टूटी खाट-टूटी उम्मीदें: पुत्र के नक्सली होने की कीमत परिवार ने चुकाई

राजू सलाम पिछले कई वर्षों से पुलिस के लिए सिरदर्द बना रहा। वह अब 12 दिन पहले पुलिस के सामने समर्पण कर दिया।

Updated On 2025-10-29 09:58:00 IST

पिता को इंतजार, पैसा लेकर आएगा बेटा 

विजय पाण्डेय / कांकेर। उत्तर बस्तर का घना जंगल, जहां कभी आदिवासी संस्कृति की गूंज सुनाई देती थी, वहाँ कई सालों से बंदूकों की आवाज और सुरक्षा बलों के कदमों की आहट से कांप उठता था। इसी इलाके में सक्रिय नक्सली संगठन की कंपनी नंबर 5 का कमांडर बताया जाने वाला राजू सलाम पिछले कई वर्षों से पुलिस के लिए सिरदर्द बना रहा। वह अब 12 दिन पहले पुलिस के सामने समर्पण कर दिया, लेकिन दिलचस्प और विडंबनापूर्ण पहलू यह है कि कमांडर राजू का नाम बड़े स्तर पर पुलिस फाइलों में दर्ज है, उसके अपने घर की हालत इतनी बदतर है कि देखकर किसी का भी दिल पसीज जाए।

कोयलीबेड़ा विकासखंड के ग्राम पंचायत बदरंगी का आश्रित ग्राम पटेलपारा मरदा में रहने वाले उदय सिंह सलाम का बेटा नक्सलियों की कंपनी नंबर 05 का कमांडर राजू सलाम डीकेएसजेडसी ने जगदलपुर में 17 अक्टूबर को हथियार डाले, उसके बाद हरिभूमि की टीम उसके गांव पटेलपारा मरदा पहुँची। घर के सामने दरवाजे पर दो बल्ली का टेका लगा हुआ था, ऐसा लग रहा था कि कब गिर जाएगा और पाँच मिनट तक आवाज दिया, परंतु घर से कोई बाहर नहीं निकला। उसके घर के सामने बोर है, जहां पर लोग पानी भरने आते है।

राजू सलाम भाइयों में सबसे छोटा था
पानी भरने वालों ने बोला कि अंदर जाओ, तभी उसके पिता मिल पाएंगे, बिस्तर से नहीं उठ पाते है। आवाज देते हुए उसके घर के अंदर पहुँचे तो सबसे पहले सामना राजू सलाम की सबसे छोटी बहन से हुआ, परंतु वह सहम गई, उसे विश्वास दिलाया कि हम लोग पुलिस वाले नहीं है, पत्रकार है। उससे पूछा कि आपको पता है कि राजू सलाम ने समर्पण कर दिया है, उन्होंने बताया कि समाचार में देखा है। उसके बाद बड़े भाई के बच्चे आए, जो अंतागढ़ में पढ़ते है। परिवारिक जानकारी देते हुए बच्चों ने बताया कि राजू सलाम भाइयों में सबसे छोटा था, उससे बड़े दो भाई है, जिसमें एक बोर में काम करने दूसरे प्रदेश गया है। वहीं बड़ा भाई खेत गया था। चार बहनों में तीन बहन की शादी आसपास के गांव में हुई, वहीं चौथी बहन की शादी अभी नहीं हुई है।

पिता के कान खराब, कम सुनाई देता है
हरिभूमि ने बच्चों से पूछा कि पिता कहाँ है, उन्होंने कपड़े के लगे दरवाजे को हटाया जो एक कमरे में खाट पर लेटे थे और आग उनके खाट के पास जल रही थी। उनसे कुछ जानना चाहा तो बच्चों ने बताया कि उनको सुनाई कम देता है, जोर से बात करनी पड़ेगी। उनसे बात करने के लिए बहुत जोर से चिल्लाना पड़ा, तब वो किसी बात का जवाब दे पा रहे थे।

23 साल में कोई मदद नहीं की
कमांडर के पिता ने हरिभूमि से बात करते हुए कहा कि, उसने 23 साल में कोई मदद नहीं किया। उसके पिता ने दुखी मन से कहा कि हम गरीब लोग हैं, मेहनत-मजदूरी करके किसी तरह गुजारा करते हैं, लेकिन उसने बंदूक उठा लिया था। उसकी इस करतूत से गांव में हमारा नाम लेने में भी लोग कतराते है। गांव के बच्चों से राजू सलाम के बारे में जानना चाहा, तो उन्होने मुँह फेर लिया।

सड़क व पानी की सुविधा कमांडर के घर तक
कोयलीबेड़ा में सुनने को मिला कि कमांडर राजू ने अपने घर तक सीसी रोड बनवाया था और घर के सामने सरकारी बोर खुदवाया। उसके अलावा सोलर पैनल से भी पानी की व्यवस्था थी। उसके गांव जब पहुँचे और उसके घर के बारे में पूछा, लोगों ने संकोच करते हुए बताया। गांव में देखा तो कोयलीबेड़ा में हुई चर्चा सही निकली। वास्तव में डर के कारण बनाया गया या नियमानुसार बना, यह तो स्थानीय जनप्रतिनिधि ही जान सकते है।

एक साल पहले आया था मिलने
दुखी मन से राजू सलाम के पिता ने बताया कि जब वो आठवीं में था, तभी नागेश उसे अपने जाल में फंसाकर ले गया, यह साल 2002 रहा होगा। कई साल तक हम लोग नहीं जानते थे, वो कहाँ है। अखबारों में पढ़ा तब उसके बारे में जानकारी मिलने लगी। एक साल पहले मिलने आया था, घर के अंदर अकेले आया था और बाहर उसके साथी लोग खड़े थे। मैने उसे बहुत डांटा, परंतु उसने कुछ नहीं बोला और पैर छूकर चला गया। मेरे दोनों बेटे अनपढ़ है, यह पढ़ने में होशियार था परंतु यह नक्सली बन गया। उसने परिवार और समाज दोनों की राह छोड़ दी है।

पिता को इंतजार, पैसा लेकर आएगा बेटा
कमांडर के पिता का कहना था कि पूरा घर बड़ा बेटा चलाता है। हरिभूमि से पूछा कि समर्पण करने पर कितना पैसा मिलेगा। उनको बताया गया कि 25 लाख का इनाम घोषित है। यह राशि मिलेगी, उसके अलावा जमीन के लिए जो नियम है उसके अनुसार जमीन भी मिलेगी। इसके अलावा अन्य सुविधा देने का प्रावधान है।

Tags:    

Similar News