खास बातचीत : आईबी ग्रुप के एमडी बहादुर अली बोले- छत्तीसगढ़ बनेगा अब प्रोटीन और पोल्ट्री का हब

Exclusive: हरिभूमि और आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी की आईबी ग्रुप के एमडी बहादुर अली से खास बातचीत। यहां देखें वीडियो-

Updated On 2025-04-08 12:28:00 IST
हरिभूमि और आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी की आईबी ग्रुप के एमडी बहादुर अली से खास बातचीत

रायपुर। अब तक दक्षिण को ही पोल्ट्री का हब माना जाता है, लेकिन अब यह सब बदलने वाला है। हम छत्तीसगढ़ को प्रोटीन और पोल्ट्री का हब बनाने वाले हैं। इसके लिए काम चल रहा है। हम रायपुर में दो दिनों का सेमिनार भी कर रहे हैं। इसमें छह हजार किसान आएंगे, उन्हें नई तकनीक के बारे में बताएंगे। ये बाते हरिभूमि और आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी से आईबी ग्रुप के एमडी बहादुर अली ने कही। प्रस्तुत है, उनके साथ हुई बातचीत के अंश। 

जहां से चले थे, जहां पहुंचे हैं लोगों को चौकाते हैं या खुद भी चौक जाते हैं? 

एक सोच थी गांव में रहकर गांव का विकास करना चाहिए। गांव में रहकर छोटे किसानों को आगे लाने का काम किया है। हमने न सिर्फ आईबी ग्रुप को बढ़ाया है, बल्कि देश के किसानों को भी अपने साथ जोड़ा है। हमारे साथ आज 15 हजार किसान हैं। ये सेमीनार इनके लिए ही किया जा रहा है। जिन किसानों ने अच्छा किया है, उनको बुलाया जा रहा है। रायपुर में होने वाले सेमीनार में छह हजार किसानों को बुलाया जा रहा है। जो नई तकनीक आ रही है, उसके बारे में भी किसानों को बताना है।

आज देश के हर राज्य में काम कर रहे हैं, इसका उद्देश्य क्या है, किस स्वरूप को लेकर काम कर रहे हैं? 

जब हमने काम प्रारंभ किया था तो हमारा मकसद भी पैसा कमाना ही था। 2012 के बाद पोल्ट्री का तरीका बहुत बदल गया। देश को विकसित पोल्ट्री राष्ट्र बनाना है तो इसके लिए गांव-गांव के किसानों को जोड़ना होगा। यही काम हमने किया। गांव-गांव के किसानों को हमने जोड़ा। हमारा व्यापार भी अब बिजनेस सेक्टर के नाम से जाना जाता है। किसानों को व्यापार में फायदा दिया जाता है। बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसा दिया जाता है। उनको ऋण भी दिया जाता है।  

लोग तरक्की पाने के बाद अपना हेडक्वार्टर बड़े शहर में ले जाते हैं, लेकिन आपका हेड क्वार्टर आज भी राजनांदगांव में है? 

कहते हैं न अपनी मातृभूमि से प्रेम होना चाहिए। उस स्थान से जहां से आपकी ग्रोथ हुई है, जहां के लोगों का आपसे लगाव है, उस स्थान को छोड़ना नहीं चाहिए। मुझे कभी नहीं लगा कि मैं राजनांदगांव छोड़कर मुंबई जाऊं, दिल्ली जाऊं या कोलकाता जाऊं।  दिल में एक जुनून है कि राजनांदगांव और छत्तीसगढ़ आगे बढ़ना चाहिए, उसके लिए ही काम करते हैं। हमारे राजनांदगांव के आफिस में आकर किसी को यह नहीं लगता है कि यहां कोई कमी है। हमने सभी सुविधाएं यहां पर देकर रखी है।

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कितने लोगों को काम दिया है आपने? 

आईबी ग्रुप आज बहुत संतुष्ट है क्योंकि हमारे ग्रुप से 15 से 18 हजार लोग जुड़े हुए हैं। राजनांदगांव के ही आठ हजार लोग जुड़े हुए हैं। राजनांदगांव में प्रशिक्षण भी देते हैं। इसके लिए हमने ट्रेनिंग सेंटर बनाया है।

प्रोटीन को लेकर आप हमेशा बात करते हैं, अपने देश के लोगों में प्रोटीन की कमी है, इसके बारे में कुछ बताएंगे? 

जब में व्यापार में आया तो ऐसा व्यापार करना चाहता था जिसमें आबादी बढ़े तो व्यापार बढ़े। हमने जब सर्च किया तो प्रोटीन पर आए। प्रोटीन ही भारत और सभी देशों का भविष्य है। तो इसी से जुड़े पोल्ट्री व्यवसाय को चुना। एक सस्ता प्रोटीन हमने गांव-गांव तक पहुंचाने की कोशिश की है।

प्रोटीन के लिए चिकन और अंडों को ही क्यों चुना, हमारे देश में शाकाहारी बहुत ज्यादा हैं, उनके बारे में कुछ नहीं सोचा है? 

उनके भी सोचा है, हमने सोया और सोयाबीन बडी लाने का भी काम किया है। 

सरकारें परेशान करती रहीं या सरकारों से मदद लेकर आगे बढ़ते रहे? 

आईबी ग्रुप की ग्रोथ सबके सहयोग मिलने के कारण ही हुई है। 

दूसरे राज्यों में भी आप काम करते हैं, कहां का तरीका सबसे अच्छा है? 

छत्तीसगढ़ ही सबसे अच्छा है। हमारा जो कल से सेमिनार हो रहा है, उसमें विकसित भारत पोल्ट्री का लक्ष्य है। हम विकसित छत्तीसगढ़ पोल्ट्री हब बनाने जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ अब प्रोटीन और पोल्ट्री का हब बनेगा। 

परिवर्तन योजना क्या है? 

हमने एक परिवर्तन हाउस बनाया है। इसमें तापमान को भी फिक्स किया जाता है। गांव-गांव में ऐसे सौ से ज्यादा हाउस बना चुके हैं। सब्सिडी देकर किसानों को इसमें आगे बढ़ाया है। परिवर्तन योजना से देश में बड़ा परिवर्तन आने वाला है। 2035 तक पूरे देश में विकसित पोल्ट्री राष्ट्र बनाने के लिए ही यह योजना है। इस योजना में उत्पादन भी बढ़ेगा और किसानों की आय में भी इजाफा होगा। 

बर्ड फ्लू को रोकने का कोई उपाय है? 

परिवर्तन हाउस से ही इसको रोका जा सकता है। 

दो दिवसीय आयोजन का मकसद क्या है? 

जिन किसानों के कारण हम आज सफल हो रहे हैं, उनको सेमीनार में नई तकनीक के बारे में जानकारी देकर उनको और मजबूत करना है।

 

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