महिला दिवस विशेष : सपनों का पीछा करते दस दिन में दो बार फतह किया एवरेस्ट और बन गया वर्ल्ड रिकॉर्ड

बस्तर के छोटे से गांव लोहण्डीगुड़ा ब्लॉक के टाकरागुड़ा की रहने वाली युवती ने माउंट एवरेस्ट में फतह हासिल कर ना केवल बस्तर का बल्कि प्रदेश का भी नाम रोशन किया है।

Updated On 2025-03-08 10:57:00 IST
Jagdalpur

सुरेश रावल - जगदलपुर। बस्तर के छोटे से गांव लोहण्डीगुड़ा ब्लॉक के टाकरागुड़ा की रहने वाली युवती ने माउंट एवरेस्ट में फतह हासिल कर ना केवल बस्तर का बल्कि प्रदेश का भी नाम रोशन किया है। वह देश की पहली महिला पर्वतारोही बन गई, जिसमें महज 10 दिनों के कम समय में हिमालय के विश्व की 2 ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट 8848.86 मीटर व माउंट लोहत्से 8516 मीटर की चढ़ाई माइनस 40 और 50 डिग्री सेल्सियस पर जहां ऑक्सीजन की कमी और प्रति घंटे 70 से 80 की स्पीड में चलने वाली हवा के बीच पहुंची। 

नैना सिंह धाकड़ के हौसले के आगे तमाम परेशानियां और विपरित परिस्थतियां भी आड़े नहीं आई। उसने तिरंगा फहराने के बाद श्री राम का झंडा फहराकर जयकारा करने वाली पहली सनातनी महिला का खिताब भी अपने नाम किया हैं। साथ ही वीर शहीदों को श्रद्धांजलि व आम जनता के लिए सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा गीत उन चोटियों में गाकर रिकॉर्ड बनाया हैं। हरिभूमि से चर्चा में नैना ने बताया कि 2 ऊंची चोटी को 10 दिनों के कम समय में फतह हासिल करने के कारण वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी नाम दर्ज हुआ है। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने उसे साहस और रोमांच के कारण तेनजिंग नोर्गे अवॉर्ड 2022 में सम्मानित किया है। वह पुलिस प्रशासन, पतंजलि योग समिति और स्वच्छ जगदलपुर की ब्रांड एंबेसेडर है।

विवेकानंद की शिक्षाओं से मिली प्रेरणा 

नैना, स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं से प्रेरित थीं और सामाजिक मानदंडों से मुक्त होकर अपने सपनों का पीछा करने के लिए दृढ़ संकल्पित थीं। उनकी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प ने उन्हें दोनों चोटियों के शिखर पर पहुंचाया और यह उपलब्धि हासिल करने वाली दुनिया की कुछ महिलाओं में से एक बन गई। वह हमेशा लड़कियों को अपने संदेश से प्रेरित करती हैं, बेटी किसी से नहीं है कम, बेटियों से ही मिलेगी देश को दम। नैना की अविश्वसनीय उपलब्धियां एनएसएस मंच के सहयोग से संभव हुई, जो युवाओं को उनके जुनून को पूरा करने में प्रोत्साहित और समर्थन करता है। उसने कहा मुझे अपने जीवन का वह शुभदिन याद है जब 1 जून 2021 को मैंने माउंट एवरेस्ट के साथ-साथ माउंट ल्होत्से पर भी सफलतापूर्वक चढ़ाई की थी।


 

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