हिंदी पखवाड़ा पर व्याख्यान: दूधाधारी गर्ल्स कॉलेज में भाषा के महत्व और संरक्षण पर हुआ विचार-विमर्श
रायपुर जिले के शासकीय दूधाधारी बजरंग महिला स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय में हिंदी पखवाड़ा के तहत व्याख्यान का आयोजन हुआ।
कार्यक्रम में ये सभी हुए शामिल
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के शासकीय दूधाधारी बजरंग महिला स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय में हिंदी पखवाड़ा के अवसर पर शुक्रवार को एक विचारोत्तेजक व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उदेश्य हिंदी भाषा के महत्त्व और उसके संरक्षण और संवर्धन पर विचार-विमर्श करना रहा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं जानी-मानी साहित्यकार डॉ. सत्यभामा आडिल हिंदी भाषा के स्थान को लेकर दुखी हुईं और कहा कि, शासकीय शक्ति को दोष अवश्य दूंगी। हिंदी को केवल साहित्य ना माने, और त्रिभाषा व्यवस्था की बात कही। उन्होंने कहा कि, हम केवल एक दिन हिन्दी दिवस ना मनाए बल्कि हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने में अपना योगदान दें, भाषा जोड़ती है तोड़ती नहीं। हिंदी को प्राथमिकता अवश्य दें। भाषा नदी की तरह है और तीर्थों की भाषा हिन्दी है। क्षेत्रीय भाषा के साथ हिंदी भाषा का स्थान अवश्य हो। क्षेत्रीय भाषा का ज्ञान भी उतना ही आवश्यक है जितना राजभाषा का।
संघर्ष जीवन में आवश्यक है, तभी हम लक्ष्य प्राप्त करते हैं- डॉ. चित्तरंजन
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित भाषाविद डॉ. चित्तरंजन कर ने अपने व्याख्यान में भाषा के दर्द को बयां किया। सभी भाषाओं का सम्मान आवश्यक है, हमेशा हम सही नहीं होते और होना भी नहीं चाहिए, जब आप गलती करेंगे तभी सिखेगे। संघर्ष जीवन में आवश्यक है, तभी हम लक्ष्य प्राप्त करते हैं। हम भाषा के आभारी हैं। भाषा हमें बोलती है कविता हमें रचती हैं।भाषा ने मनुष्य को गढ़ा है। हिंदी भी संस्कृति है फिर भाषा हैं। साहित्य संस्कार है और भाषा संस्कृति। उन्होंने गीत से गाँव तक की यात्रा अपने गीत के माध्यम से कराई-
जब से छुटा गांव-गांव को भुला कभी नहीं।
वो पीपल की छांव, छांव को भुला कभी नहीं।।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. किरण के मार्गदर्शन में हुआ आयोजन
यह आयोजन महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. किरण गजपाल के मार्गदर्शन में हुआ उन्होंने हिंदी दिवस की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं दी। डॉ. जया तिवारी, विभागाध्यक्ष अंग्रेजी ने संबोधित करते हुए कहा कि, जब भी आप भाषण दे वक्तव्य दे तो एक ही भाषा का प्रयोग करें और वह भी शुद्धता के साथ। खिचड़ी ना बनाएं। स्वागत उद्बोधन में विभागाध्यक्ष डॉ कल्पना मिश्रा ने कहा कि, सरल रेखा खींचना कठीन है, वैसे ही सरल भाषा की अभिव्यक्ति भी कठिन है। हिंदी अभिव्यक्ति करने का सबसे सरल और प्रभावी माध्यम है बशर्ते आप उसकी अहमियत समझें।
कार्यक्रम में ये रहे उपस्थित
कार्यक्रम का संचालन मंजू कोचे ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय की स्नातक एवं स्नातकोत्तर की छात्राओं मनीषा ठाकुर लक्ष्मी पटेल, जुलेश्वरी , रिमझिम, गीतांजलि ने गीत व भाषण प्रस्तुत किये। हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में रजनी लकरा प्रथम, वीणा द्वितीय, लक्ष्मी व गुरुबानी तृतीय स्थान को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम में हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ. किरण शर्मा, डॉ. दुर्पत मिरी, डॉ. आरती उपाध्याय, महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. प्रीति कंसारा, डॉ. अनिता दीक्षित, डॉ. रागिनी पाण्डेय, डॉ रितु मारवाह, डॉ प्रीति जायसवाल, कविता ठाकुर, संध्या ठाकुर एवं अन्य और हिंदी विभाग के सभी शोधार्थी, छात्राएं उपस्थित रहे।