छत्तीसगढ़ करेगा खेलो इंडिया ट्रायबल गेम्स 2025 की मेजबानी: रायपुर और बस्तर दो प्रमुख आयोजन स्थल होंगे

जगदलपुर के धरमपुरा और इंदिरा स्टेडियम में होंगे तीरंदाजी, एथलेटिक्स और मलखंभ के रोमांचक मुकाबले। आयोजन जनजातीय गौरव, संस्कृति और खेल प्रतिभा का अनोखा संगम होगा।

Updated On 2025-11-12 18:49:00 IST

अधिकारियों ने खेल परिसर का निरीक्षण किया 

अनिल सामंत- जगदलपुर। छत्तीसगढ़ की धरती पर पहली बार इतिहास रचा जाएगा। भारत सरकार के भारतीय खेल प्राधिकरण, नई दिल्ली ने आगामी खेलो इंडिया ट्रायबल गेम्स 2025 की मेजबानी का जिम्मा छत्तीसगढ़ राज्य को सौंपा है। यह आयोजन जनजातीय गौरव, संस्कृति और खेल प्रतिभा का अनोखा संगम होगा।

खेलो इंडिया निरीक्षण दल ने अपने दो दिवसीय प्रवास के दौरान जगदलपुर के धरमपुरा खेल परिसर और इंदिरा प्रियदर्शिनी स्टेडियम का निरीक्षण किया तथा इन स्थलों को तीरंदाजी, एथलेटिक्स और मलखंभ खेलों के आयोजन के लिए चिन्हित किया। इस अवसर पर उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल में ममता ओझा (डायरेक्टर, खेलो इंडिया दिल्ली), श्रीनिवास मालेकार (उप संचालक), गोपाल कंदपाल, आदित्य ब्रम्हे, राज्य खेल संचालक तनुजा सलाम,तथा स्थानीय खेल अधिकारी गिरीश शुक्ल, टीएन रेड्डी, सुनील पिल्ले, कोटेश्वर नायडू और प्रदीप साहू उपस्थित रहे।


तैयारियों और आयोजन की रूपरेखा से दल को कराया गया अवगत
निरीक्षण के दौरान अपर कलेक्टर एवं सहायक संचालक (खेल एवं युवा कल्याण) ऋषिकेश तिवारी ने बस्तर जिले की तैयारियों और आयोजन की रूपरेखा से दल को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि, दोनों मैदानों में अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सुविधाएँ विकसित की जा रही हैं, ताकि खिलाड़ियों को उत्कृष्ट माहौल मिल सके। राज्य खेल संचालक तनुजा सलाम ने कहा- यह आयोजन छत्तीसगढ़ के लिए गौरव का क्षण है। हम इस अवसर को राज्य की खेल पहचान और जनजातीय गौरव को नई दिशा देने वाले पर्व के रूप में मनाएंगे।

खेलों के माध्यम से जनजातीय गौरव को नई पहचान
खेलो इंडिया ट्रायबल गेम्स 2025 का आयोजन जनजातीय गौरव वर्ष (15 नवम्बर 2024 – 15 नवम्बर 2025) के अंतर्गत किया जा रहा है। इसमें देश के 30 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से लगभग 1200 आदिवासी खिलाड़ी भाग लेंगे। खेलो इंडिया योजना के इस नए संस्करण का उद्देश्य आदिवासी युवाओं को राष्ट्रीय मंच देना, उनकी संस्कृति, परंपरा और खेल प्रतिभा को विश्वपटल पर पहचान दिलाना है। रायपुर और बस्तर दो प्रमुख आयोजन स्थल होंगे, जिनमें बस्तर का चयन अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। इससे न केवल राज्य, बल्कि देश के जनजातीय अंचलों में खेल क्रांति का संचार होगा।

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