कस्टम मिलिंग के नाम पर भ्रष्टाचार : मार्कफेड के अफसरों ने राइस मिलर्स एसो. के पदाधिकारियों से मिलीभगत कर 140 करोड़ वसूले

ED की शिकायत पर EOW कस्टम मिलिंग के नाम पर हुए भ्रष्टाचार को लेकर मामला दर्ज किया है।

Updated On 2024-01-29 15:00:00 IST
राइस मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ मिलकर किया भ्रष्टाचारFile Photo
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रायपुर। छत्तीसगढ़ में पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान अफसरों ने राइस मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ मिलकर लगभग 140 करोड़ रुपयों की अवैध उगाही की है। कस्टम मिलिंग का चावल जमा कराने के बदले राइस मिलर्स से प्रति क्विंटल के हिसाब से पैसे वसूले गए।

ED की शिकायत पर EOW ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। EOW को सौंपे गए ED के प्रतिवेदन के मुताबिक इस अवैध वसूली में मार्कफेड के तत्कालीन प्रबंध संचालक मनोज सोनी, तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट मार्केटिंग ऑफिसर प्रीतिका पूजा केरकेट्टा ने छत्तीसगढ़ स्टेट राईस मिलर्स एसोसिएशन के प्रेसीडेंट कैलाश रूंगटा, वाइस प्रेसीडेंट पारसमल चोपडा और कोषाध्यक्ष रोशन चन्द्राकर के साथ मिलकर आपराधिक षडयंत्र किया। 

इस मामले में ED के क्षेत्रीय कार्यालय रायपुर के प्रतिवेदन के आधार पर राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में अपराध क्रमांक-01/2024, धारा 120बी, 409 भादवि एवं धारा 13 (1) (क) सहपठित धारा 13 (2) एवं धारा 11 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत् अपराध दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।

प्रवर्तन निदेशालय की रिपोर्ट के मुताबिक, विभिन्न राईस मिलर्स नागरिक आपूर्ति निगम एवं एफसीआई में जो कस्टम मिलिंग का चावल जमा करते हैं, इस प्रकिया में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया। राइस मिलर्स से प्रति क्विंटल के हिसाब से अवैध वसूली कर अफसरों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुये प्रदेश शासन को भारी नुकसान पहुंचाया।

ED के प्रतिवेदन में विस्तार से बताया गया है कि, कु० प्रीतिका पूजा को मनोज सोनी, प्रबंध संचालक मार्कफेड के माध्यम से रोशन चन्द्राकर की ओर से निर्देश था कि, उन्हीं राइस मिलर्स के बिल का भुगतान किया जाना है, जिनके पैसे रोशन चन्द्राकर को मिल गए हैं। इतना ही नहीं, किन राइस मिलर्स को भुगतान किया जाना है, इसकी जानकारी संबंधित जिले के राइस मिलर्स एसोसिएशन को मनोज सोनी के माध्यम से मिलती थी। 

ED के प्रतिवेदन में यह भी साफ उल्लेखित है कि, आयकर विभाग की तलाशी में लगभग 1.06 करोड़ कैश मिले थे, जिसका कोई लेखा-जोखा नहीं है। उस दौरान बहुत सारे आपत्तिजनक दस्तावेज एवं डिजिटल डिवाइस भी मिले हैं, जिनके मुताबिक लगभग 140 करोड़ की अवैध वसूली राइस मिलर्स से किया गया है।

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