहा गया। पीठासीन सदस्य सोनल गुप्ता ने पिता-पुत्री के फोन पर वार्तालाप को वीडियो में रिकार्ड किया। इस तरह बाल आयोग के प्रयास से एक बच्ची को उसका पिता मिल पाया।

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