शिक्षा सत्र की शुरुआत में ही अव्यवस्था: स्कूल खुलने के 15 दिन बाद भी नहीं मिली किताबें, विद्यार्थी पुराने पुस्तकों से पढ़ने को मजबूर
बलौदा बाजार जिले के प्राथमिक और मिडिल स्कूलों में अब तक नए किताब वितरण नहीं किए गए हैं। जिसके कारण छात्रों को पुराणी किताब से पढ़ाई करना पड़ रहा है।
प्राथमिक और मिडिल स्कूलों में अब तक नहीं किए गए हैं किताब वितरण
कुश अग्रवाल- बलौदा बाजार। छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले में नए शिक्षा सत्र की शुरुआत हुए 15 दिन से अधिक समय बीत चुका है। लेकिन अब तक शासकीय स्कूलों में विद्यार्थियों को पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध नहीं हो सकी हैं। 16 जून से स्कूल खुल चुके हैं, लेकिन आज भी छात्र-छात्राएं किताबों के बिना पढ़ाई करने को मजबूर हैं।
पालकों के अनुसार, बच्चों को नियमित रूप से स्कूल तो भेजा जा रहा है, परंतु किताबें नहीं होने की वजह से उन्हें ना तो ठीक से समझ आ रहा है और ना ही वे होमवर्क कर पा रहे हैं। इससे बच्चों की पढ़ाई गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है। बताया जा रहा है कि, पिछले वर्ष पाठ्यपुस्तक निगम में करोड़ों की किताबों की हेराफेरी के खुलासे के बाद इस वर्ष सुरक्षा के मद्देनज़र हर किताब पर स्कूलवार बार कोडिंग की जा रही है, जिससे किताबों की छपाई और आपूर्ति में भारी देरी हो रही है।
पुरानी किताबों से चल रही पढ़ाई
जिले में 50 प्रतिशत से अधिक प्राथमिक और मिडिल स्कूलों में अब तक किताबें नहीं पहुंची हैं। सबसे ज्यादा समस्या पीएम श्री स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूलों में देखने को मिल रही है, जहां अंग्रेज़ी माध्यम की नई पाठ्यपुस्तकों की छपाई और आपूर्ति शिक्षा नीति में बदलाव के चलते लंबित है।
अधिकारी दे रहे आश्वासन
स्वामी आत्मानंद स्कूल के प्राचार्यों ने बताया कि, पुस्तक वितरण केंद्रों से लगातार संपर्क किया जा रहा है, लेकिन केवल आश्वासन मिल रहा है। जब भी किताबें आएंगी, उन्हें तत्काल वितरित कर दिया जाएगा। इस बीच, स्कूलों में पुरानी किताबों के माध्यम से पढ़ाई कराई जा रही है और अन्य गतिविधियाँ यथावत जारी हैं।
बच्चों के भविष्य से हो रहा खिलवाड़
सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि आने वाले दिनों में बच्चों की मासिक परीक्षा एवं क्वार्टरली एग्ज़ाम होने वाले हैं। लेकिन किताबों के अभाव में तैयारी संभव नहीं हो पा रही है। इससे बच्चों के भविष्य पर गहरा असर पड़ने की आशंका है।