हाईस्कूल की छात्राओं में बांटी गई साइकिल: प्रेमलता नागवंशी बोलीं- यह सरकार की सराहनीय पहल

नगरी में शासकीय शीतला देवी हाई स्कूल, ग्राम घटुला में छात्राओं को साइकिल का वितरण किया गया। यह छत्तीसगढ़ शासन की महत्वपूर्ण सरस्वती साइकिल योजना की पहल है।

Updated On 2025-09-10 11:37:00 IST

बांटी गई साइकिलों के साथ छात्राएं और प्रेमलता नागवंशी

गोपी कश्यप - नगरी। छत्तीसगढ़ के नगरी क्षेत्र के शासकीय शीतला देवी हाई स्कूल घटुला में सरस्वती साइकिल योजना के अंतर्गत छात्राओं में साइकिलें बांटी गईं। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि जनपद पंचायत नगरी की सभापति प्रेमलता नागवंशी रहीं। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि, सरस्वती साइकिल योजना का उद्देश्य बालिकाओं को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करना और उन्हें आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करना है। यह योजना विष्णु देव सरकार की एक अत्यंत सराहनीय पहल है।

इस अवसर पर शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष वीरेंद्र मिश्रा, भाजपा मंडल महामंत्री मोनू साहू, उप सरपंच वेदराम साहू, सहकारी समिति के अध्यक्ष खुशीराम नाग, प्राचार्य राजेश कश्यप, कीर्ति कुमार साहू, धर्मेंद्र कोरे सहित अनेक जनप्रतिनिधि, छात्र-छात्राएं और विद्यालय स्टाफ उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन उत्साहपूर्ण वातावरण में हुआ और छात्राओं ने साइकिल प्राप्त कर प्रसन्नता व्यक्त की।

महिलाओं ने सीखी मखाना खेती की तकनीक
वहीं नगरी में ग्राम खुनंदनी के जय मां विंध्यवासिनी स्व सहायता समूह की महिलाओं ने बुधवार मखाना की खेती का प्रशिक्षण प्राप्त किया। यह प्रशिक्षण दाऊ ओंकार सिंह ठाकुर के तालाब में आयोजित किया गया। जिसमें इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. गजेंद्र चंद्राकर के तकनीकी मार्गदर्शन तथा पीएचडी शोधार्थी एकानंद ढीमर (कीट विज्ञान विभाग) ने महिलाओं को मखाना उत्पादन की संपूर्ण प्रक्रिया समझाई।

स्वरोजगार की मिली नई राह
उल्लेखनीय है कि, जनवरी 2024 में एकानंद ढीमर ने तालाब की सफाई और समतलीकरण कराकर बालोद अंचल में मखाना की खेती की शुरुआत की थी, जो अब पककर तैयार है और बीज निकालने की प्रक्रिया चल रही है। उनका उद्देश्य इस खेती को क्षेत्र में प्रसारित कर किसानों और महिला स्व सहायता समूहों को स्वरोजगार से जोड़ना है।

महिलाएं भी करेंगी मखाने की खेती
प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं को भूमि चयन से लेकर बीज निकालने व प्रसंस्करण तक की जानकारी दी गई। साथ ही फसल पकने की स्थिति, बीज की गुणवत्ता और पौधे की बनावट के बारे में विशेष जानकारी साझा की गई। इस अवसर पर महिलाओं ने अपने गांव के तालाबों में मखाना की खेती करने की इच्छा जताई।

80 हजार का मिल सकता है लाभ
एकानंद ढीमर ने बताया कि, मखाना की रोपाई दिसंबर से फरवरी माह तक की जाती है, जिसमें 1.5-2 फीट पानी की आवश्यकता होती है। प्रति एकड़ 8-10 क्विंटल उत्पादन से किसानों को लगभग 80 हजार का शुद्ध लाभ मिल सकता है। दाऊ ओंकार सिंह ठाकुर ने भी अपने अन्य तालाबों और खेतों में मखाना की खेती करने की घोषणा की।

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