नक्सलियों का ब्रेन था इंजीनियर बसव राजू: साल 2018 में गणपति की जगह बना था नक्सल चीफ

बसव राजू, वह नाम जो नक्सलियों का ब्रेन कहलाता था। मिलिट्री ऑपरेशन का एक्सपर्ट, हथियार बनाने में माहिर इंजीनियर था। वह साल 2018 से नक्सल चीफ था, बुधवार को मारा गया।

Updated On 2025-05-21 19:08:00 IST

नक्सल चीफ इंजीनियर बसव राजू 

रायपुर। उसका पूरा नाम नम्बाला केशव राव था। नक्सल संगठन में वह बसव राजू के नाम से जाना जाता था। उसके करीबी उसे गगन्ना कहते थे। वह विजय, नरसिम्हा रेड्डी, प्रकाश और कृष्णा जैसे भी कई नामों से जाना जाता था। आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के जियन्नापेटा गांव में जन्मा बसव राजू उच्च शिक्षित था। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT) वारंगल आंध्रप्रदेश से उसने बीटेक पास किया था। वह नक्सलियों का 'ब्रेन' था। वही देशभर में नक्सल संगठनों का संचालक था। बुधवार को जब बीजापुर के जंगलों में वह मारा गया तो बूढ़ा हो चला था। उसके मुंह में एक भी दांत नहीं बचे थे।

2018 में गणपति की जगह बना नक्सल चीफ
छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में ब़ुधवार 21 मई की सुबह पुलिस के जवानों और नक्सलियों के बीच भीषण मुठभेड़ में जवानों ने चीफ नक्सली नेता नम्बाला केशव राव उर्फ बसव राजू समेत अब तक 30 नक्सलियों को मार गिराया गया है। वर्ष 2018 में वह गणपति की जगह CPI (माओवादी) का महासचिव बना था। करीब 70 साल के बसवा राजू का मूल निवास आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के जियन्नापेटा गांव में था। वह पिछले लगभग 35 वर्षों से माओवादी संगठन की केंद्रीय समिति का सक्रिय सदस्य रहा। देश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए सिरदर्द बने इस खूंखार नक्सली पर सरकार ने 1.5 करोड़ रुपये का ईनाम घोषित कर रखा था। 

संगठन में सबसे पढ़ा लिखा था, रणनीतिक सोच रखता था बसव राजू
बसव राजू ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT) वारंगल से बीटेक की पढ़ाई की थी। वर्ष 1970 में उसने अपना घर छोड़ दिया और नक्सली गतिविधियों में शामिल हो गया। माओवादी विचारधारा से जुड़ने से पहले राजू एक होनहार खिलाड़ी था। स्कूल और जूनियर कॉलेज के दिनों में वह कबड्डी खेला करता था। उसे नक्सली कैडर में सबसे शिक्षित और रणनीतिक सोच वाला नेता माना जाता था। वह देश के पाँच राज्यों में नक्सली नेटवर्क और गतिविधियों का संचालन कर रहा था।

झीरम घाटी, चिंतलनार हमले का था मास्टरमाइंड
6 अप्रैल 2010 को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के चिंतलनार क्षेत्र में नक्सलियों ने CRPF के काफिले पर घात लगाकर भीषण हमला किया था। इस हमले में 76 CRPF जवानों सहित छत्तीसगढ़ पुलिस के एक अधिकारी शहीद हुए थे। इसके बाद, 25 मई 2013 को झीरम घाटी में कांग्रेस नेताओं के काफिले को निशाना बनाकर नक्सलियों ने हमला किया। जिसमें महेंद्र कर्मा, विद्याधर शुक्ल और उदय मुदलियार जैसे कांग्रेस पार्टी के कई शीर्ष नेताओं की मौत हो गई थी। इन दोनों हमलों की साजिश रचने और उन्हें अंजाम देने में बसव राजू की अहम भूमिका मानी जाती है।

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