कर्ज और उत्पीड़न ने तोड़ डाला: परेशान होकर युवक ने खाया ज़हर, आत्महत्या से पूर्व वीडियो में बयां किया दर्द
रायगढ़ में कर्ज और सूदखोर के दबाव से परेशान युवक ने ज़हर खाकर आत्महत्या की कोशिश की। युवक ने मानसिक उत्पीड़न और परिवारिक तनाव की दर्दनाक कहानी साझा की।
कर्ज़ पीड़ित युवक ने परेशान होकर की आत्महत्या की कोशिश
रायगढ़। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले से एक मामला सामने आया है। कर्ज के बोझ और सूदखोर के दबाव में मानसिक रूप से टूट चुके एक युवक ने आत्महत्या की कोशिश करते हुए ज़हर खा लिया। पीड़ित की हालत गंभीर बनी हुई है और उसे रायगढ़ मेडिकल कॉलेज से रायपुर रेफर किया गया है। यह पूरा मामला चक्रधर नगर थाना क्षेत्र का है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि, युवक ने ज़हर खाने से पहले एक वीडियो संदेश रिकॉर्ड किया, जिसमें उसने अपनी आपबीती साझा की। उसने बताया कि, उसने अरुण मिश्रा नामक साहूकार से 20 प्रतिशत ब्याज पर कर्ज लिया था। समय पर रकम न चुका पाने की स्थिति में अरुण मिश्रा द्वारा भारी दबाव बनाया गया और मानसिक उत्पीड़न किया गया। युवक का कहना है कि, पैसों की तंगी, परिवार में तनाव और लगातार हो रहे तकादों से वह मानसिक रूप से पूरी तरह टूट चुका था, जिस कारण उसने यह खौफनाक कदम उठाया।
परिवार छोड़कर भागा, साहूकार ने जड़ा ताला
जानकारी के अनुसार, बीती रात युवक के घर पर किसी बात को लेकर विवाद हुआ। विवाद के बाद परिजन डर के मारे घर छोड़कर रिश्तेदारों के यहां चले गए। इसी बीच आरोपी साहूकार अरुण मिश्रा ने युवक के घर में ताला जड़ दिया, जिससे आहत होकर युवक ने ज़हर खा लिया।
संपत्ति विवाद का तर्क दे रहा आरोपी
वहीं दूसरी ओर, आरोपी अरुण मिश्रा ने अपने बचाव में कहा कि, उसने पीड़ित का मकान 22 लाख रुपये में खरीदा था और कानूनी एग्रीमेंट भी हुआ था। अरुण मिश्रा का दावा है कि, पीड़ित उस मकान को ऊंचे दामों में किसी और को बेचना चाहता था और पैसे लौटाने की बात कह रहा था। उसने केवल अपनी रकम वापस मांगी थी, किसी भी प्रकार की धमकी या दबाव नहीं बनाया।
पुलिस की हिरासत में दो आरोपी
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और पीड़ित युवक का बयान दर्ज किया। पुलिस ने आरोपी अरुण मिश्रा और उसके एक सहयोगी को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। चक्रधर नगर पुलिस ने धारा 306 और अन्य संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस का कहना है कि, मामले की गहन जांच की जा रही है और दस्तावेजों व गवाहों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। यह मामला कर्ज वसूली के अमानवीय तरीकों पर सवाल खड़े करता है। समाज में मानसिक स्वास्थ्य और न्याय की आवश्यकता को भी उजागर करता है।