लोक गायक राजेंद्र रंगीला का दिल्ली में होगा सम्मान: डॉक्टरेट की उपाधि से नवाजे जाएंगे, मैजिक बुक ऑफ़ रिकॉर्ड में दर्ज होगा नाम

छत्तीसगढ़ी लोक गायक राजेन्द्र रंगीला को डॉक्टरेट की उपाधि दी जाएगी। नई दिल्ली में 14 जून को उन्हें इस मानद उपाधि से सम्मानित किया जाएगा।

Updated On 2025-05-31 15:35:00 IST

लोक गायक राजेंद्र रंगीला  

रायपुर। रायपुर के सुप्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी लोक गायक राजेन्द्र रंगीला को डॉक्टरेट की उपाधि दी जाएगी। यह उपाधि उन्हें छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए दी जा रही है। नई दिल्ली में 14 जून को उन्हें डॉक्ट्रेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया जाएगा। इसके साथ ही उनका नाम मैजिक बुक ऑफ़ रिकॉर्ड में दर्ज होगा।

14 जून को डॉक्ट्रेट की मानद उपाधि से होंगे सम्मानित
राजेंद्र रंगीला को उनकी कला के लिए पहले भी कई प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। भारत सरकार ने उन्हें अम्बेडकर फैलोशिप राष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा, छत्तीसगढ़ सरकार ने 6 नवंबर 2024 को उन्हें गुरुघासीदास राज्य अलंकरण से नवाजा था। ये सम्मान उनके लोक संगीत और सांस्कृतिक योगदान के लिए दिए गए थे। अब राजेंद्र रंगीला को नई दिल्ली में 14 जून को डॉक्ट्रेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया जाएगा।


राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों पर छोड़ी है छाप
लोकगायक राजेन्द्र रंगीला का जन्म 12 अप्रैल को माता कौशल्या चन्द्रखुरी के समीप के छोटे से गांव ग्राम कुटेशर में हुआ है। बचपन से ही उसे गाने का शौक है। राजेंद्र रंगीला 9 साल के उम्र से ही गुरु घासीदास बाबा जी के गीत खुद रचना कर गाने लगे फिर छोटे भाई को साथ लेकर पंथी टीम बनाया जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपनी छाप छोड़ी है। उनके गीतों ने छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत रखते हुए लाखों लोगों के दिलों में जगह बनाई है।

10 निर्धन कन्याओं का हर साल कराते हैं विवाह
उन्होंने गुरु घासीदास जी की लीला टीम बनाकर छत्तीसगढ़ के गावों मेूं गुरु के संदेश फैलाया है। रायपुर तेलीबांधा में बहुत बड़ा सामाजिक संगठन तैयार करके गाँव-गाँव में गुरु घासीदास जी के संदेशों को पहुंचाया। बाराडेरा धाम के संगठन में जुड़कर प्रतिवर्ष विशाल मेले में सहभागिता रखते हैं। जिससे छत्तीसगढ़ के कोने-कोने तक राजेंद्र रंगीला लोक कला व मानव कल्याण सेवा समिति से प्रतिवर्ष गरीब बच्चों का शिक्षण खर्चा उठाया और प्रतिवर्ष 10 निर्धन कन्याओं का विवाह इस संस्था के माध्यम कराते हैं। 


गा चुके हैं 15 हज़ार से अधिक गाने
अनेक सामाजिक संगठनों ने राजेंद्र-मिलन रंगीला की जोड़ी को सराहा और प्रोत्साहित किया। आज राजेंद्र-मिलन रंगीला के 15 हज़ार से अधिक गाने अनेंक माध्यम से सुने और देखे जा सकते हैं। इसके साथ ही इनके लोक संस्कृति से ओत-प्रोत राजेंद्र रंगीला की संस्था 'लोकरंग' 40 सदस्यों से सज्जित भारत देश के सभी प्रांतों में स्टेज शो निरंतर की जा रही है।

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