बस्तर में नई पहल: हर स्कूल में पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध कराने के लिए 1 हजार 611 स्कूलों में युक्तियुक्तकरण

बस्तर संभाग में 1 हजार 611 स्कूलों का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है। जिसका उद्देश्य बच्चों को बेहतर शिक्षा के साथ ही सुविधाएं भी उपलब्ध होगी।

Updated On 2025-06-03 11:20:00 IST

बस्तर संभाग में 1 हजार 611 स्कूलों का होगा युक्तियुक्तकरण

रायपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के सात जिलों में कुल 1 हजार 611 स्कूलों का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है। इससे शिक्षक विहीन एकल शिक्षकीय और आवश्यकता वाली अन्य शालाओं मेें अतिशेष शिक्षकों की पदस्थापना हो सकेगी। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा। साथ ही बच्चों को बेहतर शैक्षणिक संसाधन जैसे पुस्तकालय, विज्ञान प्रयोगशाला, कम्प्यूटर लैब और खेल सामग्री भी उपलब्ध हो सकेंगी।

दरअसल, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अनुरूप छत्तीसगढ़ में शालाओं का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है। जिसका उद्देश्य राज्य में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर और समावेशी बनाना है। इस पहल को शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है, जिससे बस्तर संभाग के हजारों बच्चों को लाभ मिलेगा और छत्तीसगढ़ शिक्षा के क्षेत्र में एक नई पहचान बना सकेगा।

सात जिलों में किया जा रहा युक्तियुक्तकरण
बस्तर संभाग के संयुक्त संचालक शिक्षा से प्राप्त जानकारी के अनुसार, बस्तर संभाग के बस्तर, बीजापुर, कोंडागांव, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, कांकेर और सुकमा जिलों में ऐसी शालाओं को चिन्हित किया गया, जहाँ या तो छात्र संख्या बहुत कम थी या एक ही परिसर में अथवा निकट में दो से अधिक शालाएं संचालित हो रही हैं, इन शालाओं को एकीकृत कर उन्हें बेहतर सुविधाओं से सुसज्जित किया जा रहा है। संयुक्त संचालक शिक्षा ने बताया कि बस्तर संभाग के बस्तर जिले में 274, बीजापुर जिले की 65, कोण्डागांव जिले की 394, नारायणपुर की 80, दंतेवाड़ा जिले की 76, कांकेर जिले की 584 और सुकमा जिले की 138 शालाओं का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए अच्छी पहल -संयुक्त संचालक
संयुक्त संचालक, शिक्षा, बस्तर संभाग, जगदलपुर ने बताया कि, एकीकृत शालाओं में एक ही परिसर में पढ़ाई होने से बच्चों को नियमित स्कूल आना आसान होगा। जिससे छात्रों की उपस्थिति दर में वृद्धि और ड्रॉपआउट दर में कमी आएगी। इसके अलावा, प्रशासनिक खर्च में भी कमी आएगी और बचत को शैक्षणिक गुणवत्ता सुधारने में उपयोग किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि, यह पूरी प्रक्रिया नियोजित और चरणबद्ध रूप से संपन्न की जा रही है, जिसका उद्देश्य बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना और विद्यालय परिसरों को संसाधनयुक्त बनाना है।

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