कुत्तों ने 9 हजार लोगों को काटा: रायपुर जिले में नसबंदी हुई सिर्फ 3 हजार कुत्तों की

आवारा कुत्तों की संख्या कम करने और रैबीज के दुष्प्रभाव को रोकने का अभियान केवल सरकारी अस्पतालों में मौजूद एंटी रैबीज वैक्सीन के भरोसे रह गया है।

Updated On 2025-08-23 09:50:00 IST

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रायपुर। आवारा कुत्तों की संख्या कम करने और रैबीज के दुष्प्रभाव को रोकने का अभियान केवल सरकारी अस्पतालों में मौजूद एंटी रैबीज वैक्सीन के भरोसे रह गया है। आंकड़े चौंकाने वाले हो सकते हैं, क्योंकि केवल रायपुर जिले में पिछले सात महीने में 9000 लोगों को कुत्ते ने काटा है। वहीं नगर-निगम द्वारा चलाए जा रहे एनिमल बर्थ कंट्रोल अभियान के तहत इस अवधि में करीब 3000 कुत्तों की नसबंदी की गई है। नगरीय प्रशासन विभाग का अभियान केवल औपचारिकता बनकर रह गया है। सुप्रीम कोर्ट ने बीमार और आक्रामक कुत्तों को छोड़कर नसबंदी करने के बाद उसी इलाके में छोड़ने का फैसला दिया है, जिस क्षेत्र से उन्हें उठाया गया है।

रायपुर जिले में आवारा कुत्तों की नसबंदी का अभियान काफी समय से चल रहा है, मगर कुत्तों की संख्या और डॉग बाइट की घटनाओं पर इसका कोई खास असर होता नहीं दिख रहा है। स्वास्थ्य विभाग के डेटा के मुताबिक जनवरी से जुलाई तक रायपुर जिला अस्पताल सहित विभिन्न विकासखंड के स्वास्थ्य केंद्रों में इस अवधि में 6500 लोग डॉग बाइट के शिकार होकर पहुंचे हैं। वहीं आंबेडकर अस्पताल में करीब 2500 लोगों ने आकर रैबीज से बचाव के लिए वैक्सीन लगवाया है। नगर-निगम अपने सीमित संसाधनों के माध्यम से इन छह महीनों में करीब 3000 कुत्तों की नसंबदी कर पाया है। इसके बाद भी हर गली-मोहल्ले में कुत्तों का जमावड़ा हमले के इंतजार में खड़ा नजर आता है।

रोजाना दर्जनभर मामले
आंबेडकर अस्पताल से मिले आंकड़े के अनुसारर अगस्त के बीते 22 दिनों में डॉग बाइट का शिकार होकर 328 लोग अस्पताल पहुंचे। उन्हें कुत्तों से मिले जख्म के अनुसार वैक्सीन लगाया गया है। 22 दिन के आंकड़े बताते हैं कि अस्पताल में रोजाना औसतन दर्जनभर लोग कुत्तों के हमले का शिकार होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। पीड़ितों की संख्या को ध्यान में रखते हुए वहां पर्याप्त संख्या एंटी रैबीज वैक्सीन की व्यवस्था की गई है।

हो चुकी है मौत
अस्पताल में कुछ समय पहले डॉग बाइट का शिकार हुए एक मरीज की मौत हो चुकी है। बिलासपुर के पंडरिया में रहने वाले संतोष ध्रुव को छोटे से पिल्ले ने काटा था और सात माह के बाद रैबीज के संक्रमण से उसकी हालत खराब हो गई थी आंबेडकर अस्पताल में अपना मानसिक संतुलन खोने के बाद इलाज के दौरान अगस्त के शुरुआती दिनों में उसकी मौत हो गई थी। संतोष ने डॉग बाइट के बाद वैक्सीन नहीं लगाने की गलती थी।

लापरवाही ना करें
सीएमएचओ डॉ. मिथिलेश चौधरी ने बताया कि, डॉग बाइट के शिकार होने के बाद लापरवाही बिलकुल ना करें। तुरंत अस्पताल पहुंचकर जख्म के अनुसार एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाएं। अस्पतालों में वैक्सीन का पर्याप्त इंतजाम किया गया है।

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