भारतमाला परियोजना घोटाला : एनएचएआई के अफसरों भी हो सकते है शामिल, अधिसूचना से पहले ही नक्शा लीक, तभी टुकड़ों में बंटी जमीन
भारतमाला प्रोजेक्ट के लिए अधिसूचना से पहले प्रभावित किसानों के नाम की जमीनों को कई टुकड़ों में बांटकर परिवार के सभी सदस्यों के नाम पर चढ़ाकर कई गुना मुआवजा दिलाया गया।
रायपुर। रायपुर जिले में भारतमाला परियोजना घोटाला की जांच चल रही है। यह जांच ईओडब्ल्यू -एसीबी द्वारा की जा रही है। इस घोटाला में छत्तीसगढ़ सरकार पहले ही जांच रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन एसडीएम अभनपुर सहित अन्य अधिकारी-कर्मचारियों को निलंबन की कार्रवाई कर चुकी है, लेकिन सवाल यह है कि आखिर घोटाले की शुरुआत कहां से हुई है। हरिभूमि इस घोटाला की पड़ताल करते हुए लगातार समाचार प्रकाशित करता आ रहा है।
इस पड़ताल के दौरान सूत्र से यह भी जानकारी मिली है कि, इस घोटाले का जिन्न भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के कार्यालय से ही निकला है। भारतमाला प्रोजेक्ट का नक्शा एनएचएआई के अफसरों ने ही तैयार कराया था। रायपुर जिले में जिस तरह से इस प्रोजेक्ट के लिए अधिसूचना का प्रकाशन से पहले प्रभावित किसानों के नाम की जमीनों को कई टुकड़ों में बांटकर परिवार के सभी सदस्यों के नाम पर चढ़ाकर कई गुना मुआवजा दिलाया गया है, इससे यह स्पष्ट है कि इस प्रोजेक्ट का नक्शा अधिसूचना प्रकाशन के पहले ही एनएचएआई कार्यालय से लीक हो गया था और रायपुर जिले के अफसरों तक पहुंच गया था, जिसका फायदा उठाकर अफसरों ने किसानों के साथ साठगांठ कर इस घोटाला को अंजाम दिया है।
नक्शा लीक हुआ या नहीं, हुआ तो कैसे यह भी जांच का विषय
एनएचाए आई कार्यालय से भारतमाला प्रोजेक्ट का नक्शा लीक हुआ है या नहीं, यह भी जांच का विषय है। अगर नक्शा लीक किया गया है, तो निश्चित इसमें अफसर या फिर कार्यालय के वे लोग शामिल हो सकते हैं, जिन्हें इस प्रोजेक्ट का नक्शा तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। ऐसे में यह भी बड़ा सवाल है कि एनएचएआई कार्यालय से अगर नक्शा लीक हुआ है, तो इस मामले की जांच कैसे और कौन करेगा।
विधानसभा में उठ चुकी सीबीआई जांच की मांग
छत्तीसगढ़ विधानसभा में भी इस घोटाला का मुद्दा उठ चुका है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डा. चरणदास महंत इस मुद्दे को उठाते हुए इस मामले में राज्य सरकार से सीबीआई जांच कराने की मांग कर चुके हैं। उन्होंने इस संबंध में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को भी पत्र लिखा है, जिसमें सीबीआई से इस घोटाला की जांच कराने की मांग की है। विधानसभा में उठे इस मामले में - राज्य सरकार ने ईओडब्ल्यू-एसीबी से जांच की घोषणा की है, जिसके बाद इसकी जांच भी की जा रही है, लेकिन ईओडब्ल्यू इस मामले में राज्य सरकार के अधीन शासकीय कार्यालयों में जांच कर पाएगी, वहीं घोटाला के छींटे अगर एनएचएआई से उड़े हैं, तो इसकी जांच राष्ट्रीय स्तर की एजेंसी से ही कराना होगा। डा. महंत जिस तरह से बार-बार इस मामले में सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं, उससे यह भी आशंका जताई जा सकती है कि कहीं न कहीं इस घोटाला के तार एनएचएआई से भी जुड़े हुए हैं।
घोटाला में एनएचएआई अफसरों के भी शामिल होने की आशंका
छत्तीसगढ़ में यह घोटाला 220 करोड़ से ज्यादा का है। रायपुर जिले के अभनपुर क्षेत्र में ही रायपुर-विशाखापट्नम इकोनोमिक कॉरिडोर सड़क निर्माण में 43 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। इसका खुलासा जिला प्रशासन की जांच रिपोर्ट में हो चुका है, लेकिन इस घोटाले की राशि कितनी और किस-किस को बंटी है, इसका खुलासा अब तक नहीं हो पाया है, जबकि अतिरिक्त मुआवजा राशि का बंटवारा जमीन को टुकड़ों में बांटने से पहले ही तय कर लिया गया था। यह राशि तहसील अफसरों-कर्मचारियों से लेकर किसानों एवं रसूखदारों को भी बांटी गई है। सूत्र की मानें, तो बंटवारा का एक बड़ा हिस्सा इस घोटाला में शामिल एनएचएआई के उन अफसरों तक भी पहुंचा है, जिनके द्वारा प्रोजेक्ट का नक्शा लीक किया गया है, क्योंकि अगर नक्शा लीक नहीं होता, तो एक खसरा नंबर की भूमि के कई टुकड़ों में विभाजन कर उसकी रजिस्ट्री प्रोजेक्ट के अधिसूचना प्रकाशन की तारीख से पहले नहीं हो पाती।