छत्तीसगढ़ बना म्यूल अकाउंट का हब : साइबर जालसाजों ने खड़ी की कंपनी, 5000 खाते ब्लॉक
साइबर पुलिस ने रायपुर के साथ दुर्ग तथा राजनांदगांव में कार्रवाई की है। म्यूल अकाउंट मामले में रेंज साइबर पुलिस चार बैंक कर्मी सहित अब तक 70 लोगों को गिरफ्तारी हुई है।
रायपुर। साइबर ठगी की घटना को अंजाम देने वाले जालसाजों के लिए मनी पार्किंग करने छत्तीसगढ़ सुरक्षित ठिकाना बन चुका है। केंद्रीय गृहमंत्रालय की रिपोर्ट पर रायपुर के साथ दुर्ग, राजनांदगांव साइबर पुलिस ने म्यूल अकाउंट के माध्यम से पिछले दो माह के भीतर 500 करोड़ रुपए से ज्यादा साइबर ठगी की रकम छत्तीसगढ़ के अलग-अलग लोगों के बैंक अकाउंट के माध्यम से ट्रांसफर होने का खुलासा किया। रायपुर में बाकायदा जालसाजी का पैसा ठिकाने लगाने कंपनी बनाई गई थी। साइबर जालसाजों की रकम सुरक्षित करने कंपनी बनाने का देश में संभवतः पहला मामला है। एएसपी क्राइम संदीप मित्तल के अनुसार रायपुर के विभिन्न बैंकों में खोले गए पांच हजार से ज्यादा संदिग्ध म्यूल अकाउंट की पहचान कर ब्लाक कराने का काम किया गया। इनमें कई ऐसे बैंक अकाउंट हैं, जिसमें खाता धारक का नाम तो है, लेकिन धरातल पर उसके बारे में बैंक अफसरों तक को जानकारी नहीं है।
खास खबर साइबर पुलिस ने रायपुर के साथ दुर्ग तथा राजनांदगांव में कार्रवाई की है। छत्तीसगढ़ के रास्ते ठगों के अकाउंट में विदेश में पैसा ट्रांजेक्शन होने के प्रमाण मिले हैं। म्यूल अकाउंट मामले में रेंज साइबर पुलिस चार बैंक कर्मी सहित अब तक 70 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। इसी तरह से दुर्ग पुलिस ने 23 राजनांदगाव पुलिस ने चार लोगों को म्यूल अकाउंट मामले में गिरफ्तार किया है। म्यूल अकाउंट का इसलिए बना हब छत्तीसगढ़ के म्यूल अकाउंट हब बनने की जो वजह निकलकर सामने आई है, उसके मुताबिक पूर्व में महादेव सट्टा की रकम ठिकाने लगाने किराए पर बड़े पैमाने पर बैंक अकाउंट खुलवाए गए थे। इसके बाद से साइबर ठग ने छत्तीसगढ़ में अलग-अलग लोगों से संपर्क कर ठगी की रकम ठिकाने लगाने बड़े पैमाने पर म्यूल अकाउंट खुलवाने का काम किया। पुलिस को आशंका है कि राज्य के अलग-अलग जिलों में हजारों की संख्या में जालसाज अब भी म्यूल अकाउंट के माध्यम से ठगी की रकम का ट्रांजेक्शन कर रहे हैं।
फर्जी कंपनी खोलकर 429 करोड़ ठिकाने लगाए
देश के अलग-अलग राज्यों में ऑनलाइन ठगी की घटना को अंजाम देने वाले जालसाजों की रकम को ठिकाने लगाने दिल्ली के शातिर संदीप रात्रा तथा रायपुर निवासी राजवीर सिंह ने धमतरी रोड स्थित प्रोग्रेसिव पाइंट में सीए की मदद से क्रोमा शिपिंग एंड लॉजिस्टिक्स कंपनी के नाम से फर्जी कंपनी खड़ी की। फर्जी कंपनी खोलने के बाद जालसाजों ने अलग-अलग लोगों के नाम से बैंक अकाउंट खुलवाकर देश के अलग-अलग राज्य से साइबर ठगी के 429 करोड़ रुपए अकाउंट में ट्रांसफर कराए। इसके बाद उन ठगी की रकम को फॉरेक्स ट्रेडिंग के माध्यम से सिंगापुर तथा थाईलैंड ट्रांसफर कर चीन में बैठे हैंडलर के पास भेजने का काम किया।
इसलिए लालच में फंस रहे लोग
उस अकाउंट को म्यूल अकाउंट कहा जाता है, जिसमें किसी दूसरे के अकाउंट से मनी लांड्रिंग सहित ठगी की रकम तथा अनैतिक गतिविधियों से प्राप्त रकम का ट्रांजेक्शन किया जाता है। शातिर लोगों को उनके अकाउंट किराए पर लेने के एवज में मोटी रकम कमीशन देने का झांसा देकर खाताधारक के अकाउंट, बैंक पासबुक, चेक के साथ एटीएम अपने कब्जे में लेकर अपने हिसाब से अकाउंट का दुरुपयोग करते हैं।
कंबोडिया से हो रहा था संचालन
राजनांदगांव एसपी मोहित गर्ग ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के पोर्टल पर राजनांदगांव पुलिस की सराहना की गई है। राजनांदगांव पुलिस ने एक अभियान चलाकर चार आरोपियों को पकड़ा है। कंबोडिया से फर्जी अकाउंट * का संचालन हो रहा था, ऐसे 80 अकाउंट की पहचान की गई है। अब तक 10 करोड़ की ठगी के मामले का खुलासा हुआ है।
कंबोडिया के रास्ते चीन भेजी गई रकम
राजनांदगांव साइबर पुलिस ने ठगी की रकम ट्रांसफर करने के आरोप में श्रेणीक कुमार संघ वी, आशुतोष शर्मा, दीपक तिवारी तथा दीपक नारेडी को गिरफ्तार किया है। इन लोगों ने रूपेश साहू तथा उनके परिवार के लोगों को झांसे में लेकर उनके अकाउंट अपने कब्जे में ले लिया। बैंक में अकाउंट फ्रीज होने पर रूपेश ने इसकी शिकायत पुलिस के पास की। पूछताछ में आशुतोष ने पुलिस को बताया कि वो गुजरात में एक कैसिनो कॉल, स्कैम संचालित होने वाले सेंटर गए थे। वहां उनकी मुलाकत गुजरात में सांघवी से हुई। इसके बाद सांघवी के कहने पर वे लोग कमीशन लेकर ठगी की रकम कंबोडिया के हैंडलरों के माध्यम से चीन भेजते थे। बदले में उन्हें चार से नौ प्रतिशत कमीशन मिलता था।