NMDC आरएंडडी सेंटर और RDCIS के बीच समझौता : कई महत्वपूर्ण पहलों पर मिलकर करेंगे काम, उद्योग में नवीनतम प्रगति को अपनाने में आएगी तेजी 

जगदलपुर NMDC आरएंडडी सेंटर और RDCIS सेल के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। समझौता से स्टील उद्योग में कई नवीनतम चीजों में तेजी आएगी।

Updated On 2025-02-10 13:34:00 IST
NMDC आरएंडडी सेंटर और RDCIS सेल के बीच हुआ समझौता ज्ञापन

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के NMDC आरएंडडी सेंटर और RDCIS सेल ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। जिसका उद्देश्य स्टील उद्योग के विकास और तकनीकी उन्नति को गति देना है। इस समझौते के तहत, दोनों संगठन कई महत्वपूर्ण पहलों पर मिलकर काम करेंगे। इसके अतिरिक्त, दोनों संगठन तकनीकी जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे। जिससे ज्ञान-साझा करने और उद्योग में नवीनतम प्रगति को अपनाने में तेजी आएगी।

यह समझौता एनएमडीसी के निदेशक (तकनीकी) विनय कुमार, अधिशासी निदेशक ( आर.पी एवं पर्यावरण और रेड) एम जयपाल रेड्डी और आरडीसीआईएस, सेल के सीजीएम पी. पाठक ने किया है। इस साझेदारी से खनिज प्रसंस्करण और कोयला उपयोग में नवाचार लाने के साथ-साथ उन्नत बेनेफिशिएशन तकनीकों के विकास पर केंद्रित है। साथ ही जिससे निम्न और दुर्बल-ग्रेड के लौह अयस्क को अपग्रेड कर कोयले की प्रसंस्करण क्षमता में सुधार किया जा सकेगा।

नवीनतम प्रगति में आएगी तेजी 

इसमें लौह अयस्क और चूना पत्थर का सूखा बेनेफिशिएशन, कोयले की प्रवाह क्षमता में सुधार कर च्यूट जामिंग को कम करना, और कोयले के कार्बनाइजेशन व परीक्षण पर शोध करना शामिल है। इसके अतिरिक्त, दोनों संगठन तकनीकी जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे ताकि ज्ञान-साझा करने और उद्योग में नवीनतम प्रगति को अपनाने में तेजी आ सके।

एमओयू के दौरान दोनों संगठन के अधिकारी

लक्ष्य को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा- निदेशक 

इस मौके पर NMDC के निदेशक (तकनीकी) विनय कुमार ने कहा कि, हम देश की आर्थिक प्रगति और आत्मनिर्भरता में योगदान देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। भारत में 2030 तक 300 मिलियन टन क्रूड स्टील उत्पादन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य प्राप्त करने के लिए, निम्न और दुर्बल-ग्रेड के लौह अयस्क का सही उपयोग बेहद आवश्यक है। यह समझौता इस लक्ष्य को साकार करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

तकनीकी विकास को मिलेगा बढ़ावा 

इस रणनीतिक साझेदारी के जरिए एनएमडीसी का लक्ष्य न केवल संसाधनों की दक्षता में सुधार करना है, बल्कि परिचालन प्रक्रियाओं को अधिक कुशल बनाना और भारत के स्टील क्षेत्र की समग्र प्रगति में योगदान देना है। यह सहयोग न केवल तकनीकी विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि देश की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और औद्योगिक विकास में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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