स्कूल में मना लोकपर्व पोरा: खेल-खेल में बच्चे परंपराओं से हुए परिचित, मटका फोड़ कॉम्पिटिशन ने सबको खूब हंसाया
बेमेतरा जिले के चोरभट्टी स्कूल में बैल दौड़ और मटका फोड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस दौरान बच्चे खेल के साथ ही लोकपर्व से परिचित हुए।
मटका फोड़ प्रतियोगिता के दौरान स्कूल के बच्चे
बेमेतरा। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के शासकीय प्राथमिक शाला चोरभट्टी में लोकपर्व पोरा के अवसर पर बैल दौड़ और मटका फोड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस दौरान बच्चों ने बढ़- चढ़कर कार्यक्रम में भाग लिया। बच्चों के मटकी फोड़ने के अंदाज ने खेल को और भी मनोरंजक बना दिया। वहीं बच्चों के साथ शिक्षक भी खेल खेलते हुए नजर आए।
दरअसल, शासकीय प्राथमिक शाला चोरभट्टी विकासखंड साजा में पोला पर्व पर बैल दौड़ और मटका फोड़ प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। प्रतियोगिता में बच्चों ने उत्साह के साथ भाग लिया।इस दौरान नन्हें बच्चे आंखों में पट्टी बांधकर मटकी फोड़ते हुए नजर आए। आयोजन से बच्चों में उत्साह के भाव का संचार देखने को मिला। साथ ही लोकपर्व पोरा से परिचित भी हुए।
वंशिका ने हासिल किया प्रथम स्थान
प्रतियोगिता में कक्षा पांचवी की वंशिका ने प्रथम स्थान हासिल किया। वहीं यशश्वी द्वितीय और सतीश तृतीय स्थान प्राप्त किया। शानदार कार्यक्रम के आयोजन में शिक्षक देवाराम साहू की सक्रिय सहभागिता रही। साथ ही शाला के शिक्षक आशुतोष चौबे और भुनेश्वरी वर्मा का सहयोग भी रहा।
पीएम श्री स्कूल में संस्कृत सप्ताह दिवस
वहीं बेमेतरा जिले के पीएम श्री सेजेस देवकर में संस्कृत सप्ताह दिवस का आयोजन किया गया। इस दौरान कई प्रतियोगिताएं हुई, जिसमें बच्चों ने बढ़- चढ़कर भाग लिया। इनमें से निबंध प्रतियोगिता में पीएम श्री सेजेस देवकर को प्रथम, द्वितीय, एवं तृतीय तीनों स्थान प्राप्त हुआ है। बच्चों की इस उपलब्धि पर इस उपलब्धि पर विद्यालय के प्राचार्य अनिल डहाले ने संस्कृत व्याख्याता चेतना भारती राजपूत और समस्त विद्यार्थियों को बधाई दी।
कामाक्षी रही प्रथम
जिसमें कामाक्षी सिन्हा प्रथम (हिंदी मीडियम), चन्द्रकिरण तिवारी द्वितीय (इंग्लिश मीडियम), आदित्य मार्कण्डेय तृतीय (इंग्लिश मीडियम)। इन्होंने प्रथम तीन में शीर्ष स्थान पा कर एक बार पुनः स्कूल का नाम रोशन किया है।
संस्कृत का ज्ञान अत्यंत महत्वपूर्ण- प्राचार्य अनिल डहाले
विद्यालय के प्राचार्य अनिल डहाले ने संस्कृत के महत्व को समझाया और कहा कि, समस्त लोगों को अपनी संस्कृति से जुड़ा होना अति आवश्यक है। जिसके लिए संस्कृत का ज्ञान अत्यंत महत्वपूर्ण है। और संस्कृत विषय अपने आप में एक प्राचीन और संस्कारमयी विषय है जिसे लोगों को पढ़ते रहना चाहिए। इस अवसर पर चेतना भारती राजपूत ने भी संस्कृत कहा कि, भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे अर्थात "भारत की दो प्रतिष्ठाएँ हैं" संस्कृत और संस्कृति। भारत देश संस्कृति प्रधान देश है और समस्त भारत का सार संस्कृत ही है।