ममता ने रोकी आलू आपूर्ति : छत्तीसगढ़ में आलू के दाम, चिल्हर में 50 रुपए किलो

प्रदेश में एक दिन में करीब 50 ट्रक आलू की आवक होती है। छत्तीसगढ़ में पहाड़ी आलू की आवक बंगाल से होती है।

Updated On 2024-07-28 12:22:00 IST
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रायपुर। छत्तीसगढ में आलू के दाम आम आदमी का दम निकाल रहे हैं। आमतौर पर आलू 20 से 25 रुपए के बीच मिलता है। लेकिन अचानक इसके दाम 50 रुपए तक चले गए हैं। वजह है पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का एक फैसला। आलू की कम आवक को देखते हुए पश्चिम बंगाल ने दूसरे राज्यों को आलू आपूर्ति को बाधित कर दिया है। छत्तीसगढ़ में वहीं से पहाड़ी आलू आता है। वहीं उत्तर प्रदेश से आने वाले गोला और पहाड़ी आलू की कीमत कुछ कम है। यह 40 रुपए किलो बिक रहा है। लेकिन इसकी डिमांड बहुत कम रहती है। 

प्रदेश में एक दिन में करीब 50 ट्रक आलू की आवक होती है। यानी करीब हजार से 15 सौ टन। । लेकिन इस समय इससे आधी आवक ही हो रही है। आलू को हर सब्जी के लिए राजा माना जाता है। किसी भी सब्जी में आलू को मिलाकर बनाना आम बात है। इसी के साथ आलू की कीमत भी हमेशा आम रही है। आमतौर पर सामान्य समय में आलू थोक में 5 से 10 रुपए और चिल्हर में 15 से 20 रुपए रहता है। कई बार भारी आवक और ज्यादा पैदावार के कारण चिल्हर में आलू 8 से 10 रुपए में भी मिल जाता है। बहुत कम ऐसा होता है कि इसकी कीमत बढ़ती हो। कई अवसरों पर जब कीमत बढ़ती भी है तो यह 25 से 30 रुपए तक जाती है, लेकिन इसकी कीमत 40 से 50 रुपए तक बहुत कम पहुंचती है।

बंगाल के कारण कीमत ज्यादा

कारोबारियों के मुताबिक इस समय आलू की कीमत आसमान पर जाने का सबसे बड़ा कारण यह है कि छत्तीसगढ़ सहित देश के ज्यादातर राज्यों में पहाड़ी  आलू की आवक बंगाल से होती है। पिछले कुछ समय से बंगाल सरकार ने आलू की आवक पर रोक लगाने का काम कर दिया है। सरकार चाहती है कि पहले अपने राज्य में पूर्ति हो इसके बाद माल बाहर भेजा जाए। ऐसा होने से वहां से आलू की आवक पूरी तरह से बंद तो नहीं हुई है, लेकिन अधिकृत तौर पर जरूर आवक बंद है। चोरी-छुपे जरुर कुछ माल आ रहा है, लेकिन यह आवक आधी से भी कम है। ऐसे में कीमत आसमान पर चली गई है। रायपुर की थोक मंडी में कीमत 30 से 32 रुपए है। चिल्हर में इसकी कीमत 50 रुपए हो गई है।

30 के स्थान पर 10 ट्रक

बंगाल से रोज राजधानी रायपुर में और प्रदेश के अन्य बाजारों में रोज करीब 30 ट्रक आलू आते हैं। एक ट्रक में 25 से 30 टन माल रहता है। इसी तरह से उप्र से आने वाला गोला और पहाड़ी आलू रोज करीब 20 ट्रक आता है। बंगाल से चोरी-छुपे दस ट्रक ही आलू आ पा रहा है। उप्र से माल आने में परेशानी नहीं है। लेकिन उप्र का आलू आमतौर पर रायपुर और दुर्ग संभाग में नहीं चलता है।

आवक कम होने से कीमत में तेजी

 थोक आलू-प्याज व्यापारी संघ अध्यक्ष के अजय अग्रवाल ने बताया कि, पश्चिम बंगाल से आने वाले आलू की आवक कम होने के कारण कीमत में तेजी आई है। आवक सामान्य होने पर कीमत में कमी आ जाएगी।

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