छत्तीसगढ़ में खत्म हुई बिचौलियों की भूमिका: भूमि रजिस्ट्री अब पूरी तरह डिजिटल, दफ्तरों के चक्कर लगाने से मिली मुक्ति

साय सरकार ने भूमि रजिस्ट्री की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक और ई-गवर्नेंस मॉडल को अपनाया है। अब भूमि रजिस्ट्री पूरी तरह डिजिटल हो गई है।

Updated On 2025-09-20 16:59:00 IST

सीएम विष्णु के सुशासन में जमीन रजिस्ट्री, सीमांकन और बंटवारा सहित अन्य राजस्व मामले हुए आसान

रायपुर। छत्तीसगढ़ में भूमि रजिस्ट्री की पुरानी व्यवस्था बेहद जटिल और समय लेने वाली थी। एक साधारण रजिस्ट्री कराने में नागरिकों को कई-कई दिन दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे। फाइलें हफ्तों तक पड़ी रहती थीं और काम पूरा होने में महीनों लग जाते थे। इस प्रक्रिया में बिचौलियों का दबदबा इतना ज्यादा था कि बिना उनकी मदद के आम आदमी का काम निकलना लगभग असंभव हो जाता था।

सीएम विष्णुदेव साय की सरकार ने भूमि रजिस्ट्री समस्या को पहचानते हुए भूमि रजिस्ट्री को पूरी तरह डिजिटल करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया। कम्प्यूटरीकृत रजिस्ट्री प्रणाली, मोबाइल एप, आधार-PAN इंटीग्रेशन, My Deed मॉड्यूल और जियो-रेफ्रेशिंग जैसी आधुनिक तकनीकें इस सुधार की रीढ़ बनकर उभरीं। यह केवल प्रशासनिक सुधार नहीं, बल्कि नागरिक सशक्तिकरण और सुशासन की दिशा में क्रांतिकारी कदम है।


दस्तावेज़ों की गड़बड़ी थी एक बड़ी समस्या
दस्तावेज़ों की गड़बड़ी भी एक बड़ी समस्या थी। खसरा-खतौनी में गलत एंट्री, नकली बिक्री पत्र, फर्जी हस्ताक्षर और एक ही ज़मीन की दोहरी बिक्री जैसी घटनाएँ आम थीं। इससे न केवल किसानों और आम नागरिकों को परेशानी होती थी बल्कि लंबी मुकदमेबाज़ी भी खड़ी हो जाती थी। ग्रामीण और दूरदराज़ के लोग अपनी रजिस्ट्री कराने के लिए कई बार 100 से 200 किलोमीटर तक का सफर तय करते थे।

इसमें उनका समय, श्रम और धन तीनों की बर्बादी होती थी।पारदर्शिता की कमी सबसे बड़ी खामी थी। नागरिकों को यह भी पता नहीं चलता था कि उनकी फाइल किस स्थिति में है। बार-बार दफ्तर जाकर जानकारी लेनी पड़ती थी और हर बार नए बहाने सुनने को मिलते थे। परिणामस्वरूप, आम जनता में व्यवस्था के प्रति अविश्वास गहराता जा रहा था और भूमि विवादों की संख्या लगातार बढ़ रही थी। 


साय सरकार ने उठाए डिजिटल और पारदर्शी प्रणाली की तरफ कदम
राज्य सरकार ने भूमि रजिस्ट्री की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक और ई-गवर्नेंस मॉडल को अपनाया है। अब नागरिकों को कार्यालयों के चक्कर लगाने की बजाय, घर बैठे ऑनलाइन रजिस्ट्री की सुविधा उपलब्ध है। इस पहल ने न केवल समय और धन की बचत की है बल्कि पारदर्शिता भी सुनिश्चित की है।

चरणबद्ध कम्प्यूटरीकृत प्रक्रिया से रजिस्ट्री हुई आसान

  • ऑनलाइन आवेदन: आवेदक भूमि रजिस्ट्री के लिए ऑनलाइन पोर्टल या मोबाइल एप पर आवेदन करता है।
  • PAN और आधार इंटीग्रेशन: खरीदार और विक्रेता की पहचान की पुष्टि PAN और आधार से होती है। इससे फर्जी लेन-देन की संभावना समाप्त होती है।
  • My Deed मॉड्यूल: यह विशेष मॉड्यूल सभी दस्तावेज़, अनुबंध और सहमति पत्रों को सुरक्षित रूप से संग्रहित करता है।
  • स्टांप शुल्क भुगतान: नागरिक अब डिजिटल माध्यम से स्टांप शुल्क जमा कर सकते हैं, जिससे प्रक्रिया और पारदर्शी हुई है।
  • जियो-रेफ्रेशिंग प्रणाली: भूमि की लोकेशन और सीमाओं की पुष्टि डिजिटल मैपिंग से होती है। इससे भविष्य के विवाद काफी हद तक खत्म हो जाते हैं।
  • ऑनलाइन वेंडर लोकेशन: पोर्टल पर स्टांप वेंडरों की लोकेशन उपलब्ध होती है, जिससे लोगों को आसानी होती है।
  • ई-रजिस्ट्री: प्रक्रिया पूर्ण होने पर डिजिटल हस्ताक्षर सहित अंतिम ई-रजिस्ट्री जारी कर दी जाती है, जो कानूनी रूप से मान्य होती है।

मोबाइल एप की भूमिका
सरकार ने नागरिकों की सुविधा के लिए सुगम मोबाइल एप तैयार किया है। इस एप के जरिए लोग रजिस्ट्री की स्थिति ट्रैक कर सकते हैं, आवश्यक दस्तावेज अपलोड कर सकते हैं और हर चरण की जानकारी समय-समय पर प्राप्त कर सकते हैं। यह एप नागरिकों को सीधा सिस्टम से जोड़ता है और बिचौलियों की भूमिका समाप्त करता है।

लाभ और प्रभाव

  • समय की बचत: अब रजिस्ट्री के लिए दिनों तक इंतजार नहीं करना पड़ता।
  • भ्रष्टाचार पर रोक: बिचौलियों और अनावश्यक शुल्क से मुक्ति।
  • पारदर्शिता: हर प्रक्रिया का डिजिटल रिकॉर्ड सुरक्षित रहता है।
  • सुगमता: नागरिक मोबाइल एप से कभी भी, कहीं भी प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं।
  • भविष्य के विवादों में कमी: जियो-रेफ्रेशिंग प्रणाली से भूमि की वास्तविक स्थिति की पुष्टि हो जाती है।

नागरिक सेवाओं के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ ने कायम की नई मिसाल
छत्तीसगढ़ ने भूमि रजिस्ट्री की प्रक्रिया को डिजिटल बनाकर नागरिक सेवाओं के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है। यह सुधार केवल तकनीकी उन्नति नहीं बल्कि न्याय, पारदर्शिता और नागरिक सशक्तिकरण का प्रतीक है। इस मॉडल ने साबित किया है कि ई-गवर्नेंस केवल एक नारा नहीं बल्कि लोगों के जीवन में वास्तविक बदलाव लाने का सशक्त माध्यम है। आने वाले वर्षों में जब इसे ब्लॉकचेन और एआई जैसी तकनीकों से जोड़ा जाएगा, तब यह पूरी तरह से विवाद-मुक्त, तेज़ और भरोसेमंद प्रणाली बनकर भारत के लिए एक आदर्श बनेगा।

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