रीपा पर रार: 441 करोड़ का प्रोजेक्ट, 260 करोड़ का भुगतान, अब हर जगह ताले, सरकार ने जांच बिठाई
पूर्व सरकार ने महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) प्रोजेक्ट शुरू किया था। मकसद था कि किसान और ग्रामीणों की आय बढ़ाना और उन्हें उद्योग धंधे से जोड़ना।
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सुरेन्द्र शुक्ला - रायपुर। पूर्व सरकार ने महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) प्रोजेक्ट शुरू किया था। मकसद था कि किसान और ग्रामीणों की आय बढ़ाना और उन्हें उद्योग धंधे से जोड़ना। छत्तीसगढ़ में 300 प्रोजेक्ट स्वीकृत हुए। 441 करोड़ रुपए के बजट में से 260 करोड़ का भुगतान भी कर दिया गया। लेकिन अब... लगभग हर जगह ताले लटक गए हैं। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुई आर्थिक अनियमितता की जांच और प्रोजेक्ट का महालेखाकार से आडिट कराया जा रहा है।
सरकार को आशंका है कि, इस प्रोजेक्ट में जमकर धांधली की गई है। पूर्ववर्ती सरकार ने रीपा का प्रोजेक्ट किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से खेती-किसानी के साथ ही गांव में उद्यम लगाने के लिए वित्तीय एवं तकनीकी सहायता देने के उद्देश्य से रीपा योजना शुरू की गई थी। इसकी लागत दो करोड़ रुपये रखी गई थी। इसमें 1.20 करोड़ रुपये में अधोसंरचना, पांच लाख रुपये तकनीकी कार्य, 40 लाख रुपये में मशीनरी, वर्किंग कैपिटल, 35 लाख ब्रांडिंग मार्केटिंग, पम्पलेट, होर्डिंग्स, क्रेता-विक्रेता सम्मेलन, कानूनी सलाह में खर्च करने का प्रावधान था। नियमों के अनुसार, तीन एकड़ की जमीन की अर्हता बताई थी, जिसमें एक एकड़ में अधोसंरचना व शेष में पार्किंग व गोदाम स्थापित किया जाना था।
खरीदी का नहीं कराया गया भौतिक सत्यापन
तीन सौ रीपा बनाया गया है उसमें करोड़ों की गड़बड़ी हुई है, उसका पूरी तरह से भौतिक सत्यापन भी नहीं किया गया है। मामले में साय सरकार आने के बाद कई जगहों से शिकायत आने के बाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने पूरी प्रोजेक्ट को रोक दिया है। बताया गया है कि जिलों में गोठानों को महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क के रूप में विकसित करना था। बिलासपुर जिले में 65 ग्रामीण क्षेत्र के गोठानों का चयन किया गया है। इसमें 33 में ही काम शुरू हो पाया है।
2 करोड़ के काम के लिए बनाई 80 लाख की प्रोजेक्ट रिपोर्ट
रीपा के निर्माण में जशपुर में दो करोड़ के काम के लिए 80 लाख रुपए में प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाई गई। कोरिया में 50 लाख रुपए खर्च किए गए। दंतेवाड़ा में एक रीपा के लिए 90 लाख रुपए की खरीदी की गई। रीपा के लिए डीएमएफ, एसबीएम जैसे मदों से भी पैसा दिया गया था। कई जगहों पर रीपा के नाम पर जो खरीदी की गई मौके पर नहीं है।
बिना बजट की योजना कलेक्टरों पर छोड़ दिया गया था : अजय
भाजपा के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने रीपा प्रोजेक्ट के फेल होने का करण बताते हुए कहा कि प्रोजेक्ट के लिए कोई बजट नहीं था। न हीं इसके लिए कोई प्रोजेक्ट तैयार किया गया था। यह योजना पूरी तरह से जिला कलेक्टरों पर छोड़ दिया गया था। इन कारणों से पूरी योजना असफल रही। प्रोजेक्ट में गतिविधियों के अभाव के कारण इस पर कोई काम नहीं हो सका।
बंद करने का निर्णय निंदनीय : सुशील
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने बताया कि कांग्रेस सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने गांधी के ग्रामोद्योग की संकल्पना के आधार रीपा शुरू ही थी। महिला स्वसहायता समूहों और युवाओं को रोजगार मुहैया कराने का अच्छा माध्यम था। साय सरकार ने इसे बंद कर दिया है। बंद करने का निर्णय निंदनीय है। को जोड़कर सखक्त बनाना था, लेकिन शासन का उद्देश्य चकनाचूर होकर रह गया है। जिले में अंजोरा, चंदखुरी, सांकरा को छोड़ शेष सभी रीपा उद्योगों में काम हुआ या नहीं, इसकी जानकारी भी कोई ठीक से नहीं दे पाया। हरिभूमि के पडताल में अंजोरा में पानी बोतल बनाने और सांकरा में गुलाल और चंदखरी में पनी व दूध बनाने का किया जा रहा है, लेकिन इसमें भी आधा दर्जन कर्मचारी की कार्यरत है। अंजोरा यूनिट में मिनिरल वाटर बनाने की प्लानिंग थी, लेकिन वहां सिर्फ पानी बोतल ही बनाकर सप्लाई किए जा रहे हैं।