धमतरी में मखाना खेती की शुरुआत: स्वसहायता समूह की महिलाओं ने पोखरों में किया पौधरोपण, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगा नया आधार

धमतरी जिले में स्वसहायता समूह की महिलाओं ने मखाना पौधरोपण कर खेती की शुरुआत की। इस दौरान कलेक्टर अबिनाश मिश्रा और कृषि वैज्ञानिकों ने तकनीकी मार्गदर्शन दिया।

Updated On 2025-12-12 16:33:00 IST

पोखरों में पौधरोपण करती हुईं स्वसहायता समूह की महिलाएं

गोपी कश्यप- नगरी। छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में मखाना खेती की औपचारिक शुभारंभ किया गया। इस दौरान ग्राम देमार के शैलपुत्री महिला स्वसहायता समूह और नई किरण महिला स्वसहायता समूह ने ग्राम डांडेसरा में छोटे- छोटे पोखरों में मखाना पौधरोपण किया। इस शुरुआत को महिला समूहों के लिए आत्मनिर्भरता और आर्थिक उन्नति की दिशा में एक सशक्त कदम माना जा रहा है।

ज्ञात हो कि, 19 मार्च 2025 को किसान सम्मान निधि वितरण कार्यक्रम के दौरान केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने छत्तीसगढ़ को मखाना बोर्ड में शामिल करने की घोषणा की थी। इस महत्वपूर्ण घोषणा ने राज्य में मखाना उत्पादन के लिए नए अवसरों के द्वार खोल दिए। इसी को आगे बढ़ाते हुए धमतरी कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने जिले में मखाना खेती को प्रोत्साहित करने और इसे ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार बनाने का संकल्प लिया है।


कलेक्टर ने पोखरों को उपयुक्त बनाने के दिए निर्देश
शुभारंभ के दौरान कलेक्टर अबिनाश मिश्रा, उप संचालक उद्यानिकी पूजा कंवर साहू, उप संचालक कृषि मोनेश साहू और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के प्रधान कृषि वैज्ञानिक डॉ. गजेन्द्र चंद्राकर उपस्थित रहे। कलेक्टर ने मखाना खेती के लिए पोखरों को उपयुक्त बनाने के लिए आवश्यक दिशा- निर्देश दिए और महिला समूहों को इस महत्वपूर्ण पहल के लिए शुभकामनाएँ दीं।

आर्थिक रूप से मजबूत होंगी महिलाएं - डॉ. गजेन्द्र चंद्राकर
इस अवसर पर प्रधान कृषि वैज्ञानिक डॉ. गजेन्द्र चंद्राकर ने महिला समूहों को मखाना उत्पादन की तकनीकी जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि, मखाना धमतरी जिले में रोजगार बढ़ाने, महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने और खेत- तालाब आधारित आजीविका में विविधता लाने की अपार संभावनाएँ रखता है।


महिला समूहों के लिए आर्थिक क्रांति साबित होगी पहल
यह पहल न केवल धमतरी की ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाएगी, बल्कि जिले में वैकल्पिक कृषि आधारित आजीविका को नया आयाम भी प्रदान करेगी। मखाने जैसी उच्च मूल्य वाली फसल का स्थानीय स्तर पर उत्पादन जिले के किसानों और महिला समूहों के लिए आर्थिक क्रांति साबित हो सकता है।

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