बतौली स्वास्थ्य केंद्र की लापरवाही: महिला के निधन के 26 घंटे बाद भी नहीं हो सका पोस्टमॉर्टम, शव भेजा गया 35 किमी दूर अंबिकापुर

मृत महिला के शव के पोस्टमॉर्टम के लिए परिजनों को दर-दर भटकना पड़ रहा है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों की कमी बता कर बतौली से 35 किलोमीटर दूर अंबिकापुर मेडिकल अस्पताल पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया।

By :  Ck Shukla
Updated On 2025-05-13 15:18:00 IST

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बतौली

आशीष कुमार गुप्ता-बतौली। छत्तीसगढ़ में सरगुजा जिले के सरगुजा जिले के बतौली से स्वास्थ्य विभाग की एक चौंकाने वाली लापरवाही की खबर सामने आई है। इलाज के दौरान एक महिला की मृत्यु हो जाने के 26 घंटे बाद भी अस्पताल प्रबंधन पोस्टमॉर्टम की व्यवस्था नहीं कर सका। डॉक्टरों की अनुपलब्धता का हवाला देते हुए मृतका का शव 35 किलोमीटर दूर अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया।

मिली जानकारी के अनुसार, बतौली थाना रोड निवासी अलका लकड़ा की बीमारी के कारण इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी। जिसके बाद पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया पूरी करना जरूरी था। स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बताया गया कि, डॉक्टर उपलब्ध नहीं है।


जानें क्या है पूरा मामला

मृत महिला अलका लकड़ा के शव को पोस्टमॉर्टम की जरूरत के बावजूद, बतौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों की कमी के कारण शव को अंबिकापुर भेज दिया गया। परिजन शव को लेकर दर-दर भटकते रहे, और तीन घंटे से शव वाहन में ही पड़ा रहा।


स्वास्थ्य विभाग की खोखली व्यवस्थाएं

स्थानीय लोगों का आरोप है कि, स्वास्थ्य विभाग की ओर से ग्रामीण इलाकों में केवल कागजों पर सुविधाएं दिखाई जा रही हैं। जबकि ज़मीनी हकीकत बिल्कुल अलग है, ऐसी घटनाएं स्वास्थ्य सेवाओं की सच्चाई उजागर करती हैं। स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को लापरवाही की खबर होने पर भी स्वास्थ्य विभाग को बचाने पुरजोर कोशिश किया जाता है, ताकि लापरवाही उजागर मत हो ।

प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारी इस पूरे मामले पर अब तक चुप्पी साधे हुए हैं। परिजनों और आमजन की मांग है कि इस लापरवाही की गंभीर जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो। इस घटना के बाद यह सवाल उठता है कि, क्या ग्रामीणों की जिंदगी की कोई कीमत नहीं। स्वास्थ्य सेवाओं की इस तरह की विफलता सरकार की योजनाओं और जमीनी हकीकत के बीच की गहराई को उजागर करती है। अब देखना ये होगा कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इस लापरवाही पर क्या कार्रवाई करता है।

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