हाईकोर्ट नाराज: खराब सड़कों पर नहीं मिला जवाब, लगाया एक हजार का कास्ट

शहर और आसपास की खराब सड़कों के मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य शासन को शपथ पत्र पेश नहीं करने पर नाराजगी जताई।

Updated On 2025-11-11 09:46:00 IST

File Photo 

बिलासपुर। शहर और आसपास की खराब सड़कों के मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य शासन को शपथ पत्र पेश नहीं करने पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने शासन पर एक हजार रुपए का कास्ट भी लगाया है और दिसंबर के पहले सप्ताह में सुनवाई रखी है। साथ ही हाईकोर्ट ने शासन के जवाब पेश करने कहा है। इसमें संबंधित सड़क से संबंधित चल रहे कार्य की स्थिति और प्रगति पर एक व्यापक और विस्तृत ताजी जानकारी देनी होगी। खास तौर पर रतनपुर केंदा मार्ग की बदहाली के बारे में जवाब मांगा गया है।

प्रदेश की खराब सड़कों के मामले में हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच में मंगलवार को सुनवाई के दौरान शासन ने कोर्ट में जवाब प्रस्तुत किया। इसमें बताया गया कि रतनपुर-सेंदरी रोड का काम लगभग पूरा हो गया है। रायपुर रोड की सड़क 70 प्रतिशत बना ली गई है। इसे अगले 15 दिनों में पूरा कर लिया जाएगा। लोक निर्माण विभाग की तरफ से भी सड़कों के जल्द पूरे होने की बात कही गई।

डीएसपी से वसूली आदेश रद्द
वहीं 8 नवम्बर को हाईकोर्ट ने बिलासपुर की महिला उप पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) एस.एस. टेकाम के खिलाफ पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी वसूली आदेश को निरस्त करते हुए कड़ा रुख अपनाया है। अदालत ने कहा कि बिना उचित कारण बताए और संवैधानिक अधिकारों का पालन किए बगैर वसूली आदेश जारी करना नियमों के विपरीत है। डीएसपी के वेतन से की गई कटौती पर भी आपत्ति जताते हुए कोर्ट ने पूरे मामले को मनमाना व्यवहार बताया।

हाईकोर्ट ने पुलिस मुख्यालय को लगाई फटकार
दरअसल, याचिकाकर्ता डीएसपी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि पुलिस महानिदेशक के निर्देश पर उनकी पदस्थापना के दौरान एक वसूली आदेश जारी कर वेतन से कटौती कर ली गई। जबकि, किसी भी स्तर पर उन्हें न तो नोटिस मिला, न ही अपनी बात रखने का अवसर। हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पांडेय और वरुण शर्मा ने कोर्ट को बताया कि आदेश पूरी तरह अवैध है और यह तय प्रक्रिया का पालन किए बिना जारी किया गया है। वसूली आदेश में डीएसपी पर एक वर्ष पूर्व हुए वाहन किराया भुगतान को लेकर सीधी जिम्मेदारी लगा दी गई थी, जिसे याचिकाकर्ता ने पूरी तरह गलत बताया।

कोर्ट ने की यह टिप्पणी
हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पाया कि, वसूली आदेश नियमों के अनुरूप नहीं है और बिना सुनवाई के लिया गया निर्णय संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के खिलाफ है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रशासनिक अधिकारी कानून से ऊपर नहीं हैं और किसी भी अधिकारी पर बिना जांच- सुनवाई के सीधे आर्थिक दंड नहीं लगाया जा सकता। अदालत ने पुलिस मुख्यालय के आदेश को रद्द कर वेतन से काटी गई पूरी राशि लौटाने का निर्देश दिया है। साथ ही शासन को चेतावनी दी कि भविष्य में इस तरह की मनमानी कार्रवाई से बचें।

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