पेसा महोत्सव 2025: गिरीश कुबेर बोले- यह कानून आदिवासी समाज को जल- जंगल और जमीन के संरक्षण का देता है अधिकार

संभाग स्तरीय पेसा जागरूकता कार्यक्रम के तहत कलेक्टर के निर्देशन में पेसा महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया। जिसमें आदिवासियों को कानून की जानकारी दी गई।

Updated On 2025-12-24 18:06:00 IST

पेसा महोत्सव

लीलाधर राठी- सुकमा। छत्तीसगढ़ के संभाग स्तरीय पेसा जागरूकता कार्यक्रम के तहत कलेक्टर अमित कुमार के निर्देशन एवं सीईओ जिला पंचायत मुकुन्द ठाकुर के मार्गदर्शन में पेसा महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य पेसा कानून के प्रावधानों की व्यापक जानकारी जनसामान्य तक पहुंचाना एवं ग्राम सभाओं को सशक्त बनाना रहा। महोत्सव के दौरान उपस्थित सभी अतिथियों एवं वक्ताओं ने पेसा कानून के संवैधानिक महत्व, ग्राम स्वशासन की अवधारणा तथा आदिवासी समाज के सामाजिक-आर्थिक उत्थान में इसकी भूमिका पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए अपने विचार साझा किए।

कार्यक्रम में गिरीश कुबेर ने कहा कि, पेसा कानून अनुसूचित जनजातियों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पेसा का मूल अर्थ पंचायती राज व्यवस्था का विस्तार ग्राम सभा तक करना है। गांव को सशक्त बनाने के उद्देश्य से यह कानून लाया गया है, जिसमें गांव के विकास से जुड़े निर्णय ग्राम सभा द्वारा लिए जाएंगे। उन्होंने मोबाइलाइजरों से कहा कि वे अपने दायित्वों को प्राथमिकता के साथ निभाएं, क्योंकि पेसा के सफल क्रियान्वयन में उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। 


जल-जंगल-जमीन के संरक्षण का संवैधानिक अधिकार देता है पेसा
लक्ष्मण मरकाम ने कहा कि पेसा कानून आदिवासी समाज को जल, जंगल और जमीन के संरक्षण का अधिकार देता है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में पहले 08 अगस्त 2022 को पेसा कानून लागू किया गया, जबकि 15 नवंबर 2025 को महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा शहडोल (मध्यप्रदेश) में इसे लागू किया गया। उन्होंने कहा कि विकास की धारा गांवों की ओर बहनी चाहिए, तभी शहर और गांव के बीच की खाई समाप्त होगी और हमारी पारंपरिक संस्कृति व रूढ़ी-परंपराओं का संरक्षण संभव हो पाएगा। गांव में सभी वर्गों का समान विकास होगा तो पलायन रुकेगा। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि कलम का रास्ता चुनें और जागरूक बनकर पेसा कानून को गांव-गांव तक पहुंचाएं।

ग्राम सभा सर्वोच्च, सभी निर्णय सामूहिक
दंतेवाड़ा विधायक चैतराम अटामी ने कहा कि पेसा कानून की जानकारी प्रत्येक आदिवासी परिवार तक पहुंचना जरूरी है। उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत में किसी भी प्रस्ताव को पारित करने से पूर्व ग्राम सभा की स्वीकृति अनिवार्य है, जिसमें महिला-पुरुष सभी की भागीदारी रहती है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में पेसा कानून के प्रभावी क्रियान्वयन से सभी वर्गों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। 


पेसा में समाहित है योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन की पूरी शक्ति
कलेक्टर अमित कुमार ने कहा कि शासन की योजनाओं के क्रियान्वयन की पूरी शक्ति पेसा कानून में समाहित है। इसके माध्यम से लोग धीरे-धीरे आजीविका के क्षेत्र में सशक्त होंगे। उन्होंने स्व-सहायता समूहों से जुड़ने का आह्वान करते हुए कहा कि इससे ग्रामीण महिलाएं और परिवार सामाजिक-आर्थिक रूप से सक्षम बनेंगे और गांव आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर होंगे।

26 से 31 दिसम्बर तक आयोजित होंगे राज्य स्तरीय प्रशिक्षण
सीईओ जिला पंचायत मुकुन्द ठाकुर ने मुख्य अतिथि, स्थानीय जनप्रतिनिधि, समाज प्रमुख सहित पेसा संबंधित मोबिलाईजर को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए, उन्होंने बताया कि बीजापुर, नारायणपुर और सुकमा जिले के मोबिलाईजरो के लिए राज्य स्तरीय प्रशिक्षण का कार्यक्रम 26 दिसम्बर से 31 दिसम्बर को  ठाकुर प्यारे लाल पंचायत और ग्रामीण विकास संस्थान (एसआईआरडी) रायपुर में आयोजित होगा। जिसमें सभी पेसा मोबिलाईजर, जिलों के क्वाडिनेटर एवं राज्य समन्वयक व विशेषज्ञ प्रतिभागी होंगे। 


ये वरिष्ठ लोग रहे उपस्थित
इस अवसर पर विवेकानंद झा, सुबोध पांडे, सम्माननीय मांझीगण, समाज प्रमुखों के साथ-साथ राज्य महिला आयोग की सदस्य दीपिका सोरी, जिला पंचायत उपाध्यक्ष महेश कुंजाम, वरिष्ठ जनप्रतिनिधि धनीराम बारसे, जनपद पंचायत सुकमा अध्यक्ष संतोष ईडो, जनपद पंचायत कोंटा अध्यक्ष कुसुमलता कवासी, जिला पंचायत सदस्य माड़े बारसे, नगर पंचायत दोरनापाल अध्यक्ष राधा नायक, जिला प्रशासन के अधिकारी कर्मचारीगण सहित बड़ी संख्या में मोबाइलाइजर और नागरिक उपस्थित थे।

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