अटल विवि में एक करोड़ की गड़बड़ी: उच्च शिक्षा विभाग ने जब्त किए दस्तावेज
खरीदी बिक्री नियमों की अवहेलना के साथ ही जैम पोर्टल के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय द्वारा खरीदी की गई।
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बिलासपुर। खरीदी बिक्री नियमों की अवहेलना के साथ ही जैम पोर्टल के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय द्वारा खरीदी की गई। हरिभूमि ने मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बाद अब उच्च शिक्षा एक करोड़ से अधिक की संचालनालय ने इस मामले में जांच के लिए एडिशनल डायरेक्टर केके तिवारी के नेतृत्व में तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय जांच टीम बनाई है। टीम में दो अन्य सदस्य गोवर्धन यदु (सहायक संचालक), महेश साहू (वित्त अधिकारी) शामिल थे। टीम शुक्रवार को बिलासपुर पहुंची और एयू में चार घंटे तक दस्तावेजों की जांच की। विवि से इस बारे में जवाब भी मांगा गया और अधिकारियों से पूछताछ भी की गई। जांच टीम ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रबंधन के जिन अधिकारियों ने इस पूरी प्रक्रिया को क्लियरेंस दिया, वे भी जांच के दायरे में होंगे।
दरअसल, एक करोड़ रुपए अधिक की खरीदी की खास बात रही कि इसमें विभाग और अधिकारी का अता पता नहीं नहीं है। खरीदने वाले के नाम पर बस फाइनेंस ऑफिसर लिख दिया गया है। वित्तीय स्वीकृति देने वाले की जगह रजिस्ट्रार लिखा है। यह दोनों अधिकारी किस संस्था या विभाग के हैं पूरी खरीदी बिक्री में कहीं कुछ नहीं लिखा है। यही नहीं जांजगीर चांपा जिले के बनारी गांव के एक छोटे से स्टार्टअप कंपनी से पूरी खरीदी की गई है। पूरी खरीदी बिक्री में यह कहीं भी नहीं दर्शाया गया है की खरीदी कहां और किस चीज के लिए हो रही है। सबसे बड़ी बात कि छग के बड़े शहरों और बड़ी कंपनियों को छोड़कर जांजगीर के एक गांव से इस तरह की खरीदी सवालों के घेरे में है।
जानबूझकर टेंडर में कई शर्तें जोड़ी गईं
हरिभूमि ने जब इस मामले में पड़ताल की तो पाया कि इन फर्मों की मालिकाना संरचना एक ही व्यक्ति से जुड़ी है और इसने जैम पोटल पर अलग-अलग पहचान देकर खरीद का फॉर्मेट तैयार किया। साथ ही निविदा प्रक्रिया में ऐसे शर्तें जोड़ी गईं, जो केवल संबंधित सप्लायरों के पास ही उपलब्ध थीं। इस पद्धति से जेम पोर्टल की मूल भावना को ही दरकिनार कर दिया गया।
जांच दल को दिए गए दस्तावेज
अटल यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार तारणीश गौतम ने बताया कि, उच्च शिक्षा संचालनालय ने इस मामले में जांच के लिए एडिशनल डायरेक्टर केके तिवारी के नेतृत्व में तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय जांच टीम बनाई है। टीम में दो अन्य सदस्य गोवर्धन यदु (सहायक संचालक), महेश साहू (वित्त अधिकारी) शामिल थे। टीम शुक्रवार को बिलासपुर पहुंची थी। विवि की ओर से सारे दस्तावेज जांच टीम को उपलब्ध करा दिए गए हैं।
इस तरह की गई गड़बड़ी
अटल बिहारी वाजपेयी यूनिवर्सिटी द्वारा 15 अप्रैल को 2025 को जैम पोर्टल के माध्यम से बिना निविदा किए एल 1 पद्धति से लगभग एक करोड़ के ऊपर की खरीदी की गई है जिसे तीन फर्मों को 26 क्रय आदेश एक ही दिन में जारी किए गए है। इसमें सागर इंडस्ट्रीज, जांजगीर, सिंघानिया ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज, जांजगीर और ओशन एंटरप्राइज, जांजगीर से पूरी खरीदी की गई। ठीक इसी प्रकार 19 अप्रैल 2025 को भी 6 क्रय आदेश और 28 अप्रैल 2025 को कार्य आदेश जारी हुए है जो इन्हीं फर्मों को दिए गए हैं। इसी वीरांगना रमोतीन गवर्नमेंट मॉडल कॉलेज, नारायणपुर, गवर्नमेंट कॉलेज, महासमुंद द्वारा भी इन्हीं तीन फर्मों से खरीदी की गई है।
20 अलग-अलग टेंडर जारी किए गए
हरिभूमि के पास उपलब्ध दस्तावेजों पर नजर डालें तो इस फर्नीचर की खरीदी लिए जैम पोर्टल पर विज्ञापन जारी किया। जांजगीर की इस कंपनी ने 45 लाख का सामान किस जगह पर सप्लाई की है उसकी कोई जानकारी किसी के पास नहीं है। टेबल, कुर्सी के साथ ही सोफा सेट और आलमारी की खरीदी की गई है। खास बात खबर है कि सारी खरीदी एक ही टेंडर में की जा सकती थी लेकिन इसके लिए 20 अलग अलग टेंडर जारी हुए। रिवर्स बीडिंग नियम से बचने के लिए 25 लाख की खरीदी एक साथ नहीं की गई और 2 लाख से लेकर 4 लाख तक के आर्डर दिए गए। सभी टेंडर दो ही दिन 15 अप्रैल और 19 अप्रैल को जारी किए गए और अनुबंध किया गया जबकि नियमों के मुताबिक तीन अलग-अलग कंपनियों से निविदा मंगाई जानी थी।