साय सरकार के एक साल : सरकारी कामकाज में आई पारदर्शिता, आर्थिक विकास को मिली गति

छत्तीसगढ़ सरकार ने बीते एक सालों में राज्य के आर्थिक विकास को गति देने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। जिसे धरातल पर लागू करने का काम तेजी से किया जा रहा है।

Updated On 2024-12-25 15:08:00 IST
सीएम विष्णु देव साय

तरुणा साहू- रायपुर। छत्तीसगढ़ में भाजपा की विष्णुदेव साय सरकार ने अपने कार्यकाल के एक साल में विकास योजनाओं के लिए कई बड़े निर्णय लिए हैं। जिसके तहत विभिन्न क्षेत्रों में कई प्रोजेक्ट्स में तेजी से काम किया जा रहा है। सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाने में सरकार की पहल कारगर साबित हो रही है। जिससे राज्य की आर्थिक विकास की गति को रफ्तार मिल रही है। विभिन्न प्राधिकरणों के लिए बजट के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य जरुरी आवश्यकताओं को प्रतिबद्धता के साथ पूरा किया जा रहा है। 

आर्थिक सलाहकार परिषद का गठन

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की तर्ज पर राजधानी क्षेत्र और संबंधित प्राधिकरण की स्थापना की जाएगी। इसके लिए विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन तैयार करने की प्रक्रिया के लिए नवा रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण को अधिकृत किया गया है। आवास और पर्यावरण विभाग को प्रशासकीय विभाग बनाया गया है। इसके लिए राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष की बजट में 5 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। साथ ही आर्थिक सलाहकार परिषद का गठन करने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा उच्च शिक्षा मिशन की स्थापना की जाएगी। जिसके तहत IIT की तर्ज पर जशपुर, बस्तर, कबीरधाम, रायपुर और रायगढ़ में प्रौद्योगिकी संस्थानों का निर्माण किया जाएगा। 

आबकारी नीति में आई पारदर्शिता, घपले-घोटालों पर लगा विराम

पूर्ववर्ती सरकार ने आबकारी नीति में संशोधन कर लाइसेंस का नया नियम बनाकर शराब घोटाला किया गया था। नकली होलोग्राम के जरिये बिना स्कैनिंग के बिकने वाली शराब तैयार की गई थी। वर्ष 2019- 2022 तक 2161 करोड़ रुपये का शराब घोटाला किया गया है। इस संबंध में ईडी और एसीबी की कार्रवाई जारी है। विदेशी शराब के थोक बिक्री और भंडारण के लिए पूर्व में प्रचलित एफएल 10 एबी लाइसेंस की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है। वहीं अब सरकार ने सीधे विनिर्माता इकाईयों से विदेशी शराब की थोक बिक्री करने का निर्णय लिया गया है। राज्य में प्रति टन कोयला की आवाजाही पर 25 रुपए की अवैध उगाही कर 540 करोड़ रुपए का घोटाला किया गया। ईडी और एसीबी ने इस संबंध में कई लोगों पर मामला दर्ज कर कार्रवाई की है। खनिजों के परिवहन में पारदर्शिता के लिए खनिज परिवहन के लिए ऑनलाइन ई-ट्रांजिट पास जारी करने की व्यवस्था पुनः प्रारंभ की गई है। 

भूमि- मकान के पंजीयन में ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा 

भूमि-मकान के पंजीयन के समय ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा शुरू की गई है। पक्षकारों को घर बैठे ही संपत्ति के क्रय-विक्रय संबंधी पंजीयन की सुविधा की गई है। जिससे मध्यम वर्ग को संपत्ति रजिस्ट्री में बड़ी राहत मिलेगी। अब गाइड लाइन मूल्य पर ही रजिस्ट्री शुल्क लगेगा। राज्य सरकार ने लोगों को धोखाधड़ी से बचाने और संपत्ति की रजिस्ट्री की ऑनलाइन सुविधा देने के लिए सुगम एप लांच किया गया है। पंजीयन में परदर्शिता लाने के लिए पंजीयन विभाग में ऑनलाइन सर्च और नकल की सुविधा से रजिस्ट्री की जानकारी और सत्यापित प्रति घर बैठे ऑनलाइन प्राप्त की जा सकती है। भूमि संबंधी विवादों को दूर करने के लिए जिओ रिफ्रेंसिंग तकनीक के उपयोग को मंजूरी दी गई है।

नजातीय सलाहकार परिषद का गठन 

बस्तर, सरगुजा, मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास, अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण और राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग विकास प्राधिकरणों का पुनर्गठन किया गया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में छत्तीसगढ़ जनजातीय सलाहकार परिषद गठित कर दी गई है। आदिम जाति कल्याण मंत्री रामविचार नेताम इस परिषद के उपाध्यक्ष बनाये गए हैं। इस परिषद में कुल 18 सदस्य है, जिसमें वन मंत्री सहित 13 विधायक और 4 सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं। आदिम जाति विकास विभाग के प्रमुख सचिव- इस परिषद के सचिव होंगे। इस परिषद के विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधियों से मनोनीत सदस्य उस समय तक सदस्य रहेंगे। जब तक कि, वे विधानसभा के सदस्य रहेंगे। अन्य सदस्य परिषद् में उनके मनोनयन की तारीख से एक वर्ष की अवधि तक परिषद् के सदस्य रहेंगे। साथ ही राज्य सरकार ने हर संभाग में एक-एक गौ अभयारण्य की स्थापना करने का निर्णय लिया है।

शैक्षणिक संरचना में बड़ा बदलाव

राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू कर दिया गया। नई शिक्षा नीति के तहत कक्षा 5वीं तक बच्चों को स्थानीय भाषा-बोली में शिक्षा दिए जाने का प्रावधान किया गया है। जिसमें 18 स्थानीय भाषा-बोलियों में स्कूली बच्चों की पुस्तकें तैयार की जा रही हैं। प्रथम चरण में छत्तीसगढ़ी, सरगुजिहा, हल्बी, सादरी, गोंड़ी और कुडुख में कोर्स तैयार होंगे। इसके साथ ही प्री-प्राइमरी से 12 वीं तक सबको शिक्षा उपलब्ध कराने की अनुशंसा की गई है। इस नवीन शिक्षा नीति के तहत समतामूलक और समावेशी शिक्षा प्रदान करने के साथ ही प्रचलित शैक्षणिक संरचना 10+2 के स्थान पर 5+3+3+4 लागू किया गया है।

आदिवासी बच्चों के लिए रोबोटिक्स और एआई शिक्षा की पहल

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सरकारी स्कूलों में कौशल शिक्षा को एकीकृत करने की शुरूआत की गई है। पीएम श्री योजना के तहत 341 स्कूलों का उन्नयन किया जा रहा है। वहीं नक्सल क्षेत्रों में 29 बंद स्कूल फिर से शुरू हो रहे हैं। माओवादी आतंक प्रभावित जिलों के विद्यार्थियों को तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा के लिए मिलेगा ब्याज रहित ऋण, शेष जिलों के विद्यार्थियों को 1 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण मिलेगा। इससे कमजोर आर्थिक स्थिति वाले विद्यार्थियों को तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा के बेहतर अवसर मिलेंगे। मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा ऋण ब्याज अनुदान योजना 2 लाख से कम वार्षिक आय वाले परिवारों के विद्यार्थी पात्र होंगे। डिप्लोमा, स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर के 35 तकनीकी और अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रम शामिल है। 

शिक्षा ऋण की सीमा 4 लाख तक बढ़ाई गई 

ब्याज अनुदान के लिए शिक्षा ऋण की अधिकतम सीमा 4 लाख रुपये कर दिया गया है। साथ ही तकनीकी शिक्षा विभाग में भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने का निर्णय लिया है। इससे छात्र-छात्राओं को समग्र और लचीले शिक्षा प्रणाली के साथ ही गुणवत्तायुक्त शिक्षण की सुविधा मिलेगी। शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए अधिक संसाधन और सहयोग प्राप्त होंगे। उद्योगों को अधिक कुशल कार्य बल मिलेगा। इसके अलावा सामुदायिक सहयोग से स्कूली बच्चों के खानपान में पोषण आहार की मात्रा बढ़ाने के लिए न्यौता भोज की अभिनव पहल शुरू की गई है। एक पेड़ मां के नाम मुहिम के अंतर्गत लक्ष्य के अनुरूप लगभग 4 करोड़ वृक्षों का रोपण किया गया।

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