नियद नेल्ला नार: नक्सल क्षेत्रों में विकास और विश्वास दोनों बढ़े, 69 फॉरवर्ड कैंपों से 397 गांवों तक पहुंची साय सरकार
साय सरकार की नियद नेल्ला नार योजना ने बस्तर के नक्सल प्रभावित इलाकों में ऐतिहासिक परिवर्तन लाए। 69 फॉरवर्ड कैंपों से 397 गांवों तक सेवाएं और विकास तेजी से पहुंचे।
साय सरकार की नियद नेल्ला नार योजना से बस्तर में ऐतिहासिक परिवर्तन
रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार द्वारा लागू की गई 'नियद नेल्ला नार' योजना बस्तर के इतिहास में सबसे बड़ा प्रशासनिक और विकासात्मक परिवर्तन लेकर आई है। स्थानीय गोंडी/हलबी बोली में 'आपका अच्छा गाँव' का अर्थ रखने वाली इस योजना का उद्देश्य नक्सल प्रभावित और वर्षों से उपेक्षित सुदूर इलाकों को मुख्यधारा के विकास और भरोसेमंद शासन से जोड़ना है।
69 फॉरवर्ड कैंपों से जुड़े 397 गांव
साय सरकार द्वारा सुरक्षा आधारित विकास मॉडल के तहत नियद नेल्ला नार योजना का दायरा तेज़ी से बढ़ाया गया। 5 किमी से शुरू होकर 10 किमी तक विस्तारित इस मॉडल के माध्यम से अब 69 फॉरवर्ड कैंपों से 397 गांवों तक शासन की मौजूदगी और सेवाएं सीधी पहुंच रहीं हैं। यह विस्तार बस्तर के इतिहास में सबसे बड़े सरकारी आउटरीच का उदाहरण बन चुका है।
18 सामुदायिक सेवाएं और 25 व्यक्तिगत योजनाएं
योजना के तहत 9 विभागों की 18 सामुदायिक सेवाएं और 11 विभागों की 25 व्यक्ति-केंद्रित योजनाएं गांव–गांव में पहुंचाई जा रही हैं। इनमें स्वास्थ्य सेवाएं, स्कूल-शिक्षा, आंगनबाड़ी, राशन, आयुष्मान कार्ड, आधार/जाति/निवास प्रमाण पत्र, पेंशन योजनाएं, उज्ज्वला, प्रधानमंत्री आवास, रोजगार और किसान सहायता सेवाएं शामिल हैं। जो सेवाएं पहले दिनों की पैदल यात्रा से मिलती थीं, अब वही सुविधाएं कैंपों और मोबाइल टीमों के माध्यम से घर के पास मिल रही हैं।
आज़ादी के बाद पहली बार नेटवर्क, 700+ मोबाइल टावर
नियद नेल्ला नार के तहत डिजिटल कनेक्टिविटी को प्राथमिकता दी गई। योजना के प्रभाव क्षेत्र में 700 से अधिक मोबाइल टावर लगाए या अपग्रेड किए गए, जिनमें भारी संख्या में 4G टावर शामिल हैं। कुंडापल्ली, अबूझमाड़ जैसे कई गांवों में आजादी के बाद पहली बार मोबाइल नेटवर्क पहुंचा। इससे ग्रामीणों को बैंकिंग, शिक्षा, टेलीमेडिसिन और सरकारी योजनाओं की ऑनलाइन जानकारी मिलने लगी है।
सड़क-बिजली-परिवहन में ऐतिहासिक सुधार
इस योजना के तहत कई गांवों में पहली बार घर-घर बिजली पहुंची, जिससे लोगों के जीवन में सुविधा और सुरक्षा बढ़ी। अबूझमाड़ जैसे दूरस्थ क्षेत्रों में बस सेवाएं शुरू होने से आवागमन आसान हुआ और गांवों का संपर्क बाहरी दुनिया से मजबूत हुआ। साथ ही बारहमासी सड़कों तथा पुल-पुलियों का तेजी से निर्माण होने से सालभर आवाजाही संभव हो सकी। लंबे समय से बंद पड़े हाट-बाजार दोबारा जीवित होने लगे, जिससे व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा मिला। इन सभी प्रयासों के परिणामस्वरूप सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि हुई और बड़ी संख्या में युवा रोजगार के अवसरों से जुड़ पाए।
सामाजिक विश्वास बढ़ा, नक्सल प्रभाव घटा
जिन इलाकों में कभी सरकारी प्रवेश भी कठिन माना जाता था, वहाँ आज लोग स्वयं आगे बढ़कर सरकारी शिविरों और योजनाओं से जुड़ रहे हैं। प्रशासन और जनता के बीच संवाद बढ़ा है, जिससे दूरी और डर कम हुआ है। कई क्षेत्रों में नक्सल प्रभाव कमजोर पड़ा है, आत्मसमर्पण की घटनाओं में वृद्धि हुई है और शासन के प्रति लोगों का विश्वास लगातार मजबूत हुआ है। यह बदलाव दर्शाता है कि विकास और संवेदनशील प्रशासन मिलकर स्थायी शांति की दिशा में प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं।
नक्सल क्षेत्रों में 59 हितग्राही योजनाएं और 28 सामुदायिक सुविधाएं
योजना का दायरा बढ़ाते हुए साय सरकार ने माओवादी प्रभावित इलाकों में विकास कार्यों को तेज़ी से लागू किया है। इन क्षेत्रों में 17 विभागों की 59 हितग्राही योजनाएं और 28 सामुदायिक सुविधाएं तेजी से जमीन पर उतारी जा रही हैं, जिससे लोगों को एक साथ कई आवश्यक सेवाओं का लाभ मिल रहा है। इसके साथ ही सरकार ने इन जिलों के विद्यार्थियों के लिए टेक्निकल और प्रोफेशनल शिक्षा को प्रोत्साहित करने हेतु ब्याजमुक्त ऋण देने का बड़ा निर्णय लिया है। इस पहल से युवाओं को आगे बढ़ने के अवसर मिलेंगे और क्षेत्र के समग्र विकास को नई दिशा मिलेगी।
ग्राम स्तर पर परिवर्तन- कलेपाल, कोलेंग, बोदली, पूवर्ती में बदलाव दिखा
कई गांवों में विकास की तस्वीर पूरी तरह बदल गई:
- कलेपाल: सड़क, बिजली, बाजार पुनर्जीवित
- कोलेंग: सड़क, बिजली, आंगनबाड़ी शुरू
- बोदली: उचित मूल्य दुकान, सड़क निर्माण
- पूवर्ती: दशकों बाद राशन दुकान, शासन की पहुंच, मोबाइल टॉवर, DTH इंस्टॉलेशन
- पूवर्ती जैसा गांव, जो कभी नक्सलियों का ठिकाना माना जाता था, अब तेज़ी से सरकारी सुविधाओं से जुड़ रहा है।
नियद नेल्ला नार का जमीनी असर
बीजापुर जिले के तर्रेम क्षेत्र की हुंगी को मिला पहला प्रधानमंत्री आवास यहां के ग्रामीणों के लिए नई उम्मीद का प्रतीक बनकर उभरा है। वर्षों से उपेक्षित इस क्षेत्र में पक्का घर मिलना न केवल एक परिवार के जीवन में बदलाव लाया है, बल्कि पूरे गांव के लिए विश्वास और आशा का संदेश भी है। यह उदाहरण स्पष्ट करता है कि नियद नेल्ला नार योजना केवल कागज़ी नहीं, बल्कि जमीन पर प्रभावी रूप से लागू हो रही है और दूरदराज़ क्षेत्रों में भी वास्तविक बदलाव ला रही है।
मानव-केंद्रित विकास का सफल मॉडल
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में नियद नेल्ला नार योजना ने यह सिद्ध कर दिया है कि संवेदनशील नीति, मजबूत क्रियान्वयन और जनकल्याण की स्पष्ट नीयत मिलकर सबसे दुर्गम क्षेत्रों में भी विकास को संभव बना सकती है। 69 फॉरवर्ड कैंपों के माध्यम से 397 गांवों को जोड़ने वाला यह मॉडल आज केवल एक योजना नहीं, बल्कि देश का सबसे प्रभावी और मानव-केंद्रित ग्रामीण प्रशासनिक मॉडल बन चुका है। इस पहल ने यह दिखाया है कि भरोसे, सहभागिता और विकास के रास्ते पर चलकर स्थायी बदलाव लाया जा सकता है।